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Albela Khatri

बहने दो धारा अविरल नेह की



प्यार

दिखाने की नहीं,

निभाने की चीज है


क्योंकि प्यार

देह का फूल नहीं

जीवन का बीज है



वह शाश्वत बीज !

जो अपने भीतर समस्त संसार समेटे हुए है

निराकार समेटे हुए है, साकार समेटे हुए है


इसलिए

प्यार का बीज खिलने दो

और प्रेमियों को मिलने दो



मत लगाओ प्रतिबन्ध

तोड़ डालो हर दीवार सन्देह की

बहने दो धारा अविरल नेह की



कदाचित

कुदरत की कारीगरी का काम मुकम्मल हो जाये

और ये रोतली दुनिया इक खुशनुमा
ग़ज़ल हो जाये





















www.albelakhatri.com




4 comments:

shama March 6, 2010 at 3:56 PM  

प्यार

दिखाने की नहीं,

निभाने की चीज है


क्योंकि प्यार

देह का फूल नहीं

जीवन का बीज है
Bahut sundar!

M VERMA March 6, 2010 at 6:42 PM  

बहने दो धारा अविरल नेह की
सुन्दर सन्देश सुन्दर रचना

राज भाटिय़ा March 7, 2010 at 12:21 AM  

आप की इस सुंदर कविता से सहमत है जी

संगीता पुरी March 7, 2010 at 12:46 AM  

अच्‍छी रचना है .. बधाई !!

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