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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

झाड़ डाला है झाड़ू ने ऐसा उन्हें, आबरू उनको मुश्किल बचाना हुआ


साहित्यिक वेबसाइट ओपन बुक्स ऑन लाइन के
 तरही  मुशायरा में प्रस्तुत मेरी ताज़ा ग़ज़ल


अश्क़ आँखों से निकला, रवाना हुआ
दर्दे-दिल का मुकम्मल तराना हुआ

ज़ुल्फ़ उसने जो खोली, घटा छा गई
मुस्कुराई तो मौसम सुहाना हुआ

हुस्न दुख्तर पे जब से है आने लगा
हाय दुश्मन ये सारा ज़माना हुआ

तब से दुनिया हमारी बड़ी हो गई
जब से गैरों के घर आना जाना हुआ

चल पड़ा हूँ ठिकाना नया खोजने 
ख़त्म अपना यहाँ आबोदाना हुआ

ज़ख्म हमदर्दियों से न भर पाएंगे
फैंक दो अब ये मरहम पुराना हुआ

झाड़ डाला है झाड़ू ने ऐसा उन्हें
आबरू उनको मुश्किल बचाना हुआ

रूह प्यासी थी 'अलबेला' प्यासी रही
जिस्म का सारा पीना पिलाना हुआ

-अलबेला खत्री 








विनाशकाले विपरीत बुद्धि या खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे


अपना अन्त निकट देख कर भीतर ही भीतर भयभीत  कांग्रेस पार्टी 

इन दिनों जिस तरह की हरकतें कर रही है उसे क्या कहना ठीक रहेगा ?  

 "विनाशकाले विपरीत बुद्धि"  या "खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे"

जय हिन्द !



उस गरीब ग्रामीण महिला ने तो न कोई नाभिदर्शना साड़ी बाँधी होगी, न ही वक्षदर्शना ब्लाउज़ पहना होगा



शर्म ! शर्म !! शर्म !!!

"मध्य प्रदेश में हरदा के पास किसी गांव में 5 लोगों ने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया तथा उसके जिस्म को लाइटर से जला जला कर ठहाके भी लगाये"  यह समाचार  पढ़ते समय आजतक चैनल की  तेज़ समाचार वाचिका के चेहरे पर कोई विषादभाव या दुःख  इसलिए नहीं था क्योंकि  उसके लिए तो ऐसी घटना  पर बोलना रोज़मर्रा की बात होगी परन्तु  मैं दुखी हूँ , आहत हूँ  और शर्मिन्दा भी हूँ  क्योंकि मैं भी उसी पुरुष समाज का हिस्सा हूँ  जो महिलाओं  के सम्मान और संरक्षण की बात तो करता है परन्तु  अपनी कामपिपासा के तुष्टि के  लिए  दरिन्दा बन कर किसी महिला के साथ अमानवीय अत्याचार भी करता है

उस गरीब ग्रामीण महिला ने तो न कोई  नाभिदर्शना साड़ी बाँधी होगी,  न ही वक्षदर्शना  ब्लाउज़ पहना होगा और न ही टांग दिखाऊ स्कर्ट पहनी होगी  - फिर  उस पर क्यों टूट  पड़े वे 5 राक्षस ?

यह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म से डूब मरने की  बात है कि कठोरतम कानूनों के बावजूद उसके लोग इतने हिंसक और अत्याचारी हो जाएँ 


क्या इसकी रोकथाम का कोई उपाय नहीं ? 


क्या महिलाओं की रक्षा की बातें करने वाली सरकार कोई कड़े कदम उठाएगी ? 


जयहिन्द !
-अलबेला खत्री 

the poem of hasyakav



अभिनन्दन अटल बिहारी ! अभिनन्दन अटल बिहारी !! अभिनन्दन अटल बिहारी !!!




अटल बिहारी वाजपेयीजी के जन्मदिवस पर आत्मिक बधाई देते हुए मैं अपनी वही कविता आज उन्हें पुनः समर्पित करता हूँ जो उनके पहली बार प्रधानमन्त्री बनने पर की थी

रोक सका है कौन ज्वार सिन्धु का, दामिनी का उत्कर्षण
छीन सका है कौन गन्ध चन्दन से, कुसुमों से आकर्षण 


बाँध सका है कौन पवन का वेग और मेघों का गर्जन
कहाँ थमा है वसुन्धरा पर पल पल सृष्टि का परिवर्तन 


सूत्रपात नवयुग के नवशासन का फिर से आज हुआ है
राष्ट्र के सिंहासन पर अब एक राष्ट्रभक्त का राज हुआ है 


रोम रोम पुलकित है, मन हर्षित है, तन आह्लादित है
अब होगा उत्थान वतन का जन गण मन आश्वासित है 


हे निर्विवाद निष्छल निर्मल अविकारी
हे माँ वाणी के वरदपुत्र हुंकारी
हे प्रखर परन्तु मृदुभाषी मनोहारी 


अभिनन्दन अटल बिहारी !
अभिनन्दन अटल बिहारी !!
अभिनन्दन अटल बिहारी !!!


-अलबेला खत्री 


hasyakavi albela khatri dedicated a poem to sh.atal bihari vajpeyi

 albela khatri dedicated his poem to sh. atal bihari vajpeyi on his 90th birth day

hasyakavi albela khatri dedicated a poem to his son aalok khatri


अपने 'आलोक' का जन्मदिन मनाना ही पड़ेगा


VERY VERY HAPPY BIRTH DAY TO YOU  DEAR AALOK

वैसे तो तू बदमाश है,  नालायक है, उत्पाती है
पर क्या करूँ, कमबख्त मेरी सासू का नाती है
सो लोकलाज में व्यवहार तो निभाना ही पड़ेगा
अपने 'आलोक' का जन्मदिन  मनाना ही पड़ेगा
ऐ मेरी 11 वर्षों की गाढ़ी कमाई !
तुझे जन्मदिवस की ढेरों बधाई !
-अलबेला खत्री 

albela khatri with his son aalok khatri

birth day boy aalok khatri 1

birth day boy aalok albela khatri

सुना या नहीं सुना, उससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन मैं भारत की कवयित्री नंबर वन हूँ इसमें कोई शक नहीं


'हैलो ....... पूरती पाले जी ?'

'हांजी, पूरती बोल रही हूँ, आप कौन ?'

'मैं फ़लाने शहर से, धिंकाने सांस्कृतिक संगम का प्रमुख भोलाराम पन्सारी बोल रहा हूँ पूरती जी, आप आईं थी न हमारे यहाँ ,,,,,क्या आप हमें भूल गए ?'

' नहीं जी नहीं, भूल कैसे सकते हैं ? कहिये क्या बात है ?'

'बात ऐसी है कि  पिछली बार तो हम टीम बनाने में धोखा खा गए क्योंकि कुकर्माजी के दबाव में आ गए थे  परन्तु इस बार हम कुछ अच्छे कवियों को बुलाना चाहते हैं तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमें कुछ बढ़िया कवियों / कवयित्रियों के नाम और नंबर देदो ताकि हम उनसे बात कर सकें'

'नम्बर तो मैं किसी का दे नहीं सकती पर आपके लिए कुछ बढ़िया नाम बता सकती हूँ, बजट क्या है आपका '

'जी बजट तो वही है 1 लाख के आसपास .... '

'1  लाख में क्या होता है भोलारामजी, अगर आप 2  लाख तक खर्च करो तो मैं अपने साथ देश के सबसे बड़े हास्यकवि मदिरेन्द्र डूबे, व्यंग्य व्योम चम्पक तरल, रमेन्द्र गजबजी के साथ साथ २-३ और कवि लेकर आ सकती हूँ'

' नहीं पूरती पालेजी, आप तो पिछली बार आ चुकी हैं, इस बार हम कोई दूसरी कवयित्री बुलाएँगे और जहाँ तक बात मदिरेन्द्र डूबे की है तो वोह भी नहीं चलेंगे, कोई ढंग का नाम बताओ ?'

'ढंग का नाम?  कैसी बात कर रहे हैं सर आप ? मदिरेन्द्र जी से बड़ा हास्यकवि कौन है देश में ? आज पूरे ब्रह्माण्ड को खंगाल लो तो हिंदी कविता के नाम पर आपको केवल दो लोग शीर्ष पर मिलेंगे ,,,एक वोह और एक मैं ,,,बाकी सब तो चिल्लर पार्टी है'

' ये आप कैसे कह सकती हैं पूरतीजी ? ऐसा आप दोनों ने क्या लिख दिया जो इत्ती बड़ी बात कर रही हैं ?
 
' सवाल लिखने का नहीं है भोलाभाई, याद करने  का है,, डूबे जी को इतना मसाला याद है कि वे अकेले ही पूरी रात बोल सकते हैं और मेरे बारे में तो आप जानते ही हैं ,,अब इस बात को क्या दोहराना कि जब मंच पर खड़ी होती हूँ तो लगता है साक्षात् सरस्वती माइक पर आ गयी हो '

' पर हमारे यहाँ  तो आप बिलकुल फ्लॉप हो गयी थीं, लोगों ने आपको सुना ही नहीं ,, आपको हमने 20 हज़ार रूपये दिए थे लेकिन आपसे  ज़यादा काम तो 2 हज़ार वाली लोकल कवयित्री ने किया था आपको याद ही होगा ?'

' सुना या नहीं सुना, उससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता  लेकिन मैं भारत की कवयित्री नंबर वन हूँ इसमें कोई शक नहीं,  चाहें तो आप  खुद मदिरेन्द्रजी से कन्फर्म कर लीजिये  और बात रही  प्रोग्राम की तो देखिये, जमने और न जमने के कई कारण होते हैं, अगर मैं नहीं जमी तो ज़ाहिर है कि आपका साउण्ड सिस्टम खराब होगा या फिर आपके शहर के श्रोता  नालायक होंगे जिनको कविता सुनने की तमीज न होगी '

'पालेजी,  साउण्ड तो हमने वो मंगाया था जिसकी जगजीत सिंह जैसे ग़ज़ल गायक ने भी तारीफ़ की और श्रोता हमारे शहर के मूर्ख नहीं हैं , पिछले 40 साल से कवि सम्मेलन सुनते आये हैं और आपको ये जानकार ख़ुशी होगी कि हमें चंदा भी वही श्रोता देते हैं'

'तो हो सकता है, मुझे गलत क्रम पर खड़ा कर दिया हो, हर मंच संचालक में इतना सेन्स  कहाँ होता है कि जान सके कि किस कवयित्री को कब प्रस्तुत करना है '

' बहनजी, आप बहाना क्यों करती हैं ? क्रम भी आपने ही चुना था, आप ही ने  कहा था कि मुझे ट्रेन पकड़नी है इसलिए जल्दी पढ़वा कर मुक्त कर दो '

'चलो जाने दो, अब मुद्दे की बात ये है कि आप अगर मुझे बुलाएंगे तो ही मैं टीम बनाउंगी और अगर मैं टीम बनाउंगी तो पहला नाम डूबेजी का ही होगा ……'


'आपको मैंने आमंत्रित करने के लिए  फोन नहीं किया है पालेजी, न ही मुझे आपसे कोई सलाह चाहिए, मुझे तो  कुछ अच्छे कवियों के फोन नंबर चाहिए, अगर दे सको तो देदो ,,,हैलो हैलो ---हैलो …… लगता है फोन कट गया'

या फिर काट दिया गया   ;-) '

जय हिन्द !
albela khatri in action at kavi sammelan



पुरुलिया में मौलिक व बेहतरीन कवितायें प्रस्तुत हुईं, घटिया चुटकुलों व जुमलों का रायता नहीं फैलाया गया



कौन कहता है कि आजकल मंच पर अच्छी कवितायें सुनाई नहीं जातीं  या सुनी नहीं जातीं ,,,,पुरुलिया (WB) में तो रोटरी क्लब ऑफ़ पुरुलिया द्वारा आयोजित हास्यकवि सम्मेलन ने इस बार सफलता के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, पाठकों को यही बात बताने के लिए मैं  मरा जा रहा हूँ  क्योंकि  मैं बहुत प्रसन्न हूँ, आनंद में हूँ  और आप सभी मित्रों को भी अपनी ख़ुशी में शामिल करना चाहता हूँ . भले ही  इस समय रात के 2  बजे हैं तथा अभी अभी  बहुत लम्बी यात्रा से लौटा हूँ - भले ही यात्रा से टूटी हुई देह तो कह रही है कि सोजा बेटा ! कल सुबह देखेंगे, लेकिन दिल है कि मानता नहीं .इसलिए अभी के अभी लिख रहा हूँ

व्यंग्य सम्राट माणिक वर्मा,  ओजस्वी कवि कर्नल (डॉ) वी पी सिंह,  हास्यमूर्ति सुरेन्द्र यादवेन्द्र, व्यंग्य गीतकार सुदीप भोला, कवयित्री काव्या मिश्रा और मंच संचालक अलबेला खत्री ने अपनी साढ़े 5 घण्टे  की ज़बरदस्त प्रस्तुति से पुरुलिया वासियों को आनंद के रस से कितना सराबोर कर दिया इसका अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि  6 बजे शुरू हुआ कार्यक्रम अधिकतम साढ़े 10  बजे तक चलना था  परन्तु साढ़े 11 बजे भी लोग उठ कर घर जाने को तैयार नहीं थे ………………और सबसे उत्तम बात तो ये है कि  पूरे कवि सम्मेलन में सिर्फ़ और सिर्फ़  मौलिक व बेहतरीन कवितायें प्रस्तुत हुईं, घटिया चुटकुलों व जुमलों का रायता नहीं फैलाया गया

यह  एक सुखद घटना  है और इसके लिए मैं आयोजन  समिति व अपनी टीम के तमाम कवियों का हृदय से आभारी हूँ

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
hasya kavi sammelan by rotary club of puruliya WB with albela khatri



यौनशोषण : सुरक्षा के लिए हमारे द्वारा मुफ्त में बांटे जा रहे इस परचे का भी उपयोग करो


पुरुषों द्वारा नारी का यौनशोषण भारत में अपनी सारी  हदें पार कर चुका है.  लगभग हर तबके के लोगों पर इस तरह के शर्मनाक आरोप लग रहे हैं परन्तु कुछ लोगों का मानना है कि ताली एक हाथ से नहीं बजती …लोगों को शक है कि अधिकतर मामलों में होता तो सबकुछ रज़ामन्दी से है परन्तु बाद में पकडे जाने पर अथवा किसी लालच में  आरोप लगाए जाते हैं

मेरा मत है कि  अगर ऐसी कोई बात है तो पुरुष को सावधानी बरतनी चाहिए.  नैतिकता को ताक पर रख कर अगर बाहरी सम्बन्ध बनाने ही हैं  तो जिस प्रकार  अपनी शारीरिक सुरक्षा के लिए कण्डोम  का प्रयोग करते हो उसी प्रकार अपनी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए  हमारे द्वारा मुफ्त में बांटे जा रहे इस परचे का भी उपयोग करो

धन्यवाद
विनीत: पुरुष बचाओ पार्टी   :-)))))))

sex contract form

purush bachaao party zindabad


क्या यह सच है कि केवल पुरुष ही बलात्कारी होते हैं महिलाएं नहीं ?


क्या यह सच है कि यौन शोषण सिर्फ़ महिलाओं का होता है पुरुषों का नहीं ?

क्या यह सच है कि  केवल पुरुष ही बलात्कारी होते हैं महिलाएं नहीं ?

ज़रा सोचिये, 
सच इतना ही नहीं जितना दिखाया जा रहा है
सच वोह भी है जिसे दिखाया नहीं जा सकता

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री




दादाजी अपने पोते की हुशियारी पर हैरान थे और आठों बादाम अपनी क़ैद से परेशान थे


सामग्री
बच्चा  : एक राज अनैतिक पार्टी
दादा    : दूसरी राज अनैतिक पार्टी
बादाम : विधायक
दांत     : आत्मविश्वास
आंत    : नीयत
जेब     : दल की साख

बच्चा   : दादाजी दादाजी, क्या आप बादाम खायेंगे ? 

दादाजी : नहीं बच्चा, मैं तो बादाम खा ही नहीं सकता,  मेरे दांत नहीं हैं

बच्चा   : तब तो ठीक है, ये रखो मेरे आठ बादाम, बाद में वापिस ले लूँगा

दादाजी : लेकिन मुझे क्यों दे रहा है, जब वापिस ही लेने हैं तो अपने पास ही रख …

बच्चा   : दादाजी, आपको इसलिए दे रहा हूँ, क्योंकि मेरी जेब फटी हुई है, कहीं गिर गए तो कोई और उठा लेगा, आपके पास रहेंगे तो मुझे ही वापिस मिलेंगे

दादाजी : लेकिन अगर मेरा मन मचल गया और मैं इन्हें कूट कूट  कर खा गया तो ?

बच्चा   : आप नहीं खाओगे, मैं जानता हूँ, क्योंकि आप सिर्फ़ दांतों से ही नहीं, आँतों से भी  कमज़ोर हैं …किसी
तरह खा भी लिए तो हज़म नहीं कर पाओगे

_________दादाजी अपने पोते की हुशियारी पर हैरान थे

_________और आठों बादाम अपनी क़ैद से परेशान थे

क्या नाटकीय दृश्य का पात्र-परिचय लिखने की ज़रूरत है या आप समझ गए ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 




हास्यकवि अलबेला खत्री की 101 नि:शुल्क प्रस्तुतियां




30 वर्षों में 6000 मंचों पर प्रस्तुति का आनन्दोत्सव

स्कूलों, कॉलेजों, नारी संगठनों, अनाथाश्रमों, वृद्धाश्रमों, जेलों, HIV पीड़ितों व सभी प्रकार की समाजसेवी  संस्थाओं के लिए हास्यकवि अलबेला खत्री की ख़ास सौग़ात

1 5 फ़रवरी से 2 3 जुलाई 2014 तक
101 नि:शुल्क  प्रस्तुतियां

तुरन्त सम्पर्क  करें

अलबेला खत्री
9228756902, 9227156902
albelakhatri@gmail.com

hasyakavi albela khatri present free show

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कवि-सम्मेलनों के मंचों पर काव्यपाठ करते हुए आज मुझे 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं


आज 18 दिसम्बर 2013 का दिन  मेरे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है  क्योंकि कवि-सम्मेलनों के मंचों पर काव्यपाठ करते हुए आज मुझे 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं  .  इन 30 वर्षों के दौरान  भारत, अमेरिका, कनाडा, वेस्ट इण्डीज़, चाईना, हांगकांग व  सिंगापोर  इत्यादि  में 6214  मंचों पर प्रस्तुति की  जिनमे  कवि सम्मेलन के अलावा, लाफ्टर शो,  ग़ज़ल नाईट, भजन संध्या  व अनेक प्रकार के एकल कार्यक्रम शामिल हैं.  जीवन में कई शानदार चढ़ाव और कई दर्दनाक उतार आये जिनके असर में कभी ख़ूब खिलखिलाया  और कभी ख़ूब रोया ……… बहुत कुछ देखा और अनुभव किया

 जो अजनबी थे, वो मित्र बने,  मित्र से प्रतिद्वन्द्वी बने, प्रतिद्वन्द्वी से दुश्मन बने और अंततः दुश्मन से कट्टर दुश्मन बने

जिन्हें आगे बढ़ाने के लिए मैंने ख़ुद को पीछे कर लिया वो तो डेढ़ हुशियार + एहसानफ़रामोश  निकले और जिनके सहयोग से मैं इस भीड़ में ज़िन्दा रह पाया उनके लिए  कुछ करने  का भगवान् ने मुझे कोई अवसर और सामर्थ्य  नहीं दिया ---  कुल मिला कर "तेरा भाणा मीठा लागे"  की तर्ज़ पर सन्तुष्ट हूँ  और  आभार व्यक्त करता हूँ  उन सभी शुभचिन्तकों व हितैषियों का जिन्होंने मुझे गिरने नहीं दिया  और लोहा मानता हूँ  उन सभी की एकता का जिन्होंने मुझे खड़ा होने नहीं दिया

सबकी जय हो
अलबेला खत्री





अलबेला खत्री का निवेदन : दामिनी के हत्यारों को फांसी मत दो प्लीज़


अलबेला खत्री का निवेदन :
दामिनी के हत्यारों को फांसी मत दो प्लीज़

निर्भया पर ज़ुल्म करने वाले  हरामज़ादों के साथ वही करो जो इन्होंने उस मासूम के साथ किया था, लोहे की राड चाहिए तो मुझसे ले जाओ, लेकिन उसी से इनका शरीर फाड़ कर  सड़क पर फैंक दो  ताकि ठण्ड से ठिठुर कर मरें

इससे कम कोई भी सज़ा इनके लिए पर्याप्त नहीं होगी
जय हिन्द ! 

hasyakavi albela khatri in action with poem

बन्दर के हाथों में जो आया उस्तरा, अपना ही काम ये तमाम करेगा





साहित्यिक वेबसाइट ओ बी ओ बुक्स ऑन लाइन्स पर शानदार सृजन के साथ सम्पन्न 38 वें लाइव महा उत्सव में इस बार का प्रदत्त विषय था "पापा कहते हैं, बड़ा नाम करेगा"  अन्तिम क्षणों में  मैं भी इसमें शामिल हुआ और प्रदत्त विषय पर निम्नांकित सामयिक तुकबन्दी प्रस्तुत की :

पापा कहते हैं बड़ा काम करेगा
लंगड़ी गुठली को चौसा आम करेगा

हाथों में झाड़ू लिए घूम रहा है
अब ये सफ़ाई सुबहो-शाम करेगा

बन्दर के हाथों में जो आया  उस्तरा
अपना ही काम ये तमाम करेगा

चेला  गुरु की धोती खींच रहा है
अस्मत ये खादी की नीलाम करेगा

औरों के दीयों से जो तेल चुराये
वो क्या बिजली के सस्ते दाम करेगा

'अलबेला' गर इसे अभी रोक न दिया
जीना ये सबका हराम करेगा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री







ये उनका पराक्रम नहीं बल्कि मज़बूरी है, ऐसा करना उनके लिए निहायत ज़रूरी है


वो न खुद बनाएंगे न दूसरों की चलने देंगे
न तो खुद खेलेंगे, न  दूसरों को खेलने देंगे
वे तो घुच्ची में मूत कर खेल ख़राब करेंगे
ये उनका पराक्रम नहीं
बल्कि मज़बूरी है
ऐसा करना उनके लिए
निहायत ज़रूरी है

क्योंकि वे लोग हरम के हिजड़े हैं
अर्थात रनिवास में रहने वाले किन्नर हैं
जो जानते तो हैं कि वो सब कैसे किया जाता है
लेकिन कर कुछ नहीं सकते
___अफ़सोस
___अफ़सोस
वोट लुटा तो दिल्ली के वोटर को  आया चेत
अब पछताए होत है क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत


कोई रन फॉर यूनिटी में दौड़, देश को जोड़ रहा है
कोई अपने अहंकार में, ऊँची ऊँची छोड़ रहा है
झाड़ू वालों के झाँसे में आकर, दिल्ली का मतदाता
कमज़र्फ़ों को वोट थमा कर, अपना माथा फोड़ रहा है

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
narendra modi,narendra modi,narendra modi,narendra modi,narendra modi

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sunny deol with albela khatri

albela khatri in action

हमारा लक्ष्य गाँव का रुस्तम कहलाना नहीं बल्कि माल कमाना है लिहाज़ा अब यह मुकाबला पूरे देश में करेंगे


डिस्क्लेमर : इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं तथा इनका किसी भी जीवित अथवा मुर्दा व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है.  

एक गरीब लोकतांत्रिक गाँव में भज्जू और कंगू नाम के दो अमीर पहलवान रहते थे. देश भर में जब भी उनका कहीं मुकाबला होता, हज़ारों लोग टिकट खरीद  उसे देखते और अखाड़े में अपने अपने पसन्दीदा पहलवान का हौसला बढ़ाते. 50 साल तक ये खेल चलता रहा, दोनों पहलवान बूढ़े हो गए लेकिन मुकाबला बंद नहीं किया क्योंकि  अब वे पहलवानी दिखाने के लिए नहीं बल्कि धन कमाने के लिए लड़ते थे . वैसे अंदर की बात यह है कि वे लड़ते तो केवल दिखावे मात्र के लिए थे - अन्दर ही अन्दर दोनों की मिलिभगत थी … एक बार यह जीतेगा  तो दूसरी बार वह

इस बात का पता जब गाँव के एक पुलिस वाले खजलू को लगा कि दोनों मिले हुए हैं  और मुकाबले के बहाने लोगों को चूतिया बना रहे हैं तो उसने इसका लाभ लेने की युक्ति लगाईं . उसने अगले ही दिन पुलिस की नौकरी छोड़ दी और गांव के सभी जेबकतरों को बुला कर बताया कि उन्हें क्या करना है . इसके बाद उसने गाँव के सब निठल्ले और मवाली किस्म के लोगों का ऑडिशन ले कर उनमे से 2  लोगों को चुन लिया व उन्हें अपनी जेब से कुछ रुपये दे कर पहलवानी के गुर सीखने के लिए कहा - साथ ही गांव में पूरी पंचायत के सामने ढिंढोरा पीट दिया कि दोनों पहलवान आपस में मिले हुए हैं और गाँव को बेवकूफ बना रहे है - तब एक पहलवान कंगू ने रोष में आ कर कहा कि खजलू, तुझे ज़यादा खुजली है तो तू मुकाबला कर ले - पता लग जाएगा कि पहलवानी किसे कहते हैं . यह सुन कर खजलू ने चुनौती तो स्वीकार ली और दावा भी किया कि वह और सिस्सू  - विस्सू नाम वाले उसके दो साथी मिल कर इन दोनों को धूल चटा  देंगे लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके लिए मेरे पास पर्याप्त पैसा नहीं है, खजलू की बात सुन कर  गाँव वालों ने उसे खूब चंदा  देने की पेशकश की और देखते ही देखते  खूब धन भी जमा हो गया . प्रसन्न मुद्रा में खजलू घर गया और मुकाबले की नियत तारीख का इंतज़ार करने लगा .

मुकाबले  की पूर्व संध्या पर सभी जेबकतरों को बुला कर खजलू ने हिदायत दे दी  कि जैसे ही मुकाबला शुरू हो तथा लोगों  का ध्यान कुश्ती में लग जाए, सभी की जेब काट डालना ................... उधर सिस्सू - विस्सू  को जापानी तेल की दो दो बोतलें थमा कर निर्देश दिया कि कल मुकाबले से पहले पूरे शरीर को चौपड़ लेना

मुकाबला हुआ और खूब हुआ और जापानी तेल की रपटन के चलते खजलू, सिस्सु और विस्सू  के आगे भज्जू और कंगू जैसे पहलवान का एक भी दाव न चला,  लिहाज़ा न कोई जीता, न कोई हारा - मुकाबला बराबरी पर ख़त्म हुआ

शाम को जेबकतरों से उगाही करते हुए खजलू  ने सिस्सू - विस्सू  से कहा कि यह मुकाबला तो केवल बोहनी भर थी.......... हमारा लक्ष्य  गाँव का रुस्तम कहलाना नहीं बल्कि माल कमाना  है लिहाज़ा अब यह मुकाबला पूरे देश में करेंगे  और सभी जगह के दर्शकों की जेब काटेंगे

सभी ने हर्षध्वनि की और पटाखे छोड़ते हुए  अपने अपने घर कू  चले गए

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
dedicated to gurumaa anandmurti by albela khatri at ambheti
dedicated to gurumaa anandmurti by albela khatri at ambheti
hasya kavi sammelan by albela khatri for rotary club puruliya

hasya kavi sammelan by albela khatri for rotary club puruliya





झाड़ू कुण्डली

झाड़ू वाले हाथ ने किया सूपड़ा साफ़
आम आदमी ऑन है बाकी सारे ऑफ़
बाकी सारे ऑफ़, किया कइयों को गंजा
पीला पीला हुआ, धवल शीला का पंजा
उखड़ गए दिल्ली में ख़ुद मैदान उखाड़ू
ख़ूब चलाया ए ए पी ने अपना झाड़ू

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 
hasyakavi albela khatri's kundli on jhadu

the song dedicated to my best friend d v patel nashville tn



प्रिय मित्र  डी वी पटेल नैशविल टैनिसी को समर्पित गीत


तर्ज़ : कहो न प्यार है

नयनों से नेह झलके,  वाणी में रसधार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

भारत की है ये रौनक, अमेरिका की बहार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

सूरत, नवसारी,वलसाड के गांव-गांव से आये
संग अपने,  गुजराती माटी की ख़ुशबू लाये
आ कर ख़ूनपसीने  से यहाँ वैभव के फूल खिलाये
मेहनत के ये पुजारी, संस्कृति से इन्हें प्यार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

हॉटेल और मॉटेल के बिजनैस को दिल से अपनाया
अतिथि देवो भवः की कहावत का निजधर्म निभाया
काम किया है जान लगा कर, तब ये रंग है आया
अब इनके हाथों में ये पूरा कारोबार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

एलपीएस ऑफ़ यूएसए सीनियर सिटिजन्स का प्यारा
विमेन्स डेवलेपमेन्ट और यूथ पावर का देखो नज़ारा
स्कॉलरशिप और मेट्रो-मोनियल  की बहती है धारा
मीटिंग्स में है मधुरता, कन्वेन्शन चमकदार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

शंकर, सीएम, नट्टू, रमण संग धनसुख की बलिहारी
अमृत, भग्गू, मुकेश, भरत, हसमुख ने शान सँवारी
किरीट, समीर ने रंग जमाया, आगे  सुनील की पारी
नैशविल के डाह्याभाई सेवा में लगातार है
ये लेउवा पाटीदार है
ये लेउवा पाटीदार है

-अलबेला खत्री
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गुरुमाँ आनंदमूर्ति को समर्पित हास्यकवि अलबेला खत्री की एक कविता

गुरुमाँ आनंदमूर्ति को समर्पित 
हास्यकवि अलबेला खत्री की एक कविता 

गुरुमाँ आनंदमूर्ति को समर्पित हास्यकवि अलबेला खत्री की एक कविता
गुरुमाँ आनंदमूर्ति को समर्पित हास्यकवि अलबेला खत्री की एक कविता

श्री ब्रह्मक्षत्रिय संपर्क समाज मुंबई के संस्थापक ईश्वरभाई पड़िया को अभिनन्दन-पत्र भेंट




श्री ब्रह्मक्षत्रिय संपर्क समाज मुंबई  के तत्वाधान में 36 वां सामूहिक विवाहोत्सव संपन्न हुआ . संस्थापक एवं मार्गदर्शक  ज्ञातिरत्न ईश्वरभाई पड़िया  द्वारा गत 36  वर्षों से अनवरत चलाये  विराट और सार्थक सामाजिक अभियान का सम्मान करते हुए  मैंने उन्हें 30 नवम्बर की शाम कांदीवली में आयोजित मुख्य समारोह में यह अभिनन्दन-पत्र भेंट किया
 जय हिन्द !
जय हिंगुलाज !

- अलबेला खत्री

Ishwarbhai Padia Abhinandan-Patra

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