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गुस्से का दौरा आत्मगौरव के लिए ऐसा विघातक है जैसा ज़िन्दगी के लिए संखिया - जे० जी० हालेंड





जब कभी तुम गुस्से में हो, तो यकीं रखो कि वह सिर्फ़ मौजूदा बेहूदगी

ही नहीं है, बल्कि उससे भी बढ़ कर ये कि तुमने एक आदत और बढ़ा ली.....

-
एपिकटेट्स



गुस्सा बिनकारण नहीं होता लेकिन शायद ही कभी उचित कारण से होता है

-
फ्रैंकलिन



गुस्से का दौरा आत्मगौरव के लिए ऐसा विघातक है

जैसा ज़िन्दगी के लिए संखिया

-
जे० जी हालेंड



गुस्सा करने का मतलब है आत्मा की शान्ति खोना, अपने ऊपर काबू

खोना, विचार की स्पष्टता खोना, परिस्थिति पर पकड़ खोना और

अक्सर निकटवर्ती लोगों का मान खोना

-
अज्ञात महापुरूष

4 comments:

Majaal September 3, 2010 at 6:51 PM  

वो एक शेर है न,
उन्हें आता है हमारे प्यार पे गुस्सा,
हमको उन के गुस्से पे प्यार आता है !
हालाकि ये रोमांटिक शेर है,पर message तो universal है, क्रोध को मात्र प्रेम से जीता जा सकता है.

अच्छा संकलन

समयचक्र September 3, 2010 at 7:07 PM  

बहुत सटीक ..... आभार

शिवम् मिश्रा September 5, 2010 at 9:49 PM  

सत्य वचन महाराज !

dev September 10, 2010 at 6:11 PM  

गुस्सा आदमी की कमजोरी को दर्शाता है !

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