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Albela Khatri

जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

पहले अपने शब्द टटोलो  बाबाजी  

फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी 



साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है 


साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी 



जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है 


थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी 



मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर


अब तो अपने  कपड़े धोलो बाबाजी 



ढाई  बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी 


यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी 



हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली 


साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी 



रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?


आओ झूमो,  नाचो,  डोलो बाबाजी 



'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा 


जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

-अलबेला खत्री 

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4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' August 6, 2012 at 3:20 PM  

बहुत सुन्दर...!
सत्यवचन!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया August 6, 2012 at 4:43 PM  

बेहतरीन प्रस्तुति,,,,

RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

Shah Nawaz August 6, 2012 at 8:19 PM  

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी


वाह....... अलबेला की अलबेली रचना....

Ramakant Singh August 7, 2012 at 11:24 PM  

khubsurat

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