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Albela Khatri

आपने सुना .....क्या कहती है ब्लोगवाणी की खामोशी ?

ब्लोगवाणी का यों गुमसुम और निष्क्रिय हो जाना हम सभी को

बहुत अखर रहा है उन्हें भी जो इसका सदुपयोग कर रहे थे

और उन्हें भी जो दुरूपयोग कर रहे थे, साथ ही मुझ जैसे नये

रंगरूटों को भी जो ब्लोगवाणी का केवल उपयोग कर रहे थे


हालांकि वैयक्तिक और वैचारिक स्तर पर तो ब्लोगवाणी के

बारे में मुझे कुछ ख़ास जानकारी है और ही उसके संचालकों से

परिचय - लेकिन आज मैंने ब्लोगवाणी की खामोशी सुनी

.........जी हाँ ! खामोशियाँ भी बोलती हैं मैंने सुनी हैं वो आपको

बताता हूँ आपने भी सुनी होगी, आप अपने अनुभव बताइये

..........हो सकता है कोई सार्थक परिणाम निकल आये।



मैंने सुना :


# अत्यधिक हस्तक्षेप किसी भी व्यवस्था को चौपट कर देता है


# निर्लेप और निर्दोष अथवा निष्पक्ष रहना बड़ा मुश्किल है,

परन्तु निर्विकार रहना सबसे मुश्किल है जिसका अभाव ही

किसी तंत्र को बन्द करता है यदि गाड़ी का कोई पुर्जा ख़राब

नहीं है, ईधन की कमी नहीं है और चालक भी कुशल है तो

उस गाड़ी के असमय बन्द होने का कोई खतरा नहीं है। गाड़ी

अगर चलते चलते स्वयं बन्द हो गई है तो इसका सीधा अर्थ है

कि कहीं कहीं कोई कोई कमी ज़रूर रही है


# मुफ़्त के माल का कभी सम्मान नहीं होता


# दुधारू पशु केवल दूध ही नहीं देते, पोटा भी करते हैं,
इसलिए

ये उम्मीद नहीं करना चाहिए कि सब अच्छा ही अच्छा होगा


# ब्लोगवाणी बन्द नहीं हुई है, छुट्टी पर है छुट्टियाँ पूर्ण होने

पर पुनः आगमन होगा और पहले से भी अधिक सुन्दर,

व्यवस्थित निष्पक्षता का प्रतीक बन कर होगा


# सबको मिल कर प्रार्थना करनी चाहिए ...........यदि रूठी है

तो मनाने के लिए, बीमार है तो स्वस्थ होने के लिए और अगर

महानिद्रा में चली गई है तो आत्मिक शान्ति के लिए.......


जय हिन्द !

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3 comments:

Satish Saxena June 30, 2010 at 1:36 PM  

सही कह रहे हो भैया, अधिक ईमानदारी जीने नहीं देती !
बढ़िया फोटो लगाया है ..शुभकामनायें :-)

राज भाटिय़ा June 30, 2010 at 3:10 PM  

अजी बालंग बाणी जहा भी हो जिस रुप मै भी हो खुश रहे, अगर गई है तो हमारी ही करतुतो से गई है.... किस मुंह से मानाये उसे, क्योकि जब आयेगी फ़िर से वोही झगडे होंगे, इस लिये हम तो चुप है जी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' June 30, 2010 at 10:36 PM  

अपने स्वर में मेरा3 भी सुर मिला दीजिए!

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