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Albela Khatri

आने वाले समय में हमारे बच्चे इतिहास की किताबों में ये भी पढेंगे


आज़ादी के बाद वह भारतवर्ष के लिए  सबसे कठिन और  काला समय था जब वैश्विक बाज़ार में भारतीय रुपया लगातार  गश खा कर गिर रहा था  और अमेरिकी डॉलर उसकी छाती पर चढ़ कर nude dance कर रहा था. सब्जी से ले कर सोना तक हर वस्तु इत्ती महंगी हो गई थी कि आम तो आम, ख़ास लोग भी त्राहि त्राहि  कर उठे थे . यहाँ तक कि भारत सरकार ( अगर कहीं थी )  ने अपना  जेबखर्च चलाने के लिए एक बार फिर देश का सोना गिरवी रखने  का मन बना लिया था .

सब बावली बूच की तरह एक दूसरे को देख रहे थे . किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि जब सरकार के पिछवाड़े में इतना दम ही  नहीं था कि अपना नाश्ता पानी का खर्च भी उठा  सके तो उसने करोड़ों लोगों को सस्ता अनाज देने का हवाई फ़ायर किया ही क्यों ?  और फ़ायर भी ऐसा फुस्सू कि  जिसमे बुलेट तो चला ही नहीं  और  तमन्ची की पतलून गीली के साथ साथ  पीली भी हो गयी .  आम जनता अपने को ठगी हुई महसूस कर रही थी  क्योंकि  उसके पास इतना सोना भी नहीं था की गिरवी रख कर प्याज़ और अनाज ले सके . सब रो रहे थे, परन्तु सरकार में शामिल कुछ हरामखोर कांग्रेसी लोग ऐसे भी थे जो उस विपत्ति में भी ठहाके लगा रहे थे, जलसा कर रहे थे और मस्ती में  भांगड़ा कर रहे थे क्योंकि  उनकी साज़िश  कामयाब हो चुकी  थी.

दरअसल जनता जिसे  मन्दी समझ रही थी वह मन्दी नहीं, बल्कि  एक गन्दी चाल थी  जिसके ज़रिये नेताओं ने खुद को मालामाल और राष्ट्रकोष को कंगाल बना डाला क्योंकि कांग्रेस पार्टी जान चुकी थी कि नरेन्द्र मोदी  की लोकलहर में उसका राज अब डूबने वाला है और दोबारा कभी आने वाला भी नहीं तो क्यों न  ऐसे कुकर्म करें कि  डॉलर व सोने का भाव चढ़ जाए ताकि स्विस बैंकों में रखा अपना कालाधन अपने आप बढ़ जाये . ज़ाहिर है  भ्रष्ट नेताओं का जो धन स्विस बैंकों में था  वह डॉलर और सोने के रूप में ही था  और रूपये की हत्या होने का सीधा लाभ उन्हीं को  और उनके चन्द चहेते उद्योगपतियों  व पूँजी बाज़ार के खिलाड़ियों को ही मिलने वाला था . अतः सोच समझ कर धीरे धीरे देश को गर्त में धकेला  गया ताकि  कांग्रेस के  बाद जो भी सरकार  आये, उसके पास बजाने के लिए घण्टा भी न बचे . परन्तु होनी को कुछ और ही मन्ज़ूर था .

जैसे ही पब्लिक को इसकी भनक लगी, उन्होंने उन कुचमादियों को घेर लिया और मार मार कर भुरता  बना  डाला इससे घबराकर कुछ षड्यन्त्रकारी  इटली भाग गए, कुछ  अन्य  देशों में जा छुपे और जनता ने भारी बहुमत से भाजपा को जिता कर वज्रपुरूष नरेन्द्र मोदी  को प्रधानमंत्री बना दिया  जिनके सत्ता सम्हालते ही  सी बी आई और आयकर विभाग ने तमाम भगौड़ों को जा दबोचा  और  उन्हें  जूते मार मार कर सारा छुपा धन वसूल कर लिया .  मोदीजी के एक ही फोन पर  स्विस बैंकों ने  भारतीयों का सारा कालाधन खुद अपने ही विमानों में भर कर दिल्ली  पहुंचा दिया तथा  भारत की इस परमविजय के सम्मान में मुद्राबाज़ार में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत सिर्फ़ एक रूपया रह गई .

जय हिन्द !

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