ब्लोगर मित्रो,
नमस्कार !
जिनके स्मरण मात्र से हमारी सम्पूर्ण चेतना में राष्ट्रभक्ति का ज्वार
उमड़ पड़ता है ऐसे महान स्वाधीनता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र
बोस की पावन स्मृति में एक भव्य काव्य-संकलन
www.albelakhatri.com द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है ।
काव्य की सभी विधाओं में रचनाएं आमन्त्रित हैं ।
प्रत्येक प्रकाशित रचना पर उचित मानदेय राशि तथा काव्य-
संकलन की एक प्रति प्रेषित की जायेगी ।
तीन सर्वोत्कृष्ट रचनाओं पर 2100-2100 रूपये की राशि
अतिरिक्त भेन्ट की जायेगी ।
चूँकि यह प्रकाशन नेताजी को काव्यांजलि के साथ साथ हिन्दी
काव्य लेखन को गति देने के लिए है इसलिए रचना मौलिक और
अप्रकाशित ही भेजें ।
नियम एवं पात्रता :
इस प्रकाशन में केवल वही रचनाकार शामिल किये जायेंगे जो
कि www.albelakhatri.com में पंजीकृत हैं . अतः यदि आप
अभी तक पंजीकृत नहीं हुए हैं तो अब हो जाइए और नेताजी को
काव्यांजलि के रूप में हिन्दी साहित्य को अपनी ऊर्जस्वित
लेखनी से और आगे बढ़ाइए.
रचनाएँ भेजने के लिए आज से 15 फरवरी तक का समय है ।
16 फरवरी के बाद कोई भी रचना स्वीकार नहीं होगी ।
रचना यहाँ भेजें :
www.albelakhatri.com में log in करके submit article में
में new क्लिक करें और category नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
पर क्लिक करके रचना ठीक वैसे ही पोस्ट कर दीजिये जैसे आप
वहां अन्य रचनाएं पोस्ट करते हैं
जय हिन्द !
- अलबेला खत्री
ब्लोगर मित्रो, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को काव्यांजलि दीजिये साथ ही नाम के साथ-साथ नगद नारायण इनाम भी लीजिये
नारीवादियो ! एक आध आँसू इस पर भी हो जाये........
एक नारी ने
मदिरा की खुमारी में
मुम्बई में मरीन लाइन्स पर
कार चलाई ठीक वैसे
कुर्सी की खुमारी में
देश की राजनेत्रियाँ दिल्ली में
चला रही सरकार जैसे
लेकिन कोई कुछ बोलता नहीं है
मुँह अपना कोई खोलता नहीं है
_____हे नारीवादियो !
नारी कार चलाये बढ़िया बात
सरकार चलाये बढ़िया बात
पैग लगाये एतराज़ नहीं
मौज मनाये एतराज़ नहीं
पर इतना तो हो
थोड़ा सम्हल कर चला जाये
यों न लोगों को कुचला जाये
नारी स्वतंत्रता का नारा लगाने वालो
कोई संवाद या चर्चा धांसू इस पर भी हो जाये
कुछ मासूम लोग बड़ी दर्दनाक मौत मारे गये हैं
हो सके तो एक आध आँसू इस पर भी हो जाये
www.albelakhatri.com
Labels: नारी तू नारायणी
आप टेन्शन मत लीजिये बापू ! हमारे यहाँ लोकतन्त्र में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच ही नीच है
मेरी भावना का लोकतन्त्र वह है
जिसमें छोटे से छोटे व्यक्ति की आवाज़ को भी
उतना ही महत्व मिले
जितना एक समूह की आवाज़ को
- महात्मा गांधी
हाय बापू !
पुण्यतिथि का वार्षिक यानी औपचारिक प्रणाम ।
समाचार ये है कि आपको कोई टेन्शन लेने की ज़रूरत नहीं है ।
आप वहां आराम से अपनी बकरी का दूध पीजिये और स्वर्ग का
मज़ा लीजिये, यहाँ सब ठीक चल रहा है । लोकतन्त्र बिलकुल
आपकी भावनाओं को समझ रहा है इसलिए मन्त्री लोगों के
छोटे से छोटे रिश्तेदार को भी उतना ही महत्व दिया जा रहा है
जितना कि बड़े बड़े जन समूह को दिया जाना चाहिए । ख़ासकर
10 जनपथ से तो अगर कोई कुत्ता भी आ जाये सूंघते हुए तो
अच्छे अच्छे अधिकारियों और कर्मचारियों की पतलूनें गीली हो
जाती हैं
बापू ,
अब हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच
ही नीच है इसलिए चिन्ता की कोई बात नहीं है । देश बहुत तरक्की
कर चुका है । आप ख़ुद ही सोचो जिस देश में 20 रूपये लीटर पानी
बिक रहा है, जिस देश के समृद्ध किसान सिर्फ़ इसलिए आत्महत्याएं
कर रहे हैं ताकि स्वर्ग में जा कर रम्भा का नृत्य देख सकें क्योंकि
मुम्बई में आजकल डान्स बार बन्द हैं और किसान व मज़दूर इतने
रईस हो गये हैं कि बिना अय्याशी किये रह ही नहीं सकते उस देश
की ख़ुशहाली के क्या कहने ।
ख़बरें अभी और भी हैं लेकिन मुझे शाम के लिए बाटली का इन्तज़ाम
करना है इसलिए नमस्कार आज तक - इन्तज़ार कीजिये अगली
बार तक. . .
जय हिन्द
www.albelakhatri.com
Labels: अपनी बात
हो सकता है सूरत की जेल में बन्द कोई कैदी निर्दोष हो, लेकिन जेलर तो पूर्णतः दोषी हैं
जी हाँ ! ये सच है कि सूरत की जेल के जेलर दोषी हैं .
सूरत की सब जेल में हज़ारों कैदी हैं और उन कैदियों पर जेल में
जिनकी हुकूमत चलती है वे वहाँ के जेलर हैं । जेलर का सरनेम
दोषी है इसलिए जब मैंने उनसे कहा कि जेलर साहेब, हो सकता है
आपकी जेल में बन्द कोई कैदी निर्दोष हो, लेकिन आप तो
शत प्रतिशत दोषी हैं । यह सुनते ही कैदियों के साथ साथ
वहाँ के स्टाफ की भी हँसी फूट पड़ी
बात को पूरा समझने के बाद कोई भी स्वयं को रोक
नहीं पाया, जेलर दोषी ने भी ज़ोरदार ठहाका लगाया ।
Labels: एक तमाशा मेरे आगे
मेहनत तो की लेकिन बीज नहीं डाला
जो विवेक के नियम तो सीख लेता है
लेकिन
जीवन में उन्हें नहीं उतारता
वह ऐसे व्यक्ति की तरह है
जिसने अपने खेतों में
मेहनत तो की
लेकिन बीज नहीं डाला
- शेख सादी
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
दया का महत्व .........
जो दूसरों के दुःख में
दया दिखता है
वह स्वयं
उस दुःख से छूट जायेगा
और जो
दूसरों के दुःख की
अवगणना करता है,
उस पर
हर्ष मनाता है
वह कभी न कभी
स्वयं उसमें जा पड़ेगा
- वाल्टर रेले
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
पैदा तो कर दिये मज़े मज़े में लेकिन पाल नहीं पा रहा हूँ, इसलिए तुम्हें मार रहा हूँ मेरे बच्चों ! मुझे माफ़ कर देना
लायी हयात आये, क़ज़ा ले चली चले
न अपनी ख़ुशी आये, न अपनी ख़ुशी चले
-हाली
आज का दिन बहुत भारी है मुझ पर ।
जिन बच्चों को बड़े शौक से मज़े मज़े ले ले कर पैदा किया था,
आज उन्हीं का गला घोंटने को मजबूर हो गया हूँ । क्योंकि अब
फ़ुरसत नहीं है इतनी कि इन्हें पाल सकूँ, सम्हाल सकूँ..........
वैसे भी सन्तान ढंग की हो तो एक ही काफी है । इसलिए एक ढंग
की औलाद रख कर बाकी सभी की गर्दन आज मैं उड़ा दूंगा क्योंकि
इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है मेरे पास..........
यकायक काम बढ़ने से अब समय बहुत कम मिलता है ऊपर से
www.albelakhatri.com को भी बहुत समय देना पड़ता है
इसलिए ................
आज से अपने सर्वाधिक प्रिय, मुख्य और बड़े बेटे
http://albelakhari.blogspot.com/ पर ही ज़्यादा ध्यान दूंगा ।
अन्य सभी को जिन कारणों से पैदा किया गया था वे उसमे चूँकि
पूर्णतः सफल नहीं रहे और समय भी पूरा खा रहे हैं इसलिए मैं
अपने ही हाथों इन सभी का टेंटुआ दबा रहा हूँ :
http://hindihasyakavisammelan.blogspot.com/
http://albela-khatri.blogspot.com/
http://hindikavisammelan.blogspot.com/
http://albelakhatris.blogspot.com/
http://laughterkephatke.blogspot.com/
http://khatrialbela.blogspot.com/
http://albelakhatrisurat.blogspot.com/
http://kavialbelakhatri.blogspot.com/
http://poetalbelakhatri.blogspot.com/
http://albelakhatrikavi.blogspot.com/
ये सब अलग-अलग इसलिए पैदा किये गये थे ताकि मेरे मुख्य
ब्लॉग पर केवल मेरे सामयिक आलेख रहें और बाकी सब पर
महापुरूषों की सूक्तियां, बड़े कवि शायरों की रचनाएं, हास्य,
वीडियो और आध्यात्म चर्चा वगैरह रहे, लेकिन जब मैंने पाया
कि इस बाज़ार में ज़्यादातर ग्राहक मूंगफली खाने वाले ही हैं ।
बादाम के शौकीन बहुत ही कम लोग हैं और जो हैं वो ख़ुद अपनी
दुकानें लगाए बैठे हैं तो मैंने निर्णय लिया कि आज से एक ही
जगह सब सामान उपलब्ध करा देंगे जिसे जो पसन्द हो, चुनले
और काम में ले ले.........
लिहाज़ा आज से एक ही पर पूरा ध्यान दिया जाएगा । बाकी
सबको अन्तिम दर्शन के लिए रखा गया है जिन्हें करना हो,
शौक से कर लें।
शोक संतप्त :
-अलबेला खत्री
www.albelakhatri.com
Labels: अपनी बात
जो केवल अपनी ही पुस्तकों के बारे में बोलता है,
वह लेखक
जो केवल अपनी ही
पुस्तकों के बारे में बोलता है,
लगभग उतना ही तुच्छ है
जितना वह माँ
जो केवल
अपने ही बच्चों की बात करती है
- डिज़रायली
www.albelakhatri.com
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा ..........
जो लोगों के व्यवहार से ऊब कर
क्षण - प्रतिक्षण अपना मन बदलते रहते हैं,
वे दुर्बल हैं
और उनमें आत्मबल नहीं होता ।
जीवन में
विशेषकर राजनीति में
कोई चीज़ इतनी हानिकर और खतरनाक नहीं है
जितना कि डावांडोल स्थिति में रहना
-नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को सलामे-हिन्द...जय हिन्द !
आज 23 जनवरी है ........
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म दिवस !
बड़े भाव से, बड़ी श्रद्धा से उनको स्मरण करता हूँ
और उनकी कमी
बड़ी शिद्दत से महसूस करता हूँ ।
वे आज हमारे आँसू पोंछने के लिए
हमारे बीच नहीं हैं लेकिन ऐसा लगता है
कि वे आयेंगे...फिर आयेंगे...
क्योंकि
एक-एक चेहरा मायूस सा हताश सा है
एक-एक चेहरा उदास मेरे देश में
बहू को जला रही है सास मेरे देश में
तोड़ो नहीं बन्धु यह आस मेरे देश में
पैदा होगा फिर से सुभाष मेरे देश में
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
Labels: छन्द घनाक्षरी कवित्त
तुझे कवि किसने बनाया भूतनी के.......
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में दो कलमकार रहते हैं । एक शायर
है और दूसरा कवि । दोनों कहने को आपस में दोस्त हैं लेकिन, सच
पूछो तो नस नस में दुश्मनी भरी है इसलिए दोनों इक - दूजे को नीचा
दिखाने की कोशिश करते रहते हैं । उनका एक मज़ेदार किस्सा---
शायर बोला -
कपास को जब काता तो बन गया वो सूत
कवि की माँ भूतनी और बाप इसका भूत
कवि को बड़ा बुरा लगा, उसने विरोध किया तो शायर बोला - मैंने
तुम्हें थोड़े न गाली दी है । मैंने तो शायरी लिखी है । कवि पंचायत
में गया शिकायत ले कर तो पंचों ने भी यही कहा कि शायर साहेब
ने कविराज को माँ-बाप की गाली नहीं दी है बल्कि शायरी लिखी है
जिसका सुबूत है सूत से भूत की तुक का मिलना।
कवि बेचारा मन मसोस कर रह गया । लेकिन अगले दिन जैसे ही
शायर नज़र आया, कवि ने कहा-
रुई की बनाई पुरनी, पुरनी से काता सूत
शायर की माँ चुड़ैल.....
अबके शायर भड़क गया तो कवि बोला - मैंने तुम्हें गाली नहीं दी
है । मैंने तो कविता लिखी है । शायर भी अपनी शिकायत लेकर
पंचायत में गया तो पंचों ने कहा कि शायर ठीक कहता है । कवि
ने जान बूझ कर शायर को माँ की गाली दी है । कवि बोला - गाली
कहाँ ? ये तो कविता है । पंच बोले- कविता है तो तुक क्यों नहीं
मिल रही ? तो कवि बोला तुक तो मिली है लेकिन तुमने पूरी
कविता सुनी नहीं । पंच बोले- ठीक है पूरी सुनाओ ! अगर तुक नहीं
मिली, तो सज़ा मिलेगी......
कवि बोला- पूरी कविता इस प्रकार है :
रुई की बनाई पुरनी, पुरनी से काता सूत
शायर की माँ चुड़ैल और पंचों का बाप भूत .....हा हा हा
Labels: चुटकुलाबाज़ी
यदि तुम ईश्वर से डरते हो तो मूर्ख हो........
यदि तुम डरते हो तो किससे ?
यदि तुम ईश्वर से डरते हो तो मूर्ख हो,
यदि तुम मनुष्य से डरते हो तो कायर हो,
यदि तुम
क्षिति,जल,पावक,गगन,समीर
नामक पाँच महाभूतों से डरते हो तो
उनका सामना करो।
यदि तुम अपने आप से डरते हो तो
अपने आप को पहचानो और कहो कि
मैं ब्रह्म हूँ
-स्वामी रामतीर्थ
www.albelakhatri.com
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
अपनों के ख़ून का चनाब मेरे देश में.......
आदमी की ज़िन्दगी का
हाल काहे पूछते हो,
हो चुका है ख़ाना ही ख़राब मेरे देश में
आदमी का ओढ़ के नक़ाब मेरे देश में
अपनों के ख़ून का चनाब मेरे देश में
शायर भी पीते हैं शराब मेरे देश में
Labels: छन्द घनाक्षरी कवित्त
बाल कलाकारों के लिए टीवी पर अपनी प्रतिभा दिखाने का सुनहरा मौका ! जल्दी कीजिये, कहीं गाड़ी छूट न जाये
प्यारे मित्रो !
इन दिनों सर्वाधिक चर्चित टी वी चैनल पर पर एक
"डान्स कॉम्पिटिशन" के लिए बड़ी संख्या में बाल कलाकारों की
आवश्यकता है ।
5 से 13 वर्ष की आयु के ऐसे बालक - बालिकायें जो नृत्य
सीखते हैं, सीखे हुए हैं और अपनी कला के माध्यम से नेम और
फेम कमाना चाहते हैं, तुरन्त अपना प्रोफाइल
www.albelakhatri.com पर दर्ज़ करवादें ।
यह एक सुनहरी मौका है, इस मौके को हाथ से जाने न दें.................
आज ही अभी www.albelakhatri.com पर स्वयं को नि:शुल्क
रजिस्टर करें और परिणाम के लिए प्रोडक्शन हाउस के फ़ोन का
इन्तेज़ार करें.......
शुभ कामना सहित,
-अलबेला खत्री
www.albelakhatri.com
Labels: www.albelakhatri.com , टेलेन्ट जंक्शन , टैलेंट जंक्शन
पहले अपने श्रोताओं की मानसिक स्थिति समझ लो ..
शब्दों का मूल्य जानने वाले
पवित्र पुरुषो !
पहले अपने श्रोताओं की
मानसिक स्थिति समझ लो
और फिर उपस्थित जन समूह की
अवस्था के अनुसार
अपना व्याख्यान देना आरम्भ करो
- सन्त तिरुवल्लुवर
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
बी एस पाबला जी को कोसने वालों पर कृपा करो सरस्वती माँ ! उन्हें व्यावहारिकता का थोड़ा ज्ञान दो माँ......
कल ब्लोगवाणी में मित्रों के आलेख और टिप्पणियां पढ़ते - पढ़ते
बाबा समीरानंद के रास्ते, रचना की एक टिप्पणी के ज़रिये मैं
"मसिजीवी" पर पहुँच गया जहाँ "चिट्ठाचर्चा" के स्वामित्व को
लेकर हंगामा मचा था और लोग पानी पी पी कर बी एस पाबला
को इसलिए कोस रहे थे क्योंकि उनके परिवारजन ने या उन्हींने
'चिट्ठाचर्चा' डोट कॉम का डोमेन अपने नाम लिया हुआ है ।
लोगों का गुस्सा देखा और ये फ़ालतू सा तर्क भी देखा कि चूँकि
चिट्ठाचर्चा पुराना है, पहले से चला आ रहा है इसलिए नैतिकता
के नाते पाबला जी को ये नाम नहीं लेना चाहिए था ।
इसका मतलब ये हुआ कि हज़ारों साल पहले दशरथ ने अपने पुत्र
का नाम राम रखा था तो अब किसीको भी नैतिकता के नाते वह
नाम नहीं रखना चाहिए..........हा हा हा हा
क्या फालतुगीरी चल रही है भाया !
ये कौनसी दुनिया से आये हुए लोग हैं जिन्हें इत्ती सी बात का भी
इल्म नहीं कि www के इस मेले में कोई भी आदमी किसी भी
दूकान से कोई भी खिलौना खरीद सकता है यदि वह पहले से
बिका हुआ नहीं हो तो...........और पाबला जी को वह खिलौना मिल
गया इसका मतलब साफ़ है कि किसी और को उसकी ज़रूरत ही
नहीं थी.........इसलिए बिका ही नहीं था । अब आपको वही नाम
चाहिए तो डोट कॉम के बजाय डोट नेट, डोट इन इत्यादि बहुत
से विकल्प होंगे ..ले लो
अगर चिट्ठाचर्चा डोट कॉम ही चाहिए तब भी आप पाबला जी से
बात कर लो और 10-20 हज़ार रुपये अतिरिक्त दे कर उनसे
प्राप्त कर लो । सिम्पल.........इसमें इत्ती भीड़ लगाने की ज़रूरत ही
कहाँ है ? ये तो बिजनेस का दौर है मेरे भाई ! इस हाथ दे, उस हाथ
ले............हा हा हा हा
लोगों ने यहाँ मेरे नाम के डोमेन, मेरे अपने नाम के डोमेन खरीद
रखे हैं ..मैं उनका कुछ नहीं उखाड़ पाया तो ..पाबला जी ने तो एक
कोमन नाम ही बुक कराया है , इसमें कानून क्या करेगा ?
हे माँ ! हे सरस्वती ! ज़रा समझ दे लोगों को ताकि वे ऐसी
चुगलखोरियाँ बन्द करके केवल अपने लेखन पर ही ध्यान दें
ताकि मुझे भी ऐसी फालतू पोस्ट दुबारा न लिखनी पड़े हालाँकि
मैं भली भान्ति जानता हूँ कि इस पोस्ट को उस पोस्ट से ज़्यादा
पाठक मिलेंगे जो मैंने कल देश हित में लिखी थी..हा हा हा हा हा
हा हा हा
जय माँ सरस्वती !
जन्मदिन की बधाई !
हालांकि पाबलाजी ने पोस्ट नहीं लगाईं
शायद उनको आपकी याद नहीं आई .......हा हा हा हा
www.albelakhatri.com
Labels: एक तमाशा मेरे आगे
वोइस ऑफ़ इण्डिया आभास और हास्य कवि अलबेला खत्री का धमाल इन laughter ke phatke on star one
laughter ke phatke with albela khatri & aabhaas
दूध में से निकला घी फिर दुग्ध भाव को प्राप्त नहीं होता
आत्म-स्वरूप में लीन चित्त
बाह्य विषयों की
चिन्ता नहीं करता
जैसे कि दूध में से निकला घी
फिर दुग्ध भाव को प्राप्त नहीं होता
- शंकराचार्य
Labels: महापुरूषों के अमृत वचन और अनुभव
हे वीणापाणि, वाणी को सुरों का ज्ञान दे दो माँ !
हे वीणापाणि, वाणी को सुरों का ज्ञान दे दो माँ !
कलम में बल, हृदय निर्मल,सहज सम्मान दे दो माँ !
दया का दान दे दो माँ ...यही वरदान दे दो माँ !
वतन के कर्णधारों को ज़रा ईमान दे दो माँ !
ज़रा ईमान दे दो माँ, वतन ख़ुशहाल हो जाए
समृद्धि की बहे धारा व मालामाल हो जाए
नई पीढ़ी के पीले चेहरे फिर से लाल हो जाए
ये भारतवर्ष जग में फिर बेमिसाल हो जाए
वसंत पंचमी अभिनन्दन
Labels: मुक्तक the albeli poem
फ़र्क कहाँ है बोलिये हिन्दू-मुसलमान का .........अपना रिश्ता तो फ़क़त मुस्कान से मुस्कान का
Labels: पुरस्कार सम्मान अभिनन्दन award
आओ ! हम मिलावट के कारणों को ही ख़त्म कर दें...
प्यारे देशवासियो !
आज मैं मज़ाकिया मूड में नहीं हूँ, गम्भीर हूँ और गम्भीर इसलिए
हूँ क्योंकि मज़ाक मज़ाक में बहुत नुक्सान हो चुका है देश का .......
अब सम्हलना है और सम्हालना है स्थिति को.......ताकि हम भी
बचें और ये समाज, ये देश भी बचे..........समय आ गया है कि अब
अन्य विषयों से ध्यान खींच कर, सारे अलगाव और मतभेद भुला
कर हमें एक जुट होना पड़ेगा तथा अपने स्तर पर पूरे पराक्रम के
साथ लड़ाई लड़नी पड़ेगी कुछ ऐसी बुराइयों से जो कि हमें और हमारे
देश को लगातार हज़ारों हाथों और लाखों दाँतों से खाये जा रही हैं ।
बड़ी बड़ी बातें बाद में करेंगे - पहले छोटी छोटी कर लें------------
आज देश को जितना खतरा RDX और आतंकवाद से है उससे भी
ज़्यादा मिलावटी दूध से है । नकली दूध और नकली दूध से बने
सामान खोया, पनीर, मक्खन, घी और च्हीज़ इत्यादि उत्पादनों
के माध्यम से हमारे घरों में रोग फैल रहे हैं । शरीर में जैसे जान
ही न रही, कोई उत्साह नहीं रहा और बच्चे - बच्चियों के नेत्रों और
दाँतों के साथ साथ हड्डियों में पसर कर विषैले तत्त्व हमारे
नौनिहाल को खोखला कर रहे हैं ।
हम मिलावट बन्द नहीं कर सकते, हम क्या हमारे फ़रिश्ते भी नहीं
कर सकते। क्योंकि चाहे कितनी भी पुलिसिया छापामारी हो,
स्वास्थ्य विभाग चाहे कितना भी नकली सामान बरामद करले ..
जब तक भ्रष्टाचारी सरकार और घूसखोर अधिकारी ज़िन्दा हैं
अपराधी पकड़े जाते रहेंगे और छूटते भी रहेंगे । कोई उनका बाल
भी बांका नहीं कर सकता ।
तो फिर रास्ता क्या है ?
रास्ता सिर्फ़ ये है कि हम मिलावट के कारणों को ही ख़त्म कर दें
ताकि किसी को मिलावट करने की ज़रूरत ही न पड़े...
मुझे भली भान्ति याद है मेरा बचपन........जब गर्मी के मौसम में
खोया, छैना और पनीर इत्यादि पर प्रतिबन्ध लग जाता था और
बाज़ार में हलवाई के पास बरफ़ी भी नारियल की मिलती थी
क्योंकि गर्मी के मौसम में दूध का उत्पादन कम होता था । तब
लग जाता था प्रतिबन्ध लेकिन आज ..यह जानते - बूझते भी कि
पशु लगातार मर रहे हैं - कभी बाढ़ में, कभी अकाल में, कभी
भूकम्प में तो कभी विभिन्न बीमारियों से लेकिन दूध की खपत
लगातार बढती जा रही है तब भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं
उठा पाई है ।
अब हमें करना सिर्फ़ इतना है कि न तो मिलावट करने वालों को
कोसना है न ही सरकार की शिकायत करनी है । केवल स्वयं को
मजबूत होना है और इन-इन चीज़ों का तुरन्त त्याग करना है :
# खोये से बनी मिठाइयाँ
# बंगाली मिठाइयाँ
# च्हीज़, पनीर और मक्खन और बाज़ारू घी किसी भी रूप में
# दूध + क्रीम से बने साबुन और सौन्दर्य प्रसाधन
# दूध + क्रीम से बने बिस्किट
# ऐसी सभी चोकलेट्स जिनमे दूध का उपयोग होता है
# दूध से बनी आइसक्रीम और कुल्फ़ियाँ
# इत्यादि
*** क्योंकि उपरोक्त वस्तुएं आमतौर पर नकली माल से बनी
होने के कारण न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए नुक्सानदेह है
बल्कि इन हालात में हमारे लिए जेब पर भी फ़ालतू का बोझ है
जिसे टाला जा सकता है ।
*** दूध खूब पीयो, लस्सी पीयो, छाछ पीयो, दही खाओ, घर का
मक्खन और घर का घी भी डट कर खाओ, कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा ।
लेकिन फ़ालतू खपत बन्द करनी पड़ेगी दूध की।
@@@ याद रहे, ज़रूरत की चीज़ें हम नहीं छोड़ सकते लेकिन
अगर फ़ालतू शौक तुरन्त ख़त्म नहीं किये तो हम ज़्यादा दिन
जी नहीं पायेंगे। क्योंकि सारा नकली माल उन्हीं में खपता है जो
नाम ऊपर गिनाये गये हैं ।
%%% जब ये खपत बन्द हो जायेगी तो असली दूध ही इतना
होगा देश में कि नकली बनाने और बेचने का काम स्वतः ख़त्म
हो जाएगा ।
नकली माल सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए चल रहा है क्योंकि असली
कम पड़ रहा है
आओ ! हम प्रयास करें, संकल्प लें कि ऐसी किसी भी चीज़ का
उपयोग नहीं करेंगे जो कि नकली दूध के निर्माण में सहयोग
देती हो ।
कर के देखें...............परिणाम बहुत उत्तम आएगा ।
विनीत
-अलबेला खत्री
Labels: सामयिकी