पाप के बहुत से हथकंडे हैं,
लेकिन
झूठ वह हैन्डिल है
जो उन सब में फिट हो जाता है
संसार के महान व्यक्ति
अक्सर
बड़े विद्वान् नहीं होते
और
न ही बड़े विद्वान
महान व्यक्ति हुए हैं
-होम्ज़
झूठ का हैन्डिल सब जगह फिट हो जाता है ......
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
वह और भी सुखी है
वह सुखी है
जिसकी परिस्थितियाँ
उसके स्वभाव के अनुकूल हैं,
लेकिन
वह और भी सुखी है
जो
अपने स्वभाव को
परिस्थिति के अनुकूल बना लेता है
- ह्यूम
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
कृतज्ञ हूँ महिला ब्लोगर्स का और लखनऊ वालों का
आज बहुत दिनों बाद नेट खोला है और अपने ब्लोगर मित्रों से मुखातिब
होने का अवसर मिला है लेकिन अभी भी पूरी तरह से समय इतना
अनुकूल नहीं है कि कुछ ख़ास लिख सकूँ, बस...............ये कहने के लिए
बैठा हूँ कि मेरे बड़े भैया कि बाईपास सर्जरी सफल रही और अब वे
अस्पताल से घर आ गये हैं इसलिए मैं भी अब घर और अस्पताल से मुक्त
हो कर अपने कार्यक्रमों की ओर ध्यान देने की स्थिति में आ गया हूँ ।
बहरहाल इतना ज़रूर कहूँगा कि लखनऊ प्रवास के दौरान अन्य जो मान-
सम्मान मिला, वह तो रूटीन वर्क था लेकिन श्री रवीन्द्र प्रभात व श्री जाकिर
अली रजनीश के प्रयास व संयोजन में लखनऊ ब्लोगर्स असोसिएशन की
जो महफ़िल जमी और मुझे जिस प्रकार का स्नेह और आशीर्वाद मिला,
वह मैं कभी नहीं भूल सकता ।
सम्वाद डोट कॉम व परिकल्पना के बैनर तले चिट्ठाकार हास्य रत्न
पुरस्कार भी मुझे प्रदान किया गया । मैं इसके लिए भी कृतज्ञ हूँ । परन्तु
सर्वाधिक ऋणी हूँ मैं उन महिला ब्लोगर्स का जिन्होंने अपनी उपस्थिति
से बैठक में चार चाँद लगा दीये................ आदरणीय सर्वसुश्री मीनू खरे,
सुशीला पुरी, अलका मिश्रा, डॉ अनीता समेत कुल 6 ( दो नाम याद कर
रहा हूँ ) महिलाओं की उपस्थिति ने ये तो प्रमाणित कर दिया कि भले ही
मुझे बार- बार नारी विरोधी कहा गया हो, लेकिन मैं नारी विरोधी हूँ नहीं ।
कहने को बहुत कुछ है ............लेकिन लाचारीवश अभी इतना ही................
बहुत जल्दी कुछ विशेष पोस्ट के साथ हाज़िर हो कर आपका मनोरंजन करूँगा
तब तक के लिए जय हिन्दी - जय हिन्द !
Labels: अपनी बात
लीजिये मित्रो ! ये रहा मेरा सुझाव पत्र हिन्दी ब्लोगिंग को आगे बढ़ाने तथा ब्लोगर्स को लाभ पहुँचाने के लिए
सीधी और स्पष्ट बात है कि जब देश, समाज और मानवता को
कलंकित करने वाले असामाजिक तत्त्व रुपया कमा सकते हैं,
नेताओं और पुलिस की दलाली करने वाले पीत पत्रकार रुपया
कमा सकते हैं और अपराध समाचारों के नाम पर ज़बरदस्ती
सनसनी फैलाने वाले चैनलीय तमाशेबाज़ जब तगड़ा माल कमा
सकते हैं तो इस देश में और देश के बाहर दुनिया भर में हिन्दी और
हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने की अभीप्सा में रात दिन लेखनी
चलाने वाले बुद्धिजीवी केवल नि:स्वार्थ सेवा क्यों करे ? क्यों नहीं
हिन्दी ब्लोगर को उनके श्रम का सम्मानजनक मानधन भी मिले,
ताकि घर फूंक के तमाशा देखना बन्द हो.............इस मुद्दे पर मैंने
जो योजना बनाई है वो निम्न प्रकार है :
सभी ब्लोगर और सारे एग्रीग्रेटर मिल कर प्रयास करे तो ये बहुत
आसान है । भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय,
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, सांस्कृतिक
मंत्रालय और राज भाषा विभाग इसमें अहम् भूमिका निभा
सकते हैं । बहरहाल मेरा पुरज़ोर प्रयास है कि
# जिस प्रकार समाचार -पत्रों और पत्रिकाओं के लिए रजिस्ट्रार
ऑफ़ न्यूज़ पेपर्स बाकायदा "टाइटल" पंजीकृत करता है और
नियमित प्रकाशन करने वाले संपादकों को पत्रकार का
परिचय -पत्र मिल जाता है जिसके ज़रिये उनके लिए बहुत से
खर्च बच जाते हैं जैसे कि बसों में किराया, वाहनों की पार्किंग
और टोल टैक्स , रेलवे आरक्षण में प्राथमिकता, अति विशिष्ट
व्यक्तियों से मिलने अथवा किसी भी सरकारी आयोजन में पहुँचने
की बे रोक-टोक अनुमति इत्यादि - इसी प्रकार प्रत्येक ब्लोगर
स्वामी/सम्पादक को यह सुविधा मिलनी चाहिए।
# राज्य सरकारों के 'डी पी आर' और भारत सरकार के 'डी ए वी पी'
जिस प्रकार तमाम समाचार पत्रों को, खासकर लघु व मध्यम दर्जे
के समाचार पत्रों को प्रोत्साहन देने के लिए विज्ञापन देते हैं उसी
प्रकार ब्लोग्स को भी विज्ञापन मिलने चाहियें ।
# जिस प्रकार मासिक, पाक्षिक, साप्ताहिक और दैनिक प्रकाशनों
के लिए अलग अलग रेट होते हैं विज्ञापन के उसी प्रकार ब्लोग्स
की भी श्रेणी बँट सकती है । जो ब्लॉग नियमित और दैनिक
प्रकाशन करता है उसे ज़्यादा रेट मिलना चाहिए बाकी जो कभी
कभी करते हैं उनके लिए यथायोग्य रेट तय हो सकते हैं ।
# १५ अगस्त , २६ जनवरी, २ अक्तूबर इत्यादि विशेष दिनों तथा
पोलियो मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा एवं पर्यटन
सम्बन्धी सजावटी विज्ञापन अनिवार्य रूप से सभी ब्लोग्स को
मिलने चाहियें ।
# राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष अरबों रुपया राज भाषा
हिन्दी के विकास के नाम पर बन्दर बाँट को प्राप्त होता है तो क्यों
न उसका एक बड़ा हिस्सा ब्लोग्स पर भी खर्च हो क्योंकि ये तो
है ही हिन्दी को बढ़ावा देने का सशक्त माध्यम ।
# ब्लोगर सम्मेलन और ब्लोगर मीट के लिए सरकारी कोष से
धन मिलना चाहिए, प्रेस क्लब की तरह हर शहर में ब्लोगर्स
क्लब के लिए जगह और निर्माण कार्य की व्यवस्था नगर
पालिकाओं द्वारा की जानी चाहिए।
# जब रेल पटरी के साथ चलने वाली दीवारों पर, लोगों के घरों पर
और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापन दे कर बड़ी बड़ी
कम्पनियां अपने प्रोडक्ट को चमकाती है तो यही काम वे
ब्लॉग के ज़रिये भी कर सकती हैं ।
# सार्थक और सकारात्मक ब्लोगिंग के लिए सरकारी तौर पर
बड़े पुरुस्कारों तथा सम्मानों की घोषणा होनी चाहिए।
# जिस प्रकार देहात तथा अहिन्दी भाषी क्षेत्रों से प्रकाशित होने
वाले हिन्दी प्रकाशनों को विशेष मदद मिलती है उसी तर्ज़ पर दूर
दराज़ तथा अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के ब्लोगर्स को विशेष सहायता
मिलनी ही चाहिए।
# साहित्य अकादमी की तरह ब्लोगिंग अकादमियां भी बननी चाहियें ।
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हिन्दी का ब्लोगर क्यों मोहताज़ रहे किसी एड्संस का जबकि
सरकार के पास हर साल भारी मात्रा में वह रुपया बच जाता है जो
उसे राजभाषा के लिए खर्च करना होता है क्योंकि खर्च करने के
लिए उसके पास कोई कार्यक्रम ही नहीं, कोई योजना ही नहीं
.........बस वर्ष का अन्त निकट आता है तो आनन् फानन में कुछेक
पुरस्कार बाँट दिये जाते हैं ।
____और भी बहुत सी बातें हैं लेकिन आलेख लम्बा हो चला है
इसलिए शेष अगले अंक में पढियेगा ।
बहरहाल, यदि आप सब हिन्दी के ब्लोगर्स ( मैं नर और नारी दोनों
से मुखातिब हूँ ) को लगता है कि ऐसा होना चाहिए तो आओ, एक
जगह, एक बैनर के नीचे सब एकजुट हो जाओ और तमाम मन
मुटाव त्याग कर प्रयास करो कि जल्द से जल्द हम इस अभियान
को सफल कर सकें ।
आपके सुझाव और शिकायतों का सदैव स्वागत है ।
जय हिन्दी - जय हिन्द !
www.albelakhatri.com
पहली बार मैं किसी पोस्ट को पढने का आग्रह कर रहा हूँ, यदि आप मान लेंगे तो हिन्दी ब्लोगिंग का लाभ अवश्य होगा
प्यारे दोस्तों !
समय आ गया है कि अब हिन्दी ब्लोगर अपना महत्व पहचाने, अपनी
भूमिका - अपने दायित्व और अपने सम्पादकीय धर्म के साथ-साथ
अपने अधिकार को भी समझे तथा उसे प्राप्त करने का भरसक प्रयास करे
ताकि ब्लोगिंग केवल टाइम पास करने का शगल अथवा वैयक्तिक
भड़ास निकालने का ज़रिया न रह कर सामाजिक प्रसिद्धि, सम्मान
और आर्थिक आय के स्रोत का मजबूत माध्यम बन सके ।
मेरा मानना है कि सभी ब्लोगर और सभी एग्रीग्रेटर मिल कर यदि
भारत सरकार से बात करे और अपना पक्ष रखे तो बहुत कुछ हो
सकता है । इस क्षेत्र में आर्थिक आय की विराट सम्भावनाएं हैं जिन्हें
हमें सच में बदलना है तो ज़रा सा ज़ोर सब को मिल कर लगाना
होगा । इससे दो बड़े लाभ होंगे - पहला तो ये कि आपसी वैमनस्य
मिटेगा क्योंकि भले ही पाँचों उँगलियाँ अलग-अलग हों, खाते वक्त
तो एकजुट हो ही जाती हैं । लिहाज़ा जब ब्लोगिंग व्यवसाय बन
जायेगी, तो सभी ब्लोगर अपने ब्लॉग पर बेहतर से बेहतर सामग्री
छापने का प्रयास करेंगे, फोकट में विष वमन का काम स्वमेव बन्द
हो जाएगा । दूसरा ये कि समय के बदले जब पैसा प्राप्त होगा तो हमारे
घर वाले भी हमें और हमारी ब्लोगिंग को ताने नहीं देंगे बल्कि स्वयं
सहयोग करेंगे ताकि हम बेहतर परिणाम दे सकें नतीजा ये निकलेगा
कि ब्लोगिंग में पोस्ट सम्बन्धी सुधार आएगा और विषय भी नये
नये आयेंगे ।
इस सन्दर्भ में मैंने अपने 28 वर्षों के पत्रकारीय अनुभव, वैयक्तिक
सोच और गहन चिन्तन के बल पर एक समग्र व्यवस्था की स्पष्ट
रूप-रेखा तैयार की है जो अपनी आगामी पोस्ट में प्रकाशित कर रहा
हूँ । मेरा सभी ब्लोगर स्वजनों से करबद्ध निवेदन है कि आप उस
पोस्ट को ज़रूर ज़रूर पढ़ें तथा अपनी राय से अवगत कराएं । यदि
आपको लगता है कि उसमे कुछ और भी संशोधन हो सकता है तो
कृपया नि:संकोच बताएं ।
मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि आने वाला समय हिन्दी ब्लोगिंग
के लिए अत्यन्त उज्ज्वल और समृद्धि भरा होगा और वह समय दूर
की कौड़ी नहीं, बहुत निकट का मामला है ।
तो मिलते हैं अगली पोस्ट पर.................
मुझे आप सब के ध्यान और समर्थन का अवलंबन चाहिए...परिणाम
ऐसे आयेंगे कि सबको आनन्द आ जाएगा ।
जय हिन्दी - जय हिन्द
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