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Albela Khatri

इक अमिट स्वाभिमान है चित्तौड़गढ़...........

मान है अभिमान है चित्तौड़गढ़

शौर्य की पहचान है चित्तौड़गढ़



रत्नगर्भा धरती राजस्थान की

आन-बान-ओ-शान है चित्तौड़गढ़



त्याग है ये अमर पन्ना धाय का

भामाशाही दान है चित्तौड़गढ़



राणा सांगा जैसे अनगिन वीरों के

बल का गौरव-गान है चित्तौड़गढ़



ज्वाला जौहर की अभी तक दग्ध है

सतियों का सम्मान है चित्तौड़गढ़



अमर योद्धा महाराणा प्रताप का

इक अमिट स्वाभिमान है चित्तौड़गढ़



नृत्य मीरा ने किया इसी भूमि पर

प्रेम का सोपान है चित्तौड़गढ़



पद‌्मिनी का रूप जग विख्यात है

सौन्दर्य की खान है चित्तौड़गढ़



कह रहा कण-कण यहां की रेत का

महान है महान है चित्तौड़गढ़



कर लो माथे पर तिलक इस माटी का

बहुत गरिमावान है चित्तौड़गढ़



शक्ति और भक्ति का संगम है जहां

ऐसा तीर्थ स्थान है चित्तौड़गढ़

12 comments:

Udan Tashtari September 4, 2009 at 8:22 AM  

चित्तोड़गढ़ महिमा पसंद आई.

Gyan Darpan September 4, 2009 at 8:34 AM  

वाह ! शानदार, चितौड़ तो नाम ही ऐसा है जिसे याद करने पर रगों में अपने आप जोश भर जाता है |

अलबेला जी स्व. तन सिंह जी द्वारा लिखा "वैरागी चितौड़ " जरुर पढ़े |
http://www.gyandarpan.com/2008/11/blog-post_29.html
http://www.gyandarpan.com/2008/11/vairagi-chittod.html
http://www.gyandarpan.com/2008/11/vairagi-chittod-3.html

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' September 4, 2009 at 8:39 AM  

राजस्थान की धरती का गुण-गान करती,
इस शौर्य रचना के लिए बधाई!

रज़िया "राज़" September 4, 2009 at 10:48 AM  

सुंदर! रचना चित्तोड्गढ के मान और स्वाभिमान के बारे में।

राज भाटिय़ा September 4, 2009 at 11:47 AM  

बहुत ही सुंदर कविता लिखी आप ने ओर चित्तोड्गढ के मान ओर स्वभिमान को बहुत अच्छी से दर्शाया, हम ने बचपन मै चितोडगढ, मीरा ओर महाराणा प्रताप जी के बारे पढा था, आज आप ने फ़िर से याद दिया दिया.
धन्यवाद

शिवम् मिश्रा September 4, 2009 at 11:53 AM  

एक एक पंक्तियाँ सच्चाई बयान करती है! बहुत खूब!

वन्दना अवस्थी दुबे September 4, 2009 at 1:36 PM  

सचमुच पूरा राजस्थान ही शौर्य गाथाओं का पर्याय है. फ़िर चित्तौढ्गढ की तो बात ही निराली है.

Chandan Kumar Jha September 4, 2009 at 1:38 PM  

ओजपूर्ण रचना........बहुत सुन्दर.

Prem Farukhabadi September 4, 2009 at 5:06 PM  

शक्ति और भक्ति का संगम है जहां
ऐसा तीर्थ स्थान है चित्तौड़गढ़

yah roop bhi aapka bahut bhaya. Albela ji badhai!!

Unknown September 4, 2009 at 5:30 PM  

"शक्ति और भक्ति का संगम है जहां
ऐसा तीर्थ स्थान है चित्तौड़गढ़"

बहुत खूब!!

शरद कोकास September 4, 2009 at 6:20 PM  

मात्र 22 पंक्तियों मे चित्तोड़्गढ़ का सम्पूर्ण इतिहास , यह कमाल तो अलबेला जैसा कवि ही कर सकता है । बधाई -शरद कोकास ,दुर्ग छ.ग.

राजीव तनेजा September 4, 2009 at 8:35 PM  

चितौड़गढ के बारे और अधिक जान कर अच्छा लगा
...
ओजपूर्ण रचना

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