ब्लॉगर बन्धुओ और बान्धवियो !
वन्दे मातरम् !
आज पूरा देश मुम्बई हमले की बरसी के मौके पर ग़मगीन है और
मृतकों तथा शहीदों के लिए प्रार्थना कर रहा है । ऐसे में मैं भी आपके
साथ खड़े होकर विनम्रता पूर्वक ये पोस्ट शहीदों के नाम कर रहा हूँ।
मुझे आपसे केवल इतना कहना है कि आग अगर पड़ौस में लगी हो,
तो सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि अगर उस आग को हवा
मिल गई तो आप के घर तक भी पहुँच सकती है । शान्ति की सारी
वार्ताएं बाद में हैं, सबसे पहले आत्म रक्षा है और आत्म-सम्मान
की रक्षा है।
एक आदमी ने एक धर्म विशेष के लोगों से पूछा कि आप अगर
भारत को या धरती को माँ कहते हो तो, जलते क्यों हो ? उसमे
दफ़न क्यों नहीं होते ?
इस सवाल पर सबकी भान्ति मैं भी एक दिन मौन रहा, लेकिन वही
आलेख जब अगले दिन भी हम मौनियों का मुँह चिढ़ाने लगा तो
मुझसे रहा न गया और मैंने अपने ब्लॉग पर पोस्ट लिख कर उस
सवालकर्ता को 24 घंटे का समय चुनौती स्वरुप दिया कि या तो
सबसे मुआफी मांगते हुए पोस्ट हटाले, या फिर मेरा सामना करे
और यदि मैंने मेरे जवाब से उसे संतुष्ट कर दिया तो उसे अपना
ब्लॉग हमेशा के लिए बन्द करना पड़ेगा लेकिन यदि मैं ऐसा नहीं
कर पाया तो मैं कुरआन शरीफ़ की आयतों के छन्द लिख लिख
कर अपने ब्लॉग पर छापूंगा । इस चुनौती में कहीं भी कोई दम्भ,
अथवा द्वेष नहीं था , आप समझ सकते हैं ।
जब 25 घंटे तक कोई जवाब न मिला तो मैंने अपनी जीत का
समाचार छाप कर सभी को बधाई दी कि गन्दगी फैलाने वाला
भाग गया..इसके बाद उसने फ़िर अनर्गल प्रलाप किया तो मैंने
सहन किया और उसे प्यार के मायने समझाए.......
बाद में बहुत कुछ उसने लिखा ..विस्तार से बताने का न मेरे पास
वक्त है न ही आपके पास पढ़ने का ..लेकिन जो लिखा, उस पर
सब लगभग मौन ही रहे......
लेकिन कल !
जी हाँ कल !
कल उसने दो अपराध एक साथ किए........
एक तो मुझ पर झूठा इलज़ाम लगाया और दूसरा मुझे अभद्र
भाषा में गाली दी..
झूठा इलज़ाम लगाया 36 घंटे बाद टिप्पणी छापने का, झूठा
इलज़ाम लगाया डर कर भागने का और झूठा इलज़ाम लगाया
बहाना बनाने का..........
लिहाज़ा मैं आप सबकी साक्षी में उस घटिया आदमी को
दुनिया की सारी नंगी, अधनंगी और गन्दी गालियों से न
नवाज़ते हुए एक अन्तिम चुनौती आज फिर दे रहा हूँ कि
मैं उसके सवाल का मुकम्मल जवाब दूंगा कि हमें दफ़नाया
क्यों नहीं जाता ? बदले में उसे मेरे एक सवाल का जवाब
देना होगा....
मेरा सवाल ये है कि तुम सारे काम हमसे उलटे करते हो-
जैसे हम पूर्व दिशा की तरफ़ मुँह करके उपासना करते हैं तो
तुम पश्चिम की ओर मुँह करके, हम सूर्य को मास्टर मानते
हैं तो तुम चाँद को, हम देवनागरी में बाएं से दायें लिखते हैं तो
तुम उर्दू में दायें से बाएं, हम पायजामा पहनते हैं तो तुम लुंगी,
हिन्दू कसाई एक झटके में जानवर का वध करता है तो तुम
धीरे धीरे तड़पा तड़पा कर मारते हो, हम मूंछ रखते हैं दाढ़ी
काटते हैं तो तुम दाढ़ी रख कर मूंछें काटते हो आदि आदि
इत्यादि.......एक लम्बी सूची है..........
सिर्फ़ इतना बता दो कि जब सारे काम हमसे उलटे करते हो,
तो पैदा हमारी ही तरह क्यों होते हो ?
हमलोगों का जन्म होता है तो सबसे पहले शिशु का सिर
दुनिया में आता है ....आप भी इसी तरह पैदा क्यों होते हो ?
आप का जन्म उल्टा क्यों नहीं होता ? आपके यहाँ पहले
पैर क्यों नहीं निकलते शिशु के ? ये क्या मतलब हुआ कि
पैदा हुए हिन्दू की तरह और मरते समय मुसलमान हो गए..
साथ ही तुम अपनी बात को सिद्ध करो कि आपकी टिप्पणी
मैंने 36 घंटे तक रोकी..........मैं दावा करता हूँ कि आपकी
कोई भी टिप्पणी 36 तो क्या 12 घंटे भी नहीं रोकी गई........
पहली टिप्पणी 40 मिनट में, दूसरी एक घंटे बाद और एक
टिप्पणी 6 घंटे बाद छापी गई.......क्योंकि तब मैं मेरे शहर में
नहीं था...
तुम अपने इस झूठ के लिए लोगों से मुआफ़ी मांगो !
तीसरा तुम्हारे ब्लॉग पर एक टिप्पणी में मुझे गाली दी गई है
उसे छापने के तुम ज़िम्मेदार हो.इसलिए शर्मिंदा होवो..........
मैं अलबेला खत्री सुपुत्र भगवानदास खत्री हाथ में संकल्प जल
ले कर ये ऐलान करता हूँ कि अगर मैं मियां काशिफ़ शरीफ़ की
बात का जवाब नहीं दे पाया तो हमेशा के लिए ये ब्लॉग बन्द
कर दूंगा..........लेकिन अगर मेरे सवाल का सही जवाब उसने
नहीं दिया तो उसे अपना नाम काशिफ़ से बदल कर कैलाश
रखना पड़ेगा और सदा सदा के लिए सिर पे चोटी रखनी पड़ेगी॥
अगर चोटी रखने में शर्म आए तो उसे एक अन्य सवाल का
जवाब देना होगा.......वो सवाल ये है कि सारी दुनिया जानती
है कि मीर तकी मीर और ग़ालिब, दोनों शायर मुसलमान थे
और बड़े शायर थे,,,,,,,,,
उनके इन शे'रों का मतलब क्या है ?
"मीर के दीन-ओ- मज़हब की अब क्या पूछो हो?
क़श्का खींचा, दैर में बैठा, कब का तर्क़ इस्लाम किया"
- मीर
"ख़ुदा के वास्ते परदा न क़ाबे से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा न हो, वां भी यही काफिर सनम निकले"
- ग़ालिब
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मैं शान्त था........उकसाया उसने है, अब फ़ैसला उसके हाथ है....
और उसे ये कहने का मौका न मिले कि मैंने अपने घर में बैठ कर ही
चुनौती दी है, इसलिए...ये पूरा आलेख मैं उसके ब्लॉग पर
टिप्पणी के रूप में भी लिख रहा हूँ
याद रहे...........मैं डरा नहीं..........मैंने टिप्पणी रोकी नहीं लेकिन
मुझे गाली दी गई इसलिए........मैंने मजबूर होकर ये पोस्ट लिखी है।
निवेदन मैंने कर दिया है..........
बाकी निर्णय आपको करना है कि कौन सच्चा और कौन झूठा ?
जयहिन्द !
निवेदक
-अलबेला खत्री