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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

एक संकट आ पड़ा है भाई ! बचाओ... बचाओ ......बचाओ......कोई रास्ता सुझाओ

एक संकट में पड़ गया हूँ भाई लोगो !

सुबह से ही परेशान हूँ और बहुत परेशान हूँ

मेरी मदद कीजिये प्लीज़........


24 घंटे चपर-चपर चर्चा करन्तु एक महिला अर्थात गुड्डू की माँ ने

जैसे ही बिल्डिंग वालों को बताया कि कल 'ये' गोवा जा रहे हैं, मेरी मुसीबत

शुरू हो गईकुल मिला कर अब तक 72 अडौसी-पडौसी मिलने चुके हैं

जिन्हें गोवा के काजू मंगाने हैं और छिलके वाले मंगाने हैंमज़े की बात ये

हैं कि 2 किलो से कम किसी को नहीं चाहिए..........


इस हिसाब से कमसे कम 144 किलो काजू तो सिर्फ़ पडौसियों को सप्लाई

करने हैंख़ुद को चाहिए तो अलग से ..........

वैसे तो मैं इन सबको टरका देता.... ये कह कर कि मैं गोवा से सीधा सूरत

नहीं आऊंगा ...कई और जगह जा कर आऊंगा इसलिए नहीं ला सकता

लेकिन वो क्या हैं कि मंगाने वाली भाभियाँ और कन्याएं इतनी सुन्दर

हैं तथा इतनी प्यारी हैं कि मैं उनकी बात टाल नहीं सकता,,,,,,


अब मैं करूँ तो क्या करूँ ?

आर्डर सभी ने दिया हैं ..पैसा किसी ने नहीं दिया हैं ..जैसे काजू का बाग

मेरे पिताजी ने उगा रखा हैं..........और मैं कवि नहीं कुली हूँ जो इतना

भार लाद कर उनके लिए काजू लेकर आऊं ..........


सोचता हूँ काजू का व्यापर ही कर लूँ............जब इतनी खपत हैं, तो

धन्धा करने में क्या बुराई हैं.........

कुछ समझ नहीं रहा हैं और एक घंटे बाद प्रस्थान भी करना हैं ,

मेरी मदद कीजिये प्लीज़............

कोई रास्ता सुझाइए प्लीज़...........


18 comments:

अविनाश वाचस्पति September 10, 2009 at 12:49 PM  

आप मेरे लिए तो बिना छिलके वाले डेढ़ किलो काजू ही ले आइयेगा। वैसे बतला दूं कि मैं सुंदर नहीं हूं पर आप कहेंगे तो रामलीला वालों से उधार लेकर सीता जी का मुखौटा धारण कर लूंगा।
अब आप यह नहीं कह सकेंगे कि सबने छिलके वाले काजू ही मंगवाए हैं या दो किलो से कम नहीं मंगवाए हैं।

तो फिर आप गोवा जा रहे हैं या ........

फरीदाबाद में शनिवार 12 सितम्‍बर 2009 को प्रात: साढ़े दस बजे से आयोजित होने वाले साहित्‍य शिल्‍पी के वार्षिकोत्‍सव और नुक्‍कड़ के ब्‍लॉगर्स स्‍नेह महासम्‍मेलन में शिरकत कर रहे हैं।
ब्‍लॉगर्स स्‍नेह महासम्‍मेलन में आयेंगे तो जरूर बच जायेंगे ..... बस कुछ कवितायें सुनानी होंगी जिनके लिए कुछ मिलेगा भी नहीं। परन्‍तु 144 किलो काजू खरीदने से जो पैसे बचेंगे .........
क्‍या ख्‍याल है जनाब का ..

राजीव तनेजा September 10, 2009 at 1:21 PM  

काजू तो यार...मुझे भी बहुत पसन्द हैँ लेकिन आपके मोहल्ले की सुकोमल कन्याओं के होते हुए अपना नम्बर आएगा?...ऐसा नामुमकिन ही लगता है...


आपकी यात्रा मँगलमय हो

Gyan Darpan September 10, 2009 at 1:25 PM  

खत्री जी इसका उपाय यहाँ है टका वाळी रौ ई खुणखुणियौ बाजसी | ज्ञान दर्पण

शिवम् मिश्रा September 10, 2009 at 1:59 PM  

दद्दा, दिल मत तोड़ना किसी का , काजू तो ले ही आना !!

संगीता पुरी September 10, 2009 at 1:59 PM  

मेरे विचार से इस स्थिति में काजू का व्‍यापार करना ही सबसे अच्‍छा रहेगा !!

Nitish Raj September 10, 2009 at 2:50 PM  

व्यापार करते ही घाटा होगा, सुंदरता को देखकर कब तक बिन पैसे के देंगे। अब तो आप फंस चुके ये बात ब्लॉग पर डालकर। अब तो ब्लॉग वाले हम दोस्त भी आपसे काजू मंगवाएंगे और पार्सल का खर्चा भी आपको ही देना होगा। मेरे लिए भी दो किलो।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" September 10, 2009 at 3:08 PM  

अब जा ही रहे हैं तो सौ- पचास ग्राम हमारे लिए भी लेते आईयेगा.....:)

Shruti September 10, 2009 at 5:46 PM  

do kilo hamare liye bhi le aayega

ab total kitne ho gaye hai ;-)

-Sheena

अमिताभ मीत September 10, 2009 at 9:23 PM  

गुरूजी दो किलो मेरे लिए भी ले आना !!

sandhyagupta September 10, 2009 at 10:39 PM  

Thoda mere liye bhi!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद September 10, 2009 at 11:11 PM  

अरे भैया, कह देना पेमेन्ट कर दिया है और शिपमेंट कर के आ रहे हैं:)

Chandan Kumar Jha September 11, 2009 at 1:15 AM  

बहुत ही मुश्किल समस्या है…………………:)

अनिल कान्त September 11, 2009 at 12:41 PM  

kya mera number aayega ?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' September 11, 2009 at 6:35 PM  

ज्यादा काजू मत खाना।
शुगर होने का डर है।
बधाई!

राज भाटिय़ा September 12, 2009 at 10:33 PM  

सब की उम्र बताओ, हम बाप बेटा सब के लिये काजू ले आयेगे, आप की जान भी बचेगी, अजी छिलके वाला, बिना छिलके के, नमक वाला, मिठ्ठा जेसा पसंद होगा हाजिर होगा :)

अविनाश वाचस्पति September 14, 2009 at 11:35 AM  

हर खास ओ आम
और ब्‍लॉगर को
सूचित किया जाता है कि
अलबेला खत्री जी काजुओं के साथ
या काजू अलबेला जी के साथ
गोवा छोड़ चुके हैं और
किसी भी क्षण
सूरत पहुंचने वाले हैं
जो काजूओं की और अलबेला जी की
सूरत का दीदार करना चाहेंगे
वहां हाजिर हो जाएं
जो वहां पहुंच जायेंगे
उनको तो 100 प्रतिशत काजू मिल जाएंगे
बाकियों को कूरियर से या ऑनलाईन
उनके खातों में सीधे जितने बचेंगे
औसत निकाल कर भिजवाये जायेंगे

ब्‍लॉगर स्‍नेह महासम्‍मेलन का
असीम स्‍नेह यहीं नजर आएगा
महासम्‍मेलन के भागीदारों को
अलबेला खत्री जी खुद उनके
ब्‍लॉग ब्‍लॉग पर जाकर
काजू रूपी टिप्‍पणियां बटवायेंगे।

जल्‍दी ही वे और उनकी टिप्‍पणियां
आपको नजर आएंगी।

Murari Pareek September 14, 2009 at 6:11 PM  

मेरी मानिये सबको जैसे भी करके टाल दीजिये कैसे बोझ उठाएंगे १४४ किलो का | हाँ मेरे लिए दो किलो छिलके वाले कांजू जरुर ले आइयेगा |

Sudhir (सुधीर) September 16, 2009 at 6:33 AM  

गोआ वापसी के बाद की काजू कथा वाली पोस्ट की प्रतिक्षा रहेगी

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