Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

प्यार गर मिलता रहे इन्सान को इन्सान से

तिनका भी मिल जाए तो टकरायेंगे तूफ़ान से


है हमें उम्मीद नव पीढ़ी के हर नौजवान से


ज़ुल्म और दहशत वतन में कौन फ़िर करेगा


प्यार गर मिलता रहे इन्सान को इन्सान से

12 comments:

Unknown September 10, 2009 at 9:26 AM  

विडम्बना तो यही है खत्री जी कि इन्सान को इन्सान से प्यार ही तो नहीं मिलता।

चार पंक्तियों में बहुत सुन्दर सन्देश!!!

Ashish Khandelwal September 10, 2009 at 9:37 AM  

वाह.. क्या पंक्तियां पेश की हैं.. हैपी ब्लॉगिंग

रज़िया "राज़" September 10, 2009 at 10:15 AM  

सुंदर रचना। बधाई।

शिवम् मिश्रा September 10, 2009 at 10:17 AM  

आमीन !!

विनोद कुमार पांडेय September 10, 2009 at 10:33 AM  

जान है इंसान मे हर बाधाओं से टकराने का.
सुंदर भाव से सजी कविता..

अविनाश वाचस्पति September 10, 2009 at 11:53 AM  

प्‍यार तो चाहिए/मिलता है इंसान में
हम तलाशते फिरते हैं हैवान में भी

डॉ. शेरंजग गर्ग की पंक्तियां गौर फरमाइएगा :-

बड़े अनूठे हैं हम लोग
टूटे फूटे हैं हम लोग।

राजीव तनेजा September 10, 2009 at 12:05 PM  

बढिया सोच के साथ लिखी गई प्रभावी रचना...


तालियाँ ...

Prem Farukhabadi September 10, 2009 at 12:09 PM  

bahut behtareen.badhai!!

अनिल कान्त September 10, 2009 at 3:54 PM  

अच्छी पंक्तियाँ

Chandan Kumar Jha September 11, 2009 at 1:20 AM  

बहुत हीं सुन्दर विचार संप्रेषण हुआ है इस कविता से ।

Murari Pareek September 14, 2009 at 6:14 PM  

इंसान से ज्यादा कौन है नामा स्याह | बहुत गज़ब की पक्तियां है आपकी !

Sudhir (सुधीर) September 16, 2009 at 6:35 AM  

सुन्दर कामना अलबेला जी

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive