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Albela Khatri

जय जय मीरा .....जय मनमोहन

वो ज़माना और था जब मीरा मोहन ...मोहन ...पुकारती रही ....और लोग उसका विरोध करते रहे.... वो मीरा मोहन ......मोहन........ गाते हुए स्वयं मोहन हो गई ....लेकिन मोहन के साथ ......उसका सम्बन्ध केवल आत्मिक रहा , दैहिक नहीं । अब ज़माना और है .....अब तो मीरा लोकसभा की अध्यक्ष है भाई.......अब तो मनमोहन को भी कुछ बोलना होगा तो वे उन्हें ......'आदरणीय अध्यक्ष महोदय ' ही कह कर बुलाएँगे

जियो ..जियो ..आज तो वैकुण्ठ में मोहन और मीरा दोनों हँस रहे होंगे और रुक्मणीजी दोनों को हँसते देख वैसे ही जल रही होगी जैसे यहाँ माया जी जल रही हैं .........हा हा हा हा हा हा हा हा
...

8 comments:

ACHARYA RAMESH SACHDEVA June 1, 2009 at 8:58 PM  

KHA KHUB KAHI JANAB.
AB TO MEERA KE MOHAN.
AUR MOHAN KI MEERA NAHI (ADHYAKSH MAHODYA HO GAYI)
WAH

Gyan Darpan June 1, 2009 at 10:07 PM  

ये भी खूब रही !

Unknown June 1, 2009 at 11:50 PM  

खूब हास्यातिरेक पकडा़ भाई।

shama June 2, 2009 at 12:29 AM  

Aapke comment ke liye ("maa pyaree maa" is lekhpe), shukr guzaree jatane aayee hun..zarranawazee aur hausala afzayee donoke liye..
Aapke lekhanpe alagse tippanee karungee..aie sarsari taurse padhke nahee...kya iswaqt kshama karenge?

Jo likha hai, uspe kuchh gehen likhna chahtee hun..

परमजीत सिहँ बाली June 2, 2009 at 1:56 AM  

bahut badhiyaa!

जयंत - समर शेष June 2, 2009 at 10:30 AM  

Waah Majaa aa gayaa!!!!

संजय बेंगाणी June 2, 2009 at 11:31 AM  

:)

राज भाटिय़ा June 2, 2009 at 3:54 PM  

बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद

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