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Albela Khatri

कमाल है उस्ताद !




बाज़ार में महंगाई का ये हाल है उस्ताद !


ग्राहक पीला और व्यापारी लाल है उस्ताद !


कमाल है ! कमाल है ! कमाल है उस्ताद !


चिकन से भी महंगी अब दाल है उस्ताद !




12 comments:

Unknown December 24, 2009 at 11:13 AM  

तो अब रोज चिकन खाना शुरू! :-)

निर्मला कपिला December 24, 2009 at 11:30 AM  

बिलकुल सही बात है । बधाई अच्छी रचना के लिये।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" December 24, 2009 at 11:32 AM  

वाकई कमाल है उस्ताद !

Dr. Zakir Ali Rajnish December 24, 2009 at 11:48 AM  

Sahi chitran.

--------
2009 के श्रेष्ठ ब्लागर्स सम्मान!
अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।

राज भाटिय़ा December 24, 2009 at 4:25 PM  

अरे बाबा यह कोन सी नयी बात है, हमरे देश भारत मै खाने पीने की चीजे मंहगी है, कार मोबाईल ओर ऎश की चीजे सस्ती है

वन्दना अवस्थी दुबे December 24, 2009 at 4:41 PM  

कुछ न कुछ तो गोलमाल है उस्ताद...........बहुत अच्छे.

M VERMA December 24, 2009 at 5:03 PM  

सही है सार्थक है सामयिक है
यही एक मुद्दा और सवाल है उस्ताद

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद December 24, 2009 at 6:12 PM  

बहुत लाल-पीला कर दिया उस्ताद :)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' December 24, 2009 at 7:24 PM  

गैया के पुत्र तो दाल ही खायेंगे जी!
क्रिसमस की बधाई!

prabhat gopal December 24, 2009 at 9:38 PM  

waah!!

Udan Tashtari December 25, 2009 at 8:13 AM  

हद हो गई ऐसे कमाल की.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } December 25, 2009 at 11:13 AM  

है तो कमाल ही , अब तो घर की दाल मुर्गी बराबर है

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