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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी


इस दुनिया में कौन सुखी है बाबाजी

जिसको देखो, वही दु:खी है बाबाजी



तुम तो केवल चखना लेकर आ जाओ


बोतल हमने खोल रखी है बाबाजी



इसकी चन्द्रमुखी है, उसकी सूर्यमुखी


मेरी ही क्यों  ज्वालमुखी है बाबाजी



रिश्वत की मदिरा फिर उससे न छूटी


जिसने भी इक बार चखी है बाबाजी



बाप से बढ़ कर कौन सखा हो सकता है


माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी



काम अपना जी जान से करने वालों ने


अपनी किस्मत आप लिखी है बाबाजी



पथ के काँटे  क्या कर लेंगे 'अलबेला'


मैंने चप्पल पहन रखी है बाबाजी  







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