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Albela Khatri

वक्त आगया लक्कड़बग्घों के पाजामे फाड़ने का, चलो साथियो ! ब्लोगवाणी पर पाबला को पसन्द करने ....




शमशीरें खिंच गई हैं शायद .............

मुट्ठियाँ भिंच गई हैं शायद ..........

भई वाह !

जैसे ब्लोगिंग हुई, सियासत हो गई, वो भी तीसरे दर्जे की

बी एस पाबला जी की दूकान को घाटा पहुंचाने में लोग ऐसे जुटे हैं

जैसे डिस्कवरी चैनल पर एक शेर को फाड़ने के लिए बहुत से

लक्कड़बग्घे अपना पिछवाड़ा जोड़ जोड़ के जुट जाते हैंऔर वे

सफल भी हो गये हैं


अभी अभी मैंने देखा, पाबला जी की यहाँ नीचे दिख रही पोस्ट को

ब्लोगवाणी पर 148 लोगों ने पढ़ा, 14 लोगों ने टिप्पणियां की और

6 लोगों ने पसन्द की लेकिन कमाल की बात ये है कि 13 लोगों ने

नापसन्द भी किया जिस कारण पाबलाजी को 7 पसन्द का

महानतम घाटा हो गया


अब हो गया तो हो गया, इसमें मैं क्या करूँ ? मैं कोई नागा

बाबा हूँ जो मंत्र मार के नापसन्द को पसन्द में बदल दूँ ?


मेरी तकलीफ़ तो केवल इस बात को लेकर है कि एक भला

आदमी जो लगातार भला काम करता रहा हैजो केवल

सबके जन्मदिन और वर्ष गांठें याद करा कर लोगों से बधाइयां

दिला कर एक पारिवारिक सा स्नेह का माहौल बना रहा है बल्कि

किसका किस अखबार में क्या छपा, इसकी जानकारी देकर भी

हिन्दी ब्लोगिंग में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है क्या वो

इस पसन्द नापसन्द की जुगाड़ में सिर्फ़ इसलिए पिछड़ जायेगा

कि उसने फोन कर करके लोगों को पसन्द करने का आग्रह

नहीं किया


प्यारे मित्रो ! ये समय है सही और गलत में से सही को चुन कर

उसका साथ देने काहमारा किसी भी पक्ष से ना कोई वैर है

ना ही दोस्ताना, लेकिन वक्त का तकाज़ा है कि जो लोग इस

तरह साजिश करते हैं उनका भंडा फोड़ किया जाये...

आओ साथियो ! आओ ! हम भी अपने हाथ खोलें और ज़्यादा

से ज़्यादा लोग ब्लोगवाणी पर पसन्द देकर ना केवल

पाबला जी को समर्थन दें बल्कि ये भी दिखादें कि षड्यंत्रकारी

कितने भी संगठित क्यों ना हों, सच के सामने उनके पाजामे

फटेंगे ही फटेंगे


हालांकि मैं आपसे क्या कहूँ ..मैंने ख़ुद आलस्यवश उन्हें अभी

तक पसन्द नहीं किया, लेकिन अभी जा रहा हूँ और मुझे

उम्मीद है कि आज की तारीख बदलने से पहले पहले पाबला जी

की पोस्ट पर पसन्द का एक बड़ा आंकड़ा मुस्कुरा कर बत्तीसी

दिखा रहा होगा

धन्यवाद,

-अलबेला खत्री

<span title=पसंद करें" class="iUp" title="मुझे यह प्रविष्टी पसंद है">
-7
<span title=नापसंद करें" class="iDn" title="मुझे यह प्रविष्टी नापसंद है">

क्या मसिजीवी में साहस है इसे पढ़ कर उत्तर देने का?

भले ही इधर उधर की पोस्टों में बताया गया हो कि दिल्ली के एक शिक्षण संस्थान में सेवारत विजयेन्द्र सिंह चौहान, मसिजीवी के नामधारी प्रोफाईल के सहारे ब्लॉगिंग करते हैं, किन्तु बिना उनकी किसी आत्मस्वीकृति के, मैं वह कदम नहीं उठाना चाहता जो शून्य में चला
लेखक का नाम"> बी एस पाबला
Feb 01 2010 12:44 PM


एडिट करके जोड़ा गया निवेदन/ शुक्राना


धन्यवाद प्यारे साथियों ! ये देख के मान बाग़ बाग़ हो

गया कि अभी तक तारीख बदलने में 20 मिनट बाकी

हैं और आपने मुझ नाचीज़ के निवेदन को स्वीकारते हुए

फटाफट पसन्द के गोले दाग़ दिये और पाबला जी की

पसन्द भी अब 13 हो चुकी है


आभार...........आभार..........कृतज्ञता


-अलबेला खत्री




8 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा February 2, 2010 at 1:35 AM  

जय हो जय हो जय हो विजय हो
तमराज के राज मे सुर्य का उदय हो।

Anonymous February 2, 2010 at 1:47 AM  

are mamu, aisi post likhne se pahle ek bar anil pusadkar se to bar kar leni thi, to kam se kam dhakkan saabit nai hote, ek no k ullu de patthe ho yar.....ab dam ho to is comment ko publish kar k dikaho.....

Unknown February 2, 2010 at 2:31 AM  

Bhilai, Chhattisgarh arrived from talkgadget.google.com on "Albelakhatri.com: वक्त आगया लक्कड� �बग्घो� �� के पाजामे फाड़ने का, चलो साथियो ! ब्लोग� �ाणी पर पाबला को पसन्द करने ..."


pyare benaami !

tum to yaar bhilaai me rah kar hi bhilaai walon ka poongivaadan kar rahe ho aur bada shaatirana dhang se kar rahe ho - kabhi milna, saath me baith kar samosa khayenge aur maza karenge...

vaise tumhaare liye ek gaana hai...zara saamne to aao chhaliye...chhup chhup chhalne kya raaz hai, yon chhupna sakega beimaan tu mere khopde ki ye aawaz hai ..............JAI HIND !

दीपक 'मशाल' February 2, 2010 at 2:50 AM  

Bahut achchha kiya aapne aise nalayakon ki harkaton ka raz khol ke...
Jai Hind...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' February 2, 2010 at 7:06 AM  

बहुत सुन्दर आलेख!
हमने अपना काम कर दिया है!

Unknown February 2, 2010 at 9:44 AM  

अलबेला जी,

सही आह्वान करने के लिये धन्यवादद!

पाबला जी को तो पसंद का चटखा हमने आपके इस पोस्ट आने से पहले ही दे दिया था और अब आपके इस पोस्ट को भी पसंद का एक दे दिया है।

Abhasjoshi February 2, 2010 at 10:39 AM  

Guru
ekdam jhakkas post

डॉ महेश सिन्हा February 2, 2010 at 1:09 PM  

कितने खुरापाती लोग हैं ! ब्लॉगवाणी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा की लोग उसकी सुविधा का ऐसा उपयोग करेंगे

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