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Albela Khatri

क्यों री रचना ? कहाँ हैं तुम्हारे सब नापसन्दीलाल ?


क्यों री रचना ?

क्या हुआ ?

कहाँ गये तुम्हारे सब नापसंदीलाल ?

ब्लोगवाणी के साये में ही जी रहे थे क्या ?

ब्लोगवाणी के अभाव में मर गये क्या सब ?

बस ?

इतना ही पोदीना था क्या ?

_______________हा हा हा हा


सात दिन पहले जैसी छोड़ गया था .......वैसी ही मिली

बिना किसी नापसंद के साथ

एक दम कोरी.............निष्कलंक !


चलो अच्छा हुआ

अपनी रचना को बेदाग़ देखकर ख़ुशी हुई

अब अन्य रचनाएं भी कदाचित ऐसी ही मिला करेंगी..............

नापसंदियों का हुआ क्षय

गूंजी रचनाकारों की जय

जय हिन्दी

जय हिन्द !

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8 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' June 29, 2010 at 6:00 AM  

बहुत बढ़िया और करारा व्यंग्य!

समयचक्र June 29, 2010 at 6:00 AM  

क्या बात है बहुत खूब भाई...

ब्लॉ.ललित शर्मा June 29, 2010 at 11:07 AM  

jay ho guru
jay jay ho

शिवम् मिश्रा June 29, 2010 at 1:03 PM  

ओम शांति शांति शांति !!!

राज भाटिय़ा June 29, 2010 at 2:35 PM  

बहुत सुंदर जी धन्यवा्द

Shah Nawaz June 29, 2010 at 5:00 PM  

:-)

Unknown June 29, 2010 at 5:40 PM  

बेचारे नापसन्दीलाल, बहुत बुरा हुआ उनके लिये

संगीता स्वरुप ( गीत ) June 30, 2010 at 10:09 AM  

व्यंग अच्छा है ..पर इसमें बेचारी ब्लोगवाणी का क्या कसूर ? यह तो लोगों कि मानसिकता है जो गलत प्रयोग करते हैं .

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