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Albela Khatri

लोभी तो देखे बहुत, आज देखलो लोभा.........

हिन्दी हास्य कवियों कवि सम्मेलनों को तबेलों और धर्मशालाओं से उठा कर

पाँच सितारा होटलों तक पहुंचाने वाले मंच संचालन के पहले और वास्तविक

हास्य सम्राट स्वर्गीय रामरिख "मनहर" अपने अलमस्त स्वभाव, अनूठे मंच

संचालन और ज़बरदस्त ठहाकों के लिए तो मशहूर थे ही प्रतिउत्पन्न्मति में

भी उनका कोई सानी नहीं था................


एक बार आयकर विभाग मुंबई मुख्यालय में कवि-सम्मेलन चल रहा था

एक कन्या बार बार उनके पास जाती और कहती- मुझे भी एक कविता

सुनानी हैमनहर जी चूंकि नई प्रतिभाओं को सदा बढ़ावा देते थे इसलिए

उन्होंने उसे माइक पर बुला तो लिया लेकिन नाम नहीं जानते थे तो वहीं

मंच पर अपने संचालकीय माइक से ही पूछा -'नाम क्या है आपका ?'


वो बोली-'शोभा'


अब चूंकि मनहर जी उसके बारे में कुछ भी नहीं जानते थे और माइक पर भी

बुला चुके थे तो उसके लिए बोले तो बोले क्या ? यह एक संकट हो गया

लेकिन मनहर तो मनहर थे


बिना एक क्षण गँवाए बोले-


लोभी तो देखे बहुत, आज देखलो लोभा

कविता सुनाने रही है कुमारी शोभा

7 comments:

Udan Tashtari August 9, 2009 at 5:33 AM  

रोचक!!

Prem Farukhabadi August 9, 2009 at 7:32 AM  

Albela ji

लोभी तो देखे बहुत, आज देखलो लोभा
कविता सुनाने आ रही है कुमारी शोभा
padh kar ek baar to hanshi aa gayi.apke blog par aana ek dam sarthak ho gaya. haasy kavi hansaye na aisa to nahin ho sakta.aap hi aise hain ki thode mein hi hansa dete ho dil se badhai mere bhai!!!!!

राजीव तनेजा August 9, 2009 at 8:33 AM  

बढिया तुकबन्दी कर शोभा जी के साथ जुगलबन्दी कर डाली उन्होंने

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" August 9, 2009 at 11:14 AM  

बढिया अल्बेली बात्!!!

Anil Pusadkar August 9, 2009 at 11:57 AM  

ताज़ा तुकबंदी।

Mithilesh dubey August 9, 2009 at 4:53 PM  

वाह अलबेला जी , लाजवाब।

Sudhir (सुधीर) August 9, 2009 at 7:12 PM  

इसे कहते हैं त्वरित रचना ! वाह!!

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