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Albela Khatri

एक आदमी जो शमशान-यात्रा से हर्षमस्त लौटा....



चित्त के प्रसन्न होने से सब दुःख नष्ट हो जाते हैं जिसका चित्त प्रसन्न,

निर्मल हो गया है उसकी बुद्धि भी शीघ्र स्थिर हो जाती है


- गीता



जो अपनी छलकती आँखों से, पवित्र विचारों से, मीठे शब्दों से और

शुभ कार्यों से आनन्द बरसाता है, लोग उसको हमेशा प्रसन्न रखते हैं


-अज्ञात महापुरूष


कार्य-रत रहने से ही चित्त को प्रसन्नता मिलती है मैं एक ऐसे

आदमी को जानता हूँ जो एक शमशान-यात्रा से हर्षमस्त लौटा,

सिर्फ़ इस कारण कि उसका इन्तेज़ाम उसके सुपुर्द था


-बिशप होर्न


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7 comments:

कविता रावत October 26, 2010 at 12:02 PM  

achhi prastuti...
Hasya ratn samman ke liye haardik subhkamnayne

निर्मला कपिला October 26, 2010 at 2:07 PM  

सत्य वचन। आभार।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' October 26, 2010 at 6:09 PM  

अच्छी प्रस्तुति!
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
बुधवार के चर्चा मंच पर आपकी पोस्य का चयन किया है जी!
http://charchamanch.blogspot.com/

संगीता पुरी October 26, 2010 at 10:58 PM  

अच्‍छी प्रस्‍तुति !!

अनुपमा पाठक October 27, 2010 at 2:49 PM  

nice!

संगीता स्वरुप ( गीत ) October 27, 2010 at 10:50 PM  

ज़िम्मेदारी का एहसास कराती अच्छी पोस्ट

Aruna Kapoor October 28, 2010 at 2:27 PM  

उस व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी व्यवस्थित ढंग से निभाने से खुशी मिल रही थी!...सुंदर प्रस्तुति!

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