हँसाना और लोगों को मनोरंजित करना मेरा पेशा है इसलिए करता हूँ
कविता लिखना मेरा शौक है इसलिए वो भी करता हूँ
लेकिन
न जाने क्यों
कुछ दिनों से मन मेरा बुझा बुझा सा है
ऐसा लगता है मानो देश लुट चुका है और लगातार लुट रहा है
जिन के भरोसे हम अपने सुखी भविष्य के स्वप्न संजोते हैं
जिन के भरोसे हम अपने घर में निश्चिन्त हो कर सोते हैं
वही
लुटेरे निकले
जिन्हें उजाला समझा, वही अन्धेरे निकले
डर है
कहीं मिस्र वाला दृश्य भारत में न बन जाये...........
शोषित जनता की शोषक सत्ता से न ठन जाये
यदि ऐसा हुआ तो कवितायें सब धरीं रह जायेंगी
चुटकुले किसी काम न आयेंगे
काम आएगा सिर्फ़ घर में पड़ा राशन और जेब में रखा पैसा
ये सोच कर बहुत डर रहा हूँ
आजकल कवितायें नहीं केवल चिन्ता कर रहा हूँ
आजकल कवितायें नहीं केवल चिन्ता कर रहा हूँ
Labels: चिन्ता , स्थिति , हालत , हास्य कवि अलबेला खत्री के दिल से
रहने दे रंग लाल ! क्या पड़ा है इन बातों में ...
रंग लाल का बेटा नंग लाल पिछले तीन सालों से लगातार फेल हो रहा था ।
उसे जोश दिलाने के लिए रंग लाल ने सुबह सुबह चेतावनी दी - कान खोल
कर सुनले नंग लाल ! अगर इस बार भी तू फेल हो गया तो मुझे अपना
पापा मत कहना
शाम को जब नंग लाल परीक्षा परिणाम ले कर लौटा तो बाप ने कड़कती
आवाज़ में पूछा - कैसा रहा रिजल्ट ?
नंग लाल बोला -
रहने दे रंग लाल ! क्या पड़ा है इन बातों में ...
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क्योंकि यहाँ के लोग मरने के लिए आत्म-निर्भर हैं
ऑस्ट्रेलिया में तूफ़ान की मार है
उत्तरी अमेरिका में भयंकर गार है
चीन में बाढ़ का क़हर बरपा है तो
इजिप्त में दमनकारी नरसंहार है
कुल मिला कर सारी दुनिया दुखी है
केवल अपना भारत देश ही सुखी है
क्योंकि यहाँ के लोग मरने के लिए आत्म-निर्भर हैं
ट्रेन से गिर कर मर जायेंगे
नकली शराब से मर जायेंगे
कितने संतोषी लोग !
जहाँ राजा को भी कैद में जाने से गुरेज़ नहीं है
और
घोटालों को भी आदर्श कहने में परहेज़ नहीं है
जय हो !
कल मुम्बई में प्रोग्राम करके रात को सिंगापोर जाना है
इसलिए ज़्यादा कुछ लिखने के लिए समय नहीं है
लेकिन दोस्तों !
मन बहुत खिन्न है
दिल बड़ा उदास है
शायद आप भी हालात देख कर दुखी तो होंगे ही...............
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लोग नमक घिसने लगते हैं
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