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Albela Khatri

इज़्ज़त की माँ की आँख ! इज़्ज़त को क्या घर में बैठके चाटने का है ? अपुन तो अपना इज़्ज़त हाथ में लिए घूमती हैं ...जितना चाहे ले लो....पर ब्रेक दे दो

ये कोई शीर्षक नहीं है किसी आलेख का

ही ये सम्वाद है किसी अश्लील फ़िल्म का


ये कहना है उन अनगिनत जवान, ख़ूबसूरत, पढ़ी-लिखी और

अच्छे घरों की ऐसी कन्याओं का जिन्हें रूपये-पैसे की कमी है

और ही आगे - पीछे घूमने वाले बॉय फ्रेंड्स की .....



कमी है तो सिर्फ़ उस योग्यता की जो होनी चाहिएलेकिन फ़िल्म

तारिकाओं के ग्लैमर से आकर्षित ये हज़ारों-हज़ार कन्याएं उस

योग्यता की कमी अपनी देह से पूरी करके आगे आने की होड़ में

इतनी बिन्दास हो गयी हैं कि फर्राटेदार इंग्लिश में गाली के बिना

तो बात ही नहीं करतीं



मैं इन पर आज इक बड़ा आलेख लिखने वाला था लेकिन आज का

दिन मैं "कभी ख़ुशी कभी ग़म" में व्यस्त हूँक्योंकि यही 25

दिसम्बर का दिन था सन 2001 का जब सुबह 7 बजे मेरे घर

में पुत्र आलोक का जन्म हुआ और मैंने ख़ुशी मनाई, साथ ही उसी

रात अपना वह सब खो दिया......जो पिछले बीस साल की मेहनत

से जुटाया थाभाग्य ने इक पुत्र की इतनी बड़ी कीमत वसूल की

कि मुझ जैसे पत्थर की भी कमर तोड़ कर रख दीआज बेटा 8

साल का हो गया है और नुक्सान की भी काफी हद तक भरपाई

हो चुकी है लेकिन याद तो ही जाती है ....आखिर मैं भी इक

इन्सान हूँ काठ का पुतला तो नहींखैर.....................



इन कन्याओं के जूनून के बारे में जब आप जानेंगे तो मुझे यकीं है

कि आपको भी वही वेदना होगी जो कभी मुझे हुआ करती थी...



लोगों को भ्रम है कि नारी की हालत चिन्ताजनक है जब कि देखने

में ये रहा है कि नारी की अतिमहत्वाकांक्षा के कारण हालत

नर की चिन्ताजनक हो चुकी है............



जल्द ही आलेख आप तक पहुंचेगा ............


-अलबेला खत्री


12 comments:

संगीता पुरी December 25, 2009 at 7:46 PM  

इतना चिंतित होने की आवश्‍यकता नहीं .. क्रिसमस का दिन है आज .. और साथ में अपने बेटे का जन्‍मदिन मनाइए .. आलोक को आशीर्वाद !!

Udan Tashtari December 25, 2009 at 8:13 PM  

समझने की कोशिश कर रहे हैं.

परमजीत सिहँ बाली December 25, 2009 at 8:29 PM  

देखते हैं अलबेला जी आपको कैसे अनुभव हुए.......प्रतीक्षा रहेगी....

राज भाटिय़ा December 25, 2009 at 9:17 PM  

अलबेला जी अच्छॆ बुरे दिन आते है, बुरे दिनो को, घटना को भुल जाने मै बेहतरी है, बेटे को जन्म दिन की बधाई, जिन्दगी बहुत कुछ दिखाती है......
इन वालाओ के बारे आप ने लिखा, ओर मै हेरान रह गया यह सब पढ कर, जरा कभी बिस्तार से लिखे

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" December 25, 2009 at 9:27 PM  

आपके आलेख की प्रतीक्षा रहेगी.....बालक के जन्मदिन की शुभकामनाऎँ!!

Anonymous December 25, 2009 at 10:35 PM  

बालक के जनमदिन की बधाई, पूरे परिवार को

कई मौकों पर अपना सब-कुछ आकस्मिक रूप से गंवा बैठने की नौबत कमर तोड़ देती है।
संबंधित आलेख की प्रतीक्षा।

बी एस पाबला

Mithilesh dubey December 25, 2009 at 11:10 PM  

आपके साथ जो कुछ भी हुआ जानकर अच्छा भी लगा और दुःख भी हुआ , शायद यही प्रकृती है । आपने जो मुद्दा उठाया है सच बताऊं अलबेला जी ऐसे लड़कियों को देखता हूँ ना तो मन तो करता है , जाने दिजीये नहीं तो सब बोलेंगे की मैं बोलता हूँ , दुःखद है ।

ब्लॉ.ललित शर्मा December 25, 2009 at 11:40 PM  

बालक के जन्म दिन पर बधाई,

Udan Tashtari December 26, 2009 at 4:29 AM  

बेटे के जन्म दिन कू बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.

SHIVLOK December 26, 2009 at 5:20 AM  

SACH KAHA AAPNE

DUKH BAHUT HOTA HAI

YE LADKIYAN YOGYA NAHIIN

BANANAA CHAAHTII

SHORTCUT SE HII SAFAL BAN JAANE KII CHAAH

DESH KO , SAMAAJ KO BARBAAD KAR DEGII

YA SHAAYAD KAR BHII DIYAA

AAPSE 990% SAHMAT

Unknown December 26, 2009 at 9:08 AM  

कम से कम एक दिन के लिये ही सही, बाकी सब भूलकर बेटे के जन्मदिन को ही याद रखें।

Dipti December 26, 2009 at 2:02 PM  

नारी समाज में हो रहे नैतिकपतन के साथ-साथ क्या कभी आपने ये सोचा है कि पूरे समाज (जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों शामिल है) में हो रहे नेतिकपतन के बारे में सोचा है।

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