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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

लाखों मिल जाएंगे भुजंग मेरे देश में............

हाकिम को घूस दे के

अपना बना लो, यही

काम करवाने का है ढंग मेरे देश में


धनी लोगों, वासना के

लोलुपों को रात दिन

बेचती गरीबी अंग-अंग मेरे देश में


क्षेत्र सम्प्रदायों के

असीम हैं, अनन्त हैं व

बन्दगी के दायरे हैं तंग मेरे देश में


ढूंढना जो चाहो ढूंढ़ो,

आदमी मिले न मिले,

लाखों मिल जाएंगे भुजंग मेरे देश में

7 comments:

शरद कोकास September 18, 2009 at 12:26 AM  

अलबेला भाई , अत्यंत कठिन कठिन शब्दों को लेकर अत्यंत सरल कविता लिखना अत्यंत कठिन काम है ..और यह आपने कर दिखाया . सारे क्षेत्र सम्प्रदाय से परे मेरी बधाई - शरद कोकास

राज भाटिय़ा September 18, 2009 at 12:30 AM  

बहुत सुंदर ढंग से आप ने देश के हालाल बतलाये अपनी इस कविता मै धन्यवाद

Urmi September 18, 2009 at 5:44 AM  

सच्चाई को आपने बड़े ही सुंदर रूप से शब्दों में पिरोया है! शानदार रचना!

Udan Tashtari September 18, 2009 at 6:36 AM  

क्या बात है. बेहतरीन!!

संगीता पुरी September 18, 2009 at 7:35 AM  

बहुत बढिया .. क्‍या बात कही है !!

शिवम् मिश्रा September 18, 2009 at 10:38 AM  

सत्य वचन |शानदार रचना!

राजीव तनेजा September 18, 2009 at 11:36 PM  

कम शब्दों कटु सच्चाई का वर्णन पसन्द आया ...बधाई

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