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Albela Khatri

बहना मुझको इस दिन की प्रतीक्षा रहती है

बाँध दे राखी मेरी कलाई, रीत ये कहती है

बहना मुझको इस दिन की प्रतीक्षा रहती है


रंग छूटे इस माथे से ऐसा तिलक लगादे

इस कुमकुम में तेरे स्नेह की नदिया बहती है


आज सजादे मेरी कलाई, मुंह में दाल मिठाई

रोज़ नहीं आता है ये दिन, दुनिया कहती है


रक्षा-बन्धन दिन है तेरा, जो चाहे सो बोल !

तेरा ही है सब - कुछ तू संकोच क्यों करती है


फ़र्ज़ निभाउंगा 'अलबेला' रक्षा का आजीवन

करता भइया आज वही जो बहना कहती है

1 comments:

Prem Farukhabadi August 5, 2009 at 10:15 AM  

फ़र्ज़ निभाउंगा 'अलबेला' रक्षा का आजीवन
करता भइया आज वही जो बहना कहती है.

bahut hi sundar bhav.badhai!

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