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Albela Khatri

HATHI GHODA PALKI, JAI KANHAIYALAL KI ...ON SAB TV

कब आओगे ?

कब आओगे ?


कब आओगे ?


बहुत दिनों  से लोग एक ही बात पूछ रहे थे "वाह वाह क्या बात है" 


में कब आओगे ? अब मैं उनको जवाब देता तो क्या देता .....न तो 

मेरे पास इतना टाइम कि शैलेश लोढ़ा को कहूँ कि मुझे बुलाओ  

और न  ही शैलेश लोढ़ा  ने कभी कहा  कि चले आओ . संयोग से 

मुझे भी हिंगुलाज माता के एल्बम से फुर्सत मिल गयी और बुलावा 

भी आ गया तो अपनेराम चले गए .........अब आ रहे हैं सब पर 

कल रात को 10 बजे .

जो देखे उसका भी भला, न देखे उसका भी भला .....हा हा हा हा


जयहिन्द !  


तुझको मीठा होना ही था, बाप तेरा हलवाई है ....

.
 


लस्सी पीने वालों ने  अब  व्हिस्की मुँह लगाई है

तन-मन के दुःख दूर हुए, ज़ेहन पर मस्ती छाई है



बड़भागी वे नर हैं जिनको रोज़ नई सप्लाई  है


अपनी फूटी किस्मत में तो केवल एक लुगाई है



तेरे गालों के गड्ढे में गिर कर ही दम टूट गया


पूछे कौन समन्दर से तुझमे कितनी गहराई है



हाँ भई हाँ, हम तो कड़वे हैं, खारे हैं और खट्टे भी


तुझको मीठा होना ही था, बाप तेरा  हलवाई है



पाकिस्तानी मलिक हो चाहे, हिन्दुस्तानी मलिका हो


जिसने जितना जिस्म दिखाया, उतनी शोहरत पाई है



घर के सब बच्चे ख़ुश होकर लगे नाचने आँगन में


मैंने पूछा- क्या लफड़ा है, बोले- बिजली आई है



महानगर की ये विडम्बना हमने देखी 'अलबेला'


भीतर बहना बदन बेचती,  बाहर बैठा भाई है 



 जय हिन्द !
 -अलबेला खत्री 
 

कितने साल घिसा है ख़ुद को, तब ये दौलत पाई है




सूनापन है,   सन्नाटा है,   तल्खी है,   तन्हाई है


ऐसे में क्या ख़बर कहाँ से ग़ज़ल उतर कर आई है



उमड़ रहा पुरज़ोर तलातुम जब मुर्शद के प्याले में 


पूछे कौन समन्दर से तुझमे कितनी गहराई है



महल तो है पर सपनों का है, घोड़े हैं पर ख़्वाबों के


चन्द तालियाँ, वाहवाहियां, अपनी असल  कमाई है



औरों ने कितना सरमाया जोड़ लिया है  बैंकों में


हमने  तो बस झख मारी है,  केवल धूल उड़ाई है



लाल किला लगता है गोया  महबूबा की लाली सा


ताजमहल भी किसी हसीना की कातिल अंगड़ाई है



सर पे चिट्टे बाल देख कर, काहे को शरमाऊं मैं


कितने साल घिसा है ख़ुद को, तब ये दौलत पाई है



प्यार-मोहब्बत, यारी-वारी, अपने बस की बात नहीं


जब भी कोशिश की "अलबेला" चोट करारी खाई है



____जय हिन्द !


नयन झुके तो सर झुके, नयन झुकाना छोड़

लीजिये मित्रो, आज आपके लिए कुछ नयनों के दोहे प्रस्तुत हैं 


नैन कहो नैना कहो नयन कहो या आँख 

प्रेम पपीहे को मिली, सदा इन्हीं से पाँख 



नयन उठा कर देखिये, पहले घर का हाल 


फिर महफ़िल में आइये करके चौड़ी चाल 



नयन झुके तो सर झुके, नयन झुकाना छोड़ 


नयन उठाना सीखले, कर दुनिया से होड़ 



नयन मिले तो मन मिले, नयन हैं मन के दूत 


मन यदि मोती बन गये, नयन बनेंगे सूत 



नयन तेरे रण बाँकुरे, करते ख़ूब शिकार 


औरों की तो क्या कहूँ, मुझको डाला मार 



नयनबाण मत मारिये, मर जायेंगे लोग 


शगल तुम्हारा न बने, घर-आँगन का सोग 



मैंने ऐसे कर दिया, निज नयनों का दान 


जैसे पूरा कर लिया,  जीवन का अरमान 



-अलबेला खत्री 


मत दिखलाना घाव किसी को, लोग नमक घिसने लगते हैं




रिश्ते जब रिसने लगते हैं 

तब परिजन पिसने लगते हैं 

मत दिखलाना घाव किसी को 

लोग नमक घिसने लगते हैं 

-अलबेला खत्री 

यह एक ओछी और घटिया मानसिकता है जिससे उर्दू वालों को बचना चाहिए



अभी हाल ही एक नवोदित हिन्दी कवयित्री को सिर्फ़ इसलिए 

सरे-महफ़िल शर्मसार होना पड़ा क्योंकि उसे चन्द उर्दू लफ़्ज़ों का 

 मुकम्मल ज्ञान नहीं था . अपने आप को खां साहब समझने वाले 

कुछ उर्दू शायरों ने उसकी खूब लाहनत-मलामत की .........यह देख 

मुझे दुःख हुआ . बहुत दुःख हुआ .


उर्दू में लिखने वाले लोग हिंदी में लिखने वालों को नीचा दिखाने का 


कोई मौका नहीं चूकते . मौका न मिले तो उसे पैदा कर लेते हैं . यह 

एक ओछी और घटिया मानसिकता है जिससे उर्दू वालों को बचना 

चाहिए . क्योंकि कुछ शब्द उर्दू में ऐसे हैं जिनके बारे में सही उच्चारण 

का हर हिन्दी  भाषी को पता नहीं है . इसका मतलब यह नहीं कि आप 

हिन्दी भाषी का मज़ाक उड़ाने के अधिकारी हो गए .

हार्दिक दुःख सहित


-अलबेला खत्री

हास्यकवि अलबेला खत्री की धार्मिक कृति जय माँ हिंगुलाज के भव्य लोकार्पण की सचित्र झांकी

हास्यकवि अलबेला खत्री  की  धार्मिक कृति  जय माँ हिंगुलाज के भव्य लोकार्पण  की सचित्र झांकी

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हास्यकवि अलबेला खत्री  की  धार्मिक कृति  जय माँ हिंगुलाज के भव्य लोकार्पण  की सचित्र झांकी

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नरेन्द्र भाई मोदी को देश का प्रधानमंत्री बना कर भारत का जीर्णोद्धार करो


गुजरात जीत गया, अब जीतेगा भारत

नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री  बनाओ 

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