एक मुसीबत खड़ी हो गई है भाई !
अगर आप में से कोई सज्जन इस मुसीबत से बचने का कोई उपाय जानते हों तो कृपया मुझे अवश्य बताएं .
जिस स्कूल में मेरा बेटा पढता है, उसने कुछ फ़ीस वगैरह बढ़ा दी है जिसके चलते अनेक लोगों ने स्कूल में धमाल मचा रखा है और बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही है .
गुजरात के सूरत शहर में एक बहुत ही पुराने और जानेमाने स्कूल सर जे जे स्कूल जो कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों में काफी सम्मानित स्थान रखता है, एक अत्यन्त अनुशासित और मूल्य आधारित शिक्षा व्यवस्था वाले इस स्कूल में ना तो कोई डोनेशन लिया जाता है और न ही इसकी फ़ीस कोई ज़्यादा है जिस कारण मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे यहाँ शिक्षा पाते हैं .
छठे वेतन मान के लागू होने के कारण चूँकि स्टाफ की तनख्वाहें बढ़ गई हैं और अन्य भी खर्च बढ़ गये हैं इसलिए इस बार स्कूल ने प्राइमरी के छात्रों की फ़ीस 260 से बढ़ा कर 400 और प्री प्राइमरी छात्रों के लिए 300 से सीधे 600 रुपये मासिक फ़ीस कर दी है जिससे अनेक अभिभावक भड़के हुए हैं .
अब स्कूल की मज़बूरी ये है कि यदि उसे अपने यहाँ अच्छे टीचर बनाए रखने हैं तो फ़ीस बढानी पड़ती है और फ़ीस बढाते हैं तो लोग वहां तोड़ फोड़ व धमाल करते हैं हालाँकि वे लोग मुझे अभिभावक से ज़्यादा तमाशाई लगते हैं . क्योंकि अभिभावक कभी नहीं चाहेगा कि 100 -200 रूपये के लिए वह अपना और अपने बच्चे का समय खराब करे..........
भाई .........मैं तो स्कूल के साथ हूँ . क्योंकि ये स्कूल कोई मारवाड़ी की दूकान तो है नहीं कि मुनाफे के लिए खोली गई हो, ये तो पारसी पंचायत के ट्रस्ट द्वारा चलता है और कम से कम फ़ीस लेकर चलता है . अन्य स्कूलों के मुकाबले इसकी फ़ीस आज भी बहुत कम है और डोनेशन तो है ही नहीं
लिहाज़ा मैं उन सभी अभिभावकों से विनती करता हूँ कि स्कूल की मज़बूरी को समझते हुए उसे सहयोग करे और बच्चों की पढाई अनवरत चलने दें .
सीधी सी बात है, अगर 15 -20 दिन स्कूल बन्द करा के, बच्चों को पढाई से महरूम रख के और अपना कीमती समय खराब करके यदि आन्दोलनकारी अभिभावक फ़ीस बढ़ोत्तरी रद्द करवाने में सफल भी हो गये तो ये सफलता, सफलता नहीं होगी क्योंकि ज़्यादा वेतन के लिए अच्छे अच्छे टीचर स्कूल छोड़ कर दूसरे स्कूलों में चले जायेंगे और 75 वर्षों से चले आ रहे इस स्कूल का सारा नाम खराब हो जाएगा .
क्या 100 -200 रुपये महीना फ़ीस ज़्यादा दे कर अपना और अपने बच्चे का समय बचाना ज़्यादा उचित नहीं ?
हर चीज़ का भाव बढ़ा है .......महंगाई का असर अगर स्कूल फ़ीस पर भी पड़ा है तो इस पर हो हल्ला करके हम क्यों अपनी ही छीछालेदार करें............
प्रिय पाठक मित्रो ! यदि आप भी समझते हैं कि हमें स्कूल का साथ देना चाहिए तो कृपया कुछ शब्द अवश्य लिख कर टिप्पणी दीजिये ताकि वे कुछ समझ सकें जो आन्दोलन कर रहे हैं
जय हिन्द !
- अलबेला खत्री
www.albelakhatri.com
8 comments:
काश मैं अर्थशास्त्री होता ...!
बात तो ठीक है.. आखिर उन्हें भी तो बेचारों को अपने घर देखने होते हैं.. कहाँ जाएँ अध्यापक??
आपकी बात से सहमत हूँ!
जिस लिहाज से मंहगाई बढ़ रही है तो सेलरी भी बढ़ रही है..ऐसे में थोड़ी बहुत वृद्धि तो आपेक्षित है ही फीस में.
एक मध्यम परिवार के लिये हर माह 200 राशी बहुत अधिक है क्यों कि ये बढोतरी उन्हे केवल स्कूल को ही नही देनी उनके लिये तो हर चीज़ के हर जगह दाम बढे है मगर तन्ख्वाह उतनी नही बढती। सरकार को ही इस मामले मे कुछ करना चाहिये। आपके केस मे कुछ कहने की स्थिती मे नही म्योंकि अकसर स्कूल उतना पढाते नही जितनी फीस लेते हैं। आभार
सर जे जे स्कूल जो कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों में काफी सम्मानित स्थान रखता है, , वाह वाह जी
क्या कह सकते है , दर्द वही महसूस कर सकता है जिसे चोट लगी हो !
मै आपासे सहमत हूं!...अगर दूसरी चिज-वस्तुओं की बढी हुई कीमते आप बर्दाश्त कर रहे है...तो बच्चों की शिक्षा पर भी थोडासा ज्यादा खर्च करना आप को मान्य होना चाहिए!..बच्चों की शिक्षा अति महत्वपूर्ण है!
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