Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता' वो बोले, 'यही तो लोकराज है'


उस रात रेल में

गुजरात मेल में

हमने मौका देख कर एक पैग लगाया


थोड़ा बहुत खाना खाया

अपनी आरक्षित शायिका पर बिस्तर बिछाया

और बत्तीसी पर ब्रश रगड़ कर बन्दा जैसे ही वापस आया

तो पाया

एक ठिगना सा,

मोटा सा गंजा सा,

भद्दा सा

नेतानुमा खादीधारी व्यक्ति

हमारी शायिका पर काबिज़ हो गया है

और हमारे ही बिछाए बिस्तर पर बेधड़क सो गया है

हमने उसे झिंझोड़ कर जगाया और बताया

कि भाया ये शायिका हमारी है

वो बोला, 'शायिका क्या पूरी गाड़ी तुम्हारी है'

हमने कहा, 'हमने इसका पैसा दिया है'

वो बोला, 'तो मुझ पे क्या ऐहसान किया है?'

फिर ख़ुद ही गैंडा छाप सिगरेट का

मुड़ा-तुड़ा पैकेट हमारी तरफ़ बढ़ाते हुए बोला,

'गुस्सा मत कीजिए, लीजिए गैंडा छाप सिगरेट पीजिए'

हमने कहा, 'हम बीड़ी के शौकीन हैं, सिगरेट नहीं पीते'

वो बोला, 'जनाब! एक कश लगा कर तो देखिए,

'ज़िन्दगी रंगीन हो जाएगी'

हमने कहा, 'आप हमें आस्तीन चढ़ाने को मजबूर मत कीजिए'

नेता बोला, 'श्रीमान जी, शान्त हो जाइए

लीजिए मुफ़्त की सिगरेट पीजिए'

यह कह कर नेता ने

हमारी तरफ़ सिगरेट का पैकेट बढ़ा दिया

फोकट में मिलती देख हमारे भी मुंह में

तलब का पानी आ गया

हमने एक सिगरेट निकाल कर अधरों से लगाया सुलगाया

और एक हाहाकारी सुट्टा लगाया तो

हमारा पूरा दिमाग़ बेयरिंग सा घूमने लगा

और शरीर बेवड़े की भांति झूमने लगा

खोपड़ी में प्रलयंकारी चक्कर आने लगे

तो नेता जी हमें देख कर मुस्कुराने लगे

हमने कहा, 'आपको बत्तीसी निकालते हुए शर्म नहीं आती?'

वो बोले, 'हमें तो मज़ा आ रहा है,

हमारी सिगरेट में मिला गांजा रंग ला रहा है

अब आप रात भर परेशान होते रहेंगे

और हम तुम्हारी बर्थ पर गदहे बेच कर सोते रहेंगे'

हमने कहा, 'तुमने छल किया है'

वो बोला, 'इस देश का नेता और करता ही क्या है?

अब जो हो रहा है होने दो हमें चुपचाप सोने दो'

हमने कहा, 'हमारे भेजे में कुछ अटक रहा है'

वो बोले, 'गांजे का धुआं है,

जो अबु सलेम की तरह बाहर निकलने को भटक रहा है'

हमने कहा, 'तबीयत घबरा रही है'

वो बोले, 'डरो मत, सोनिया एंड पार्टी रूपया गिरा रही है'

हमने कहा, 'दम घुट रहा है'

वो बोले, 'देश लुट रहा है'

हमने कहा, 'चित्त परेशान है'

वो बोले, मनमोहन महान है'

हमने कहा, 'जान पे बन आई है'

वो बोले, 'ये कांग्रेस आई है'

हमने कहा, 'दर्द बढ़ता ही जा रहा है'

वो बोले, 'मतदान का दिन नज़दीक आ रहा है'

हमने कहा, 'यमदूत नज़र आ रहे हैं'

वो बोले, 'नीतिश कुमार के दिन ख़राब आ रहे हैं'

हमने कहा, 'मौत का खटका है'

वो बोले, 'ये नरेन्द्र मोदी का झटका है'

हमने कहा, 'हम मर जाएंगे'

वो बोले, 'मंदिर वहीं बनाएंगे'

हमने कहा, 'बाल-बच्चे क्या खाएंगे?'

वो बोले, 'ये लालू यादव बताएंगे'

हमने कहा, 'कुछ सुनाई नहीं देता'

वो बोले, 'ये जनता की आवाज़ है'

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता'

वो बोले, 'यही तो लोकराज है'

जय हिन्द !


अलबेला खत्री

pravin b. nanavati & hasyakavi albela khatri

1 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen August 24, 2013 at 12:47 PM  

बहुत बढ़िया कविता/तथ्य हैं.

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive