tag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post4992945009762059787..comments2024-03-02T14:16:26.676+05:30Comments on Albelakhatri.com: लीजिये गीत स्पर्धा में सहभाग और बनिए विजेता 55,555 रुपये के बम्पर अवार्ड केAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-88227758207430042602010-11-17T10:21:50.311+05:302010-11-17T10:21:50.311+05:30बंधुवर प्रत्युष जी,
नमस्कार.........
आपका गीत स्...बंधुवर प्रत्युष जी,<br />नमस्कार.........<br /><br />आपका गीत स्पर्धा में सम्मिलित हो गया है.....<br /><br />सहभागिता के लिए आभार<br /><br />-अलबेला खत्रीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-13218845462132217932010-11-17T09:51:34.163+05:302010-11-17T09:51:34.163+05:30गीत प्रतियोगिता में मेरी इस रचना को शामिल करें. यद...गीत प्रतियोगिता में मेरी इस रचना को शामिल करें. यदि कहीं और भी इस रचना को भेजना हो तो कृपया बताएं .<br /><br />आभार<br />प्रत्युष<br />9301034895<br /><br />माँ !<br /><br />सामने तेरे जब भी आऊं, खुद को बच्चा ही पाता माँ !<br />बड़ा होने का ढोंग मगर, क्यूँ सब से करना पड़ता है <br />मंदिर न जाने पर मुझको, हर कोई नास्तिक कहता माँ !<br />पर तेरे पैर जो छूता हूँ, तो क्यूँ न कोई समझता है<br /><br />जब मुझको अक्षर-ज्ञान कराया, तब तुम ब्रह्मण का रूप थी,<br />लड़ना बुराई से जो सिखाया, तो वो क्षत्रियता की धुप थी,<br />वणिक गुण ही उसे जानूं मैं, चवन्नी तक का हिसाब मिलाना,<br />शुद्र कर्म से अलग वो कैसे, मुझको सुबह नहलाना-धुलाना,<br /><br /> हम सबमें चारों वर्ण का लक्षण, तुझसे ही मैंने सीखा माँ !<br /> सदियों पुराना गलत विभाजन, आज भी पर क्यूँ चलता है<br /> मंदिर न जाने पर मुझको, हर कोई नास्तिक बोले माँ !<br /> पर तेरे पैर जो छूता हूँ, तो क्यूँ न कोई समझता है<br /><br /><br />मेरा हिस्सा सबसे पहले, मेहमान जब भी लाये मिठाई,<br />कुर्सी पंखा मेरे जिम्मे, दिवाली में जब घर की सफाई,<br />मेरे लिए रोज बचाकर, गुड़ के साथ मलाई खिलाना, <br />मीठी सी उस झिड़क के संग, कभी कभी झापड़ भी लगाना,<br /><br /> रूचि और अरुचि वो मेरी, बिन बोले तुमको मालूम माँ !<br /> कुछ तो खुद भी भूल गया मैं, तुम्हें ही बताना पड़ता है<br /> मंदिर न जाने पर मुझको, हर कोई नास्तिक बोले माँ !<br /> पर तेरे पैर जो छूता हूँ, तो क्यूँ न कोई समझता है<br /><br /><br />नमक लेने उस दिन जो निकली, ये क्यों नहीं बताया था <br />छुट्टे देख लड्डू खाने को, मैं कितना रोया था चिल्लाया था <br />एक न मानी तेरी फिर भी, आशीर्वाद ही देती तू <br />सब बोलें सिरचढ़ा मुझे पर, अच्छा-प्यारा ही कहती तू <br /><br /> उलझन गहरे इतने मन में, फिर भी कुछ नहीं जताती माँ !<br /> तुच्छ दुःख हर बार ये मेरा, पर तेरे ही आगे उमरता है <br /> मंदिर न जाने पर मुझको, हर कोई नास्तिक बोले माँ !<br /> पर तेरे पैर जो छूता हूँ, तो क्यूँ न कोई समझता है<br /><br /><br />थककर चूर जब सोने जाता, पैरों में वो तेल की मालिश <br />तौलिये से बालों को सुखाना, स्कूल से आते जो हुई थी बारिश <br />बचपन में बड़े होने का, वो जिद कितना बचकाना था <br />आज जाके जो जाना मैं, तूने तब से पहचाना था <br /><br /> चिडचिडा हूँ अभी भूख के कारण, बस तू ही ये समझे माँ !<br /> दृष्टि क्षय हो जाने पर भी, मुझसे ज्यादा तुझे दिखता है <br /> मंदिर न जाने पर मुझको, हर कोई नास्तिक कहता माँ !<br /> पर तेरे पैर जो छूता हूँ, तो क्यूँ न कोई समझता हैThe guy sans voicehttps://www.blogger.com/profile/14222506203808992951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-811709089817428562010-11-14T21:39:27.712+05:302010-11-14T21:39:27.712+05:30इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए अपनी रचना कह...इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए अपनी रचना कहाँ भेजना है ये स्पष्ट करें . आभार .The guy sans voicehttps://www.blogger.com/profile/14222506203808992951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-72007747811263070482010-11-12T14:14:27.274+05:302010-11-12T14:14:27.274+05:30यह गीत गुजरात के जग प्रसिद्द गरबा-गीत ‘मेहंदी ते व...यह गीत गुजरात के जग प्रसिद्द गरबा-गीत ‘मेहंदी ते वावी, माळवे ने...’ की तर्ज पर है!...उसी की धुन पर इसे गा सकते है!...यह मेरा स्वरचित गीत है! <br /><br />स्पर्धा के लिए गीत(स्वरचित} <br /> <br /> माँ का मै लाडला बेटा.... <br /><br />माँ ने बुलाया….मै दौड़ा आया...माँ ने गले लगाया मुझे रे...<br />माँ का मै लाडला...बेटा...रे...<br /><br />माता का हाथ जब….सिर पर हो तो भला..चाहिए मुझे क्या और रे...<br />माँ का मै लाडला बेटा...रे...<br /><br />शिक्षा दी मुझे….मेरी माँ ने कहा...करों अपने हाथो पर विश्वास रे...<br />माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br />शिक्षा ही माँ की..काम आई..मेरा हाथ ही मेरा जगन्नाथ रे...<br />माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br />माँ ने कहा...भगवान को...मत ढूंढो मंदिर,मस्जिद में रे...<br />माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br />वो तो मिलेगा,मनुष्यों के दिल में..हर इंसान ही स्वयं भगवान रे...<br />माँ का मै... लाडला बेटा...रे...<br /><br />माँ से पूछा..जीवन कैसे हो सफल,जब झूठ और फरेब चौतरफ़ रे...माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br /> <br />सच्चाई की राह चले..जाना बेटे..भले रास्ता रोके तेरा पहाड़ रे......माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br /><br />दीन–दु:खियों की सदा,करोरे मदद..होगी ईश्वरकी तुम पर मेहर रे...माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br /><br />अपने लिए तो….जीते है सब...जीवन दूसरों के काम भी आए रे...<br />माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br /> <br />माँ की शिक्षा मेरे लिए...अमूल्य निधि..सोना,चांदी,हीरा और रतन रे...माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br /> <br />आज हुआ ये….जीवन सफल...ये तो है माँ का ही है आशिर्वाद रे....<br />माँ का मै...लाडला बेटा...रे...<br /><br />माँ ने बुलाया….मै दौड़ा आया...माँ ने गले लगाया मुझे रे...<br />माँ का मै... लाडला बेटा...रे...<br /><br />माता का हाथ जब…सिर पर हो तो भला..चाहिए मुझे क्या और रे....<br />माँ का मै लाडला बेटा...रे...Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-38817521437685311842010-11-12T13:59:36.340+05:302010-11-12T13:59:36.340+05:30स्पर्धा के लिए गीत( स्वरचित)
...स्पर्धा के लिए गीत( स्वरचित) <br /><br /> !!माँ!!<br /> <br /> माँ तू है जन्म दाती!<br /> धर्मो से दूर,<br /> नामो की भूल भुलैयों से परे....<br /> माँ तू है जन्म दाती!<br /> ममता का आँचल लिए...<br /> सुखो की ओढनी ओढ़े...<br /> प्यार बरसाती हुई,<br /> माँ तू है जन्म दाती!<br /> तेरा एक ही रूप,<br /> ना रंग कोई,<br /> ना कल्पना कोई,<br /> मन को भाति हुई...<br /> माँ तू है जन्म दाती!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-21898521084496475812010-11-12T13:58:41.736+05:302010-11-12T13:58:41.736+05:30स्पर्धा के लिए गीत(स्वरचित}
...स्पर्धा के लिए गीत(स्वरचित} <br /> <br /> !! माँ !!<br /> <br /> दाती है वह... देती है जनम!<br /> अपनी कोख से..पैदा करती है नन्ही सी जान!<br /> पालती है, पोसती है सहेजती है उसे.<br /> लुटाती है ममता की धन-दौलत तमाम !<br /> ‘माँ’ शब्द की मीठी गूंज देती है सुनाई...<br /> जब उस नन्हे की तोतली आवाजमें...<br /> उठती है खुशी की तरंगे,माँ के ह्रदय और मन में....<br /> स्वर्ग प्राप्ति के सुख का अनोखा अनुभव,<br /> हर माँ को दिलाता है उसके नन्हें का स्पर्श!<br /> माँ के रोम रोम से होता है प्रकट तब .... <br /> एक अलौकिक, अद्वितीय हर्ष!<br /> संतान के सुख से सुख की लेती अनुभूति,<br /> संतान के दु:ख से होती है वह दु:खी!<br /> ऐसी माँ को लाखो, करोड़ो प्रणाम हमारे...<br /> गाता है जग माँ की गाथा..सदा सर्व मुखी!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-17939237988522741152010-11-08T09:30:36.136+05:302010-11-08T09:30:36.136+05:30आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामना...आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!<br />बहुत ही सुन्दर और शानदार पोस्ट ! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-68692457569362194392010-11-05T19:41:31.360+05:302010-11-05T19:41:31.360+05:30सराहनीय लेखन........
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चिठ्ठाकार...सराहनीय लेखन........<br />+++++++++++++++++++<br />चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।<br />मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥ <br />सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-41006406269699215412010-11-05T19:41:03.318+05:302010-11-05T19:41:03.318+05:30सराहनीय लेखन........
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चिठ्ठाकार...सराहनीय लेखन........<br />+++++++++++++++++++<br />चिठ्ठाकारी के लिए, मुझे आप पर गर्व।<br />मंगलमय हो आपके, हेतु ज्योति का पर्व॥ <br />सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-23105007911976552022010-11-04T12:43:30.472+05:302010-11-04T12:43:30.472+05:30....बहुत बहुत बधाई अलबेला जी!...समारोह सुरत में हो.......बहुत बहुत बधाई अलबेला जी!...समारोह सुरत में हो रहा है यह जान कर खुशी दुगुनी हो गई है!...स्पर्धा के लिए 'गीत' टिप्पणी के जरिए से ही प्रेषित करना है या किसी ओर जरिए से प्रेषित करना है...कृपया बताएं...धन्यवाद!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-80154994358470281302010-11-04T09:57:07.623+05:302010-11-04T09:57:07.623+05:30वो आई झूमके,
मुझे चूमके,
फिर आई उसके चेहरे पर एक ...वो आई झूमके,<br />मुझे चूमके,<br /><br />फिर आई उसके चेहरे पर एक संतोष (मेरी माँ का नाम) की रेखा<br />मुझमें भी वो सुकून आया जब मैंने उसे गहनता से देखा<br />उसका अंङ इतना मखमली<br />मानिंदे सुर्ख़ाब के पंख<br />आलिंगन के व्यवहार की तपिश से मुझमें होता संचार<br />मोक्ष व हर ख़ास से था ये अप्रतिम एहसास<br /><br />उसके ह्रदय का स्पंदन सुनकर <br />मैं खो गया ये धुन बुनकर<br />कि कहां सुना है ये मिश्री जैसा साज़<br />जो था बेअवाज़ पर खोल रहा था सैंकड़ों राज़<br /><br />तब मैं खो गया काल की गहराईयों में <br />उस वक़्त की खाइयों में <br />जब मैं प्रस्फुटित हो रहे कमल की भांति<br />माँ के गर्भ में पल्लवित हो रहा था<br />उस शुचितता को तजकर<br />भौतिकता में आने की बांट जोह रहा था<br /><br />तब यही साज़ <br />जिसे सुनकर अकुलाहट थी मुझमे आज<br /><br />यही था..<br />हां, यही था वह नाद<br />जिससे मैंने नौ महीने किया था संवाद<br /><br />जिससे मैंने नौ महीने किया था संवाद......Puneet Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/11563782743013152118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-41960099617458404092010-11-04T07:23:11.190+05:302010-11-04T07:23:11.190+05:30पहले दिवाली मना लें फिर आराम से कुछ रचनाकारी करके ...पहले दिवाली मना लें फिर आराम से कुछ रचनाकारी करके भेजेंगे!<br />--<br />प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।<br />आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।<br />--<br />आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!<br />दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-87629305378254552752010-11-04T07:21:18.077+05:302010-11-04T07:21:18.077+05:30प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज...प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।<br />आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।<br />--<br />आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!<br />दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-19772739930922600882010-11-04T04:40:09.203+05:302010-11-04T04:40:09.203+05:30बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थ...<i><b><br />बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !<br /><br />आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।<br /><br />आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! ! <br /><br /><a href="http://blog4varta.blogspot.com/2010/11/4_04.html" rel="nofollow">आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें</a> </b></i>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-62602159228512652792010-11-04T00:07:54.153+05:302010-11-04T00:07:54.153+05:30आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना...आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-303919957706694657.post-29084037128657901112010-11-03T22:32:50.384+05:302010-11-03T22:32:50.384+05:30आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com