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अलबेला खत्री का अभियान - आओ देश बचायें - 1




ब्लोगर लिप्यांतर में कुछ समस्या होने के कारण अनेक शब्द आपस में जुड़ गये हैं ...मुझे दोबारा टाइप करने का समय नहीं है , इसलिए थोड़ा ध्यान से पढ़लेवें
क्षमाप्रार्थी,

-अलबेला खत्री


सबसे
पहले आम ज़िदगी से जुड़ी हुई -- भारतीय रेल !


# एक वर्ष तक कोई नई रेल परियोजना शुरू हो, बल्कि जो अधूरी

परियोजनाएं हैं, केवल उन्हें पूर्ण करने पर काम हो



# कोई नई रेल शुरू हो, बल्कि जो रेल गाड़ियाँ चल रही हैं, उनमे

से सारे गन्दे, टूटे फूटे और सुविधाहीन डिब्बे निकाल कर नये

डिब्बे जोड़ें जाएँ साथ ही २५० किलोमीटर से ज़्यादा दूरी की यात्रा


वाली तमाम गाड़ियों में कम से कम 4-4 डिब्बे

द्वितीय श्रेणी के और जोड़े जाएँ ताकि जिनका टिकट कन्फ़र्म हो,


वे यात्री उनमे यात्रा कर सकें


# गाड़ी में हर दो बोगियों के लिए कम से

कम एक टिकट चैकर और हर बोगी में

एक खलासी हो, जो ये ध्यान रखे

कि गाड़ी में भिखारी, साधू, बेटिकट या अनधिकृत फेरी वाला कर लोगों को डिस्टर्ब करे वो ये भी ध्यानरखे कि पानी है या नहीं, बिजली है या नहीं, पंखे चल रहे हैं या नहीं.........साथ ही उसके पास साधन होनाचाहिए कि ज़रूरत पड़ने पर वह डाक्टर, पुलिस और व्हील चेयर बुलवा सके।

# गाड़ी में अमुक अमुक और उचित स्थानों पर ये लिखा रहना चाहिए कि गाड़ी कहाँ से कहाँ तक का सफ़रकरते हुए कब पहुंचेगी तथा रास्ते में किस किस स्टेशन पर कितना रुकेगी तथा कहाँ कहाँ यात्री को भोजनवगैरह की व्यवस्था मिलेगी


# जिस प्रकार लिखा रहता है कि यात्री ये करें, वो करे, इसी प्रकार ये भी लिखा होना चाहिए कि टिकटचैकर के दायित्व क्या क्या हैं ? और यात्री के अधिकार क्या क्या हैं हर बोगी की सुरक्षा के लिए कम से कम दोसशस्त्र पुलिस की तैनाती हो, जो केवल थोड़ी दूर यानी दो-तीन स्टेशन तक ही जाएँ और खड़े रहें मुस्तैद। यात्रीकी सीट पर बैठ कर उसे डिस्टर्ब करे, साथ ही वे केवल सुरक्षा करें, किसी भी प्रकार की वसूली या बेटिकटयात्रियों का परिवहन नहीं


# जब गाड़ी स्टेशन पर आये तो हर बोगी के दोनों तरफ ये स्वचालित डिस्प्ले होना चाहिए कि उस कीपोजीशन क्या है ? अर्थात बोगी में कोई सीट खाली है या नहीं, यदि हैं तो कितनी सीटें खाली हैं ? इससे लोगों कोसीट प्राप्ति के लिए टी टी के पीछे भिखारी की तरह घूमना नहीं पड़ेगा


# प्लेटफोर्म के सामने पटरियों पर गन्दगी किसी भी सूरत में क्षम्य नहीं होगी, यदि प्लेटफोर्म के आसपासबदबू और सड़ांध हो, तो स्टेशन मास्टर को तुरन्त सेवा मुक्त कर दिया जाये।


# हर बड़े स्टेशन पर रेलवे द्वारा बड़े आधुनिक जल संयंत्र कायम करके ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि यात्रीके पास अगर बोतल या अन्य पात्र हो तो उस को अधिकतम दो रूपये लीटर में फ़िल्टर और शीतल जल मिलजाये - बोतल बन्द पानी की बिक्री पर लगाम लगनी चाहिए जो यात्री मुफ़्त में पानी चाहें उनके लिए भीसमुचित व्यवस्था नलों की होनी चाहिए जैसे एक नियम बन जाये कि स्टेशन पर जितने पंखे होंगे कम से कमउतने नल ज़रूर होंगे और सभी कार्यशील रहेंगे


# एक वर्ष तक किसी भी व्यक्ति को मुफ़्त पास नहीं दिया जाये स्टाफ को तो कतई नहीं दिया जाये औरविकलांगों, स्वतंत्रता सैनानियों, खिलाड़ियों, पत्रकारों नेताओं के सारे उच्च श्रेणी के पास रद्द कर देने चाहियें इनका जितना दुरूपयोग होता है उतना रेलवे में शायद ही किसी अन्य चीज का होता होगा जिसे भी यात्राकरनी है वह अगर मुफ़्त यात्रा का अधिकारी भी है तो उसे टिकट लेकर ही तकनीकी चाहिए......भले ही वह tikat
फ्री में मिले


तकनीकी कारणों से रेलगाड़ी का शेष भाग अगली पोस्ट में..क्योंकि अचानक मुझे मुम्बई से शूटिंग का बुलावा आ गया है और १३,१४ व १५ को मुम्बई में रहना पड़ेगा . अगली पोस्ट तक इंतज़ार करें







9 comments:

honesty project democracy June 12, 2010 at 2:56 PM  

बहुत ही अच्छा सुझाव है और सराहनीय भी है ,इसपर रेल मंत्रालय के अधिकारीयों और मंत्रियों को जरूर गौर करना चाहिए ,जिम्मेवारी तो हर किसी की तय होनी ही चाहिए तब जाकर कुछ बदलाव आएगा |

संगीता स्वरुप ( गीत ) June 12, 2010 at 3:22 PM  

आपके सुझाव तो अच्छे हैं...पर पंखों की संख्या जितने नल कुछ ज्यादा हैं...

ये सब तो सरकार के लिए सुझाव हैं...कुछ यात्रियों के लिए भी ...सुझाव हों तो बेहतर होगा

L.R.Gandhi June 12, 2010 at 3:39 PM  

kaun karega yah sab.. mamtaji to singoor mein jami baithi hain. ....apse sou pratishat sahamat hoon...

Unknown June 12, 2010 at 3:55 PM  

@ sangeeta ji !

pletform par pankhe 20 -20 feet doori par rahte hain ..........kya bis bis feet doori par nal nahin hona chahiye ?



@ L R Gandhi ji !

desh ki janta agar ek maamooli vivaad ko le kar sadkon par aa sakti hai, agar sirf meena aur gurzar samaaj ke log hi sarkar ko majboor kar sakte hain toh desh ki janta agar ekjut ho jaaye toh kya nahin kar sakti....

abhi toh maine jaldbaazi me keval thoda sa likha hai, likhna zaroori isliye tha kyonki maine aaj ka vaada kiya tha lekin jaise hi meri shooting poori hoti hai main vo sab post karoonga jo mere bheetar laavaa ban ke ubal raha hai ..

koi 300 ke aas pas kadam uthaane hain desh ko, aur desh sukhi ho jaayega , aisa mera dridh vishwaas hai .


@ honesty project democracy

aapse phone par bhi lambi baat hui thi, aapke samarthan ka main swagat karta hoon.

kripya prateeksha kijiye....main aapko voh doonga jo is desh me koi neta, koi press ya koi kalaakar aj tak nahin de saka

jai hind !

नीरज मुसाफ़िर June 12, 2010 at 5:53 PM  

खत्री साहब,
सुझाव तो बहुत ही कीमती हैं। लेकिन कोई सुने-माने तब ना।

शिवम् मिश्रा June 12, 2010 at 6:24 PM  

बढ़िया सुझाव है पर इन सब के ऊपर एक बात है कि हम लोगो को भी अपने अन्दर कुछ बदलाव लाने होगे ताकि हम भी नियम और कानून का पालन करना सीख सकें ! जब तक हम खुद को नहीं बदलेंगे तब तक सरकार चाहे कुछ भी कर ले इस देश में बदलाव नहीं आने वाला ! बाकी आपका प्रयास सफल हो यही शुभकामनाएं है !

राजीव तनेजा June 12, 2010 at 7:55 PM  

सुझाव तो सभी आपके एक से एक बढ़िया और नायाब है लेकिन अगर इन्हें असलियत का जामा पहनाया जा सके तभी इनका फायदा है...
और इन्हें हकीकत में इन्हें अमल में लाने के लिए अपनी सरकार को दृढ संकल्प होना पड़ेगा...

Unknown June 12, 2010 at 8:02 PM  

@ Rajeev taneja ji !

mere bhai, agar sarkaren hi kuchh karne yogya hotin toh ye noubat hi nahin aati, ab sarkaaren nahin, janta faisla mkaregi aur kaise karegi......main sab parat-dar-parat kholta jaaunga ...

aap bharosa rakhen...

badlaav sunishchit hai !!!!!!!!

jai hind

शरद कोकास June 16, 2010 at 10:35 PM  

मैं तो सोच रहा था आप मज़ाक मज़ाक मे लिख रहे हो लेकिन यह तो बहुत गम्भीर सुझाव हैं .. इसे दीदी को ज़रूर भेजिये ।

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