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Albela Khatri

उसने ही विष दे दिया, समझा जिसे तबीब





पाँच दोहे आँसू भरे


राजनीति के मंच पर, चढ़ गए आज दबंग 


फूट फूट कर रो रहे, ध्वज के तीनों रंग 



गधा जो देखन मैं चला, गधा न मिलया मोय 


तब इक नेता ने कहा, मुझसा गधा न कोय 



उजली खादी पहन के, करते काले काम 


इनका बंटाधार अब, करदो मेरे राम 



अभिव्यक्ति को घोंट कर, करो जेल में बन्द 


लोकराज के नाम पर, करते जाओ गन्द



हाय
हमारे  मुल्क का, फूटा हुआ नसीब 

उसने ही विष दे दिया, समझा जिसे तबीब 



-जय हिन्द !  

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7 comments:

yashoda Agrawal September 13, 2012 at 8:45 AM  

आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

Shah Nawaz September 13, 2012 at 9:30 AM  

Waaah.... Kya baat hai!

Shah Nawaz September 13, 2012 at 9:30 AM  

Dhau dala.... :-)

S.N SHUKLA September 13, 2012 at 11:59 AM  


saarthak srijan, badhai.

Ramakant Singh September 13, 2012 at 7:36 PM  

sarthak lekin ekaangi lagata . koi ek hi kyon doshi chunaw to hamara hai .

travel ufo September 13, 2012 at 8:38 PM  

badhiya

Anita Lalit (अनिता ललित ) September 15, 2012 at 12:15 PM  

अच्छा व्यंग !
जिन लोगों को पढ़ना चाहिए...काश! वो लोग भी इसे पढ़ते...
~सादर !

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