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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

दिल के है नजदीक पर, बाहों से है दूर .......


जीवन के दोहे 

छोटी सी यह ज़िन्दगी, छोटा सा संसार 

छोटे हो कर देखिये, मिलता कितना प्यार 



अपनों की परवाह तो करते हैं सब लोग 


ग़ैरों की ख़िदमत करो, ये है सच्चा योग 



मेरे घर के सामने,  रहती है  इक हूर


दिल के है नजदीक पर, बाहों से है दूर 



पुरखे अपने चल दिए, करके अच्छे  काम


अपनी यह कटिबद्धता, नाम न हो बदनाम 



तेरी मेरी क्या करूँ,  क्या है इसमें सार 


कोशिश है बाँटा करूँ, सबको अविरल प्यार 


- अलबेला खत्री 

hasyakavi albela khatri in ahmadabad

wotch & enjoy super hero narendra modi as prime minister in up coming film


हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा राष्ट्रहित में प्रचारित व प्रसारित



इसलिए लोग कहते हैं कि गरजने वाले बरसते नहीं हैं.........



गरजना
बादल की उकताई और चिल्लाहट है

बरसनाबादल का मदमाना और मुसकाहट है

बादलजब तक बादलों से टकराता है,
बेचारा बोर होता है

लेकिन
बादल जब बादली से मिलता है
तो भाव विभोर होता है

बादल का बादल से घर्षण
दोनों को ही क्या आकर्षण
कितना भी कर लें संघर्षण
किन्तु नहीं हो सकता वर्षण

बादल जब तक आपस में टकराते हैं
केवल बिजलियाँ ही पैदा कर पाते हैं
वे कामाग्नि में दग्ध हो, चिल्लाते हैं
गरज गरज कर अपना रोष दिखाते हैं

तड़प तड़प कर
बिलख बिलख कर
हाहाकार मचाते हैं

भड़क भड़क कर
कड़क कड़क कर
बिजली ख़ूब गिराते हैं

लेकिन जब बादल बादली से मिलता है
तभी हृदय में प्रेम का शतदल खिलता है

चिल्लाना बन्द हो जाता है
बिजली गिरना रुक जाता है
रौद्ररूप को त्याग वो झटपट
विनय भाव से झुक जाता है

दोनों बदन उत्तेजित होते
दोनों मन ऊर्जस्वित होते

चरमबिन्दु पर पहुंचे मिलन जब
बान्ध तोड़, होता है स्खलन जब

बदली तृप्ति से खिल जाती
बादल को तुष्टि मिल जाती

मन भर जाता, भारी हो कर नम हो जाता है
तब आन्सू का क़तरा भी शबनम हो जाता है

बादल-बदली की रूहें
जब हर्षा जाती हैतब वर्षा आती है
तब वर्षा आती है
तब वर्षा आती है


बदरा जब तक बदली से मिलता नहीं है
उसके मन का मोगरा खिलता नहीं है

ये बादल बड़े हठीले हैं
जब तक स्वयं सरसते नहीं हैं

बाहर कितना भी गरजें
पर भीतर से ये बरसते नहीं हैं

इसलिए लोग कहते हैं कि गरजने वाले
बरसते नहीं हैं

बरसते नहीं हैं
बरसते नहीं हैं

-अलबेला खत्री


 

हमें एक योद्धा कप्तान की ज़रूरत है, वयोवृद्ध और लाचार शासक की नहीं .


मेरे प्यारे देश वासियों

आप किसी भी राजनैतिक  विचारधारा अथवा दल के समर्थक क्यों न हों, एक 


बात तो माननी ही पड़ेगी  कि  सारे दल और दलगत  निष्ठाएं  तभी तक कारगर 

हैं जब तक कि देश सुरक्षित है .  देश की क़ीमत पर किसी भी दल या विचारधारा 

को सहन नहीं किया जा सकता .


दुर्भाग्य से  सोनिया भाभी  द्वारा संचालित वर्तमान सरकार ने  देश को  इतना  


पीछे धकेल दिया है  कि  हर तरफ अँधेरा  नज़र आने  लगा  है .  ऐसे में यदि कोई 

आशा का  कोई सूर्य  हमारे  पास है जो  भारत के सम्मान और स्वाभिमान  को 

पूरे वैभव के साथ पुनः स्थापित  कर सके तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़  नरेन्द्र भाई मोदी 

है .इसलिए  सभी जागरूक  और  देशभक्त नागरिकों को चाहिए कि वे दलगत 

राजनीति से ऊपर उठ कर  अब राष्ट्रहित में श्री मोदी को  बहुमत से मुल्क़ की 

बागडोर सौंपे .


परन्तु  नरेन्द्र मोदी को देश बचाने व चलाने की ज़िम्मेदारी  देनी है तो अभी  


दीजिये,  यही  समय है  उसको अवसर देने का . इतना विलम्ब न करें जितना 

अटल बिहारी वाजपेयी के लिए कर दिया था . शेर के  बूढा होने का इन्तेज़ार मत 

कीजिये,,,,,,,,,,,,,,, हमें एक योद्धा कप्तान की ज़रूरत है, वयोवृद्ध और लाचार 

शासक की नहीं .

जय हिन्द 



इंग्लैण्ड को उसके घर में रौंद कर, भारत ने किया चैम्पियन ट्रॉफी पर कब्ज़ा .. बधाई बधाई बधाई


सृष्टि के स्टेडियम में, 

धरती की पिच पर, 


श्वास श्वास ओवर है, प्राण का विकेट है  



काल गेंदबाज़ और 


देह बल्लेबाज़ है जी, 


अम्पायर धर्मराज,  कर्म रन  रेट है  



फ़ील्डिंग बीमारियों ने, 


रखी है सम्हाल और 


विकेट कीपिंग पर यमराज सेट है 



एक  दिन गिल्लियों का, 


उड़ना सुनिश्चित है,  


ऐसा लगता है मानो जीवन  क्रिकेट है 



-अलबेला खत्री


जय हिन्द 



ये रचना मुझे सुन्दर लगी और प्यारी भी, आपको पसंद आये तो बताना ........प्लीज़



उत्तराखंड की महा आपदा पर एक घनाक्षरी अलबेला खत्री की



जगतजननी आदिशक्ति राजराजेश्वरी माँ हिंगुलाज की नवीन आरती

जगतजननी आदिशक्ति राजराजेश्वरी माँ हिंगुलाज की नवीन  आरती

तो फिर देश की कमान वर्दी वालों के हाथ में ही क्यों नहीं सौंप देनी चाहिए



दुर्भाग्य से जब देश में कुदरत का इत्ता बड़ा कहर टूट पड़ा हो कि  हज़ारों लोग काल 


के गाल में फँस गए हों, पांच दिन से  भूखे-प्यासे  हों, सर्दी में कंपकंपा  रहे हों,  दवा  

इत्यादि के अभाव में  बीमारी से तड़प रहे हों  और अपनी जान बचाने के लिए  

सरकार से गुहार व चीख पुकार  कर रहे हों, तब  उनके लिए  खाने पीने तक की  

व्यवस्था  भी  जो लोग नहीं कर  सकते,  ऐसे चादरमोद लोग नेता बनते ही क्यों हैं .


 किस काम  का वह आपदा प्रबंधन विभाग,  किस काम का इतना विराट प्रशासन 


तंत्र और किस काम के वे मौसम विशेषज्ञ तथा  सार्वजनिक निर्माण विभाग के  वरिष्ठ 

इन्जीनियर  जो ऐसे संकट के  समय केवल बहानेबाज़ी कर रहे हैं  और गलत 

सूचनाएं दे दे कर  देशवासियों को गुमराह कर रहे हैं .  उस पर साले, कमीने, 

महाहरामखोर  मंत्री लोग केवल  बयानबाज़ी  क़र के या तो सांत्वना दे रहे हैं  या फिर 

लाख  दो लाख रूपये मुआवज़ा बाँट कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रहे  हैं और  

लोगों की चिंता छोड़ कर राजनीति करने में लगे हुए  हैं . इन  मादरखोरों को 2014 

के चुनाव की चिंता  लगी है .....आज जो हज़ारों जानों पर  मौत का कुहासा छाया है 

वह इन्हें  दिखाई नहीं देता ..............शुक्र है कि  सेना के बहादुर जवान अपना  फ़र्ज़ 

बखूबी निभा रहे हैं  और लोगों को  बचाने में लगे हुए है . ..लेकिन सवाल  है कि  जब 

भी देश में  कोई  ऐसा संकट आता है तो वर्दी वाले ही काम आते हैं,  खादी वाले तो यों 

छुप जाते हैं जैसे  लुहारण के लहंगे में जुएँ  छुपी रहती हैं ...........तो फिर देश की 

कमान  वर्दी वालों के हाथ में ही क्यों नहीं  सौंप देनी चाहिए ...... क्यों हम मतदाता 

हर बार इन्हीं चूतियों को अपना भविष्य सौंप कर  अपने ही हाथों अपने करम फोड़ 

लेते हैं  ........इस पर विचार करना होगा और अगले चुनाव में इन्हें वोट नहीं  सोट 

देना होगा .


अरे भारत सरकार के  नाकाम  मंत्रियो !


नेता होना  क्या होता है यह सीखो गुजरात आ कर  मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से, जो 


सुख और  दुःख की हर घड़ी  में  जनता के  साथ खड़ा रह कर काम करवाता है . याद 

करो 7 अगस्त 2 0 0 6 के दिन  आई  सूरत की  महाभयंकर बाढ़  जिसने पूरे इलाके 

में त्राहि त्राहि मचादी थी लेकिन  सरकारी  तंत्र की कर्मठता के कारण  बचाव कार्य 

इत्ती तीव्रता से हुआ  कि ज़ख्म जल्द ही भर गए  और  जनता का उतना नुक्सान नहीं 

हुआ  जितना हो सकता था . 


कौन  नहीं जानता कि  जब तक  सबकुछ ठीक नहीं हो गया तब तक नरेन्द्र मोदी  


सूरत में ही डेरा डाले रहे  और  समूचे प्रदेश के तमाम  विशेषज्ञ  और संसाधन  सूरत 

में बुला कर उनका  पूरा पूरा उपयोग किया .......अगर  उस वक्त  इतनी तत्परता 

नहीं दिखाई  होती सरकार ने  तो सूरत में  महामारी फैलने  से कोई रोक नहीं 

सकता था .  अगर नरेन्द्र मोदी  की सरकार  जनता के संकट  को मिटा सकती है  

तो  सोनिया  गाँधी  की बांसुरी पर करतब दिखाने वाले जमूरे  ये सब क्यों नहीं कर 

सकते  ?  जनता कल सवाल पूछेगी तो   उनका जवाब क्या सोनिया से पूछ कर दोगे 

या कभी अपनी ओर से भी कुछ कहोगे सरदार जी ?


आओ साथियो, लाख लाख लाहनत भेजें  इस मरदूद  हुकूमत को और सब मिल 


कर अपने अपने इष्ट प्रार्थना करें कि  उत्तराखंड में  फंसे  तमाम  लोगों  को परमपिता 

परमात्मा इस संकट से बाहर निकाल कर उन्हें उनके परिवार तक सुरक्षित पहुँचाने 

की कृपा करे  .

जय हिन्द ! 





बुढ़ापे में पीली हो जाती है और मौत पर काली हो जाती है


न तो पेट भर पाता है सदा के लिए, 

न ही पेट के नीचे की आग बुझा पाता है

 

देह की गंध

एक सी नहीं रहती

बदलती रहती है रंग

बदलते समय के संग

शैशव की गंध श्वेत होती है

किशोरवय में गुलाबी और यौवन में सुर्ख़ होती है

जो

अधेड़ावस्था में जोगिया होती हुई

बुढ़ापे में पीली हो जाती है

और

मौत पर काली हो जाती है

काली पड़ चुकी गंध में कोई और रंग चढ़ नहीं सकता

इसीलिए तो मानव  का वय-रथ आगे बढ़ नहीं सकता

योनिद्वार से निकल कर

हरिद्वार तक की यात्रा करने वाला मनुष्य

पेट के नीचे से  जन्म लेता है

और

जीवन भर पेट व  पेट के नीचे की क्षुधा

भरने का प्रयास करता है

मगर अफ़सोस !

न तो पेट भर पाता है सदा के  लिए

न ही पेट के नीचे की आग बुझा पाता है

घर्षण से लेकर स्खलन तक

अर्थात 

सम्भोग से ले  समाधि तक

तमाम रंग उभरते हैं उभारों की तरह

और

जलाते हैं मनुष्य को अंगारों की तरह

देह जब तक  जीवित रहती, वासना में जलती है

इक  धधकती आग हरदम तहे-दिल में पलती है

ये गाड़ी ज़ीस्त की ऐसे चलती है, ऐसे ही चलती है

-अलबेला खत्री 

 

क्या अदा, क्या जलवे तेरे रचना ! तू तो नहीं मिली पर मेरा काम तो हो गया




 गुमशुदा रचना की तलाश में  अपने मुख्य ब्लॉग पर  कल एक पोस्ट  मैंने 


किसलिए लगाईं थी, यह तो मैं ख़ुद नहीं जानता, लेकिन परिणाम बड़ा अच्छा 

आया, ये मैं जानता हूँ .  जिस ब्लॉग पर रक्तदान जैसे संवेदनात्मक  विषय पर  

पाठकों की संख्या केवल  तीन अंकों में थी,  मेरी रचना  का जादू ऐसा चला  

कि  पाठक संख्या सीधे चार अंकों में पहुँच गयी .


पहले मैं समझता  था कि  लोग ज़्यादातर केवल  जापानी तेल, सेक्स, सविता 


भाभी, जवानी और छाती से छाती मिली जैसी  शब्दावलियाँ  ही बांचते हैं . लेकिन 

आज मुझे एहसास  होगया  कि  यहाँ  मेरी रचना  भी काफी हॉट है . लिहाज़ा  

मैंने निर्णय कर लिया है  कि  मैं भी  अब अपने ब्लॉग पर  फिर से लिखना शुरू  करूँगा 

 .....और अन्य ब्लोग्गर बन्धुओं  की रचनाएं बांच कर उन्हें  लगातार  टिप्पणियां 

भी दूंगा . इससे दो फ़ायदे एक साथ होंगे,  एक तो ये कि  मुझे नई  नई  रचनाओं  

को पढने का अवसर मिलेगा, दूसरा  मैं जिन्हें टिप्पणियां  दूंगा, वे भी  ब्लॉग पर आयेंगे 

मेरी रचना का आनंद लेने के लिए ............

जय हिन्द ! 



कहाँ खो गई एक रचना ! वोह रचना जो कभी मेरे आसपास ही रहती थी



तलाश है एक अदद रचना की ........जी हाँ, सिर्फ़ एक रचना की, लेकिन ऐसी 


वैसी नहीं, एक ख़ास रचना की, उस रचना की जिसका मुद्रक-प्रकाशक  होने 

का मेरा बड़ा मन कर रहा है . इत्ते दिन  उसकी याद नहीं आई,क्योंकि एक तो 

अन्य रचनाओं से काम चल रहा था  दूसरे  उस में मंचीय कसाव नहीं होने के 

कारण,   बड़े मंचों के  लिए उपयोगी न हो कर  महज  गोष्ठी-वोष्ठी  के काम की 

ही थी लेकिन अब बड़ी शिद्दत से ढूंढ रहा हूँ .  ढूंढें ही जा रहा हूँ  उस कमबख्त 

को जो पहले किसी काम की नहीं लग रही थी .लेकिन आज  उसकी ज़रूरत पड़ 

गयी क्योंकि  मेरे अगले काव्य-संकलन में उसे शामिल करना इसलिए ज़रूरी 

हो गया है  क्योंकि सौ में एक कम पड़  रही है .


हालांकि न वह ग़ज़ल की तरह अनुशासित है, न ही नज़्म की तरह शगुफ़्त, न 


कविता सी कोमलकान्त  है, न ही मुक्तक की भान्ति उन्मुक्त,,, दोहे और चौपाई 

सी तीखी और मारक भले  है लेकिन  हाइकू जितनी सरल नहीं है . असल में वह 

एक अलग किस्म की रचना है जिसे लोग कुण्डलिया  कहते हैं . बस ...........उसी 

को तलाश रहा हूँ . न जाने कहाँ कुंडली मार कर बैठ  गयी है कठोर .......


कितना दुःख होता है जब अपनी कोई  रचना गुम  हो जाती है............ यह मुझसे 


ज्यादा कौन समझेगा ? जिसकी एक ऐसी रचना खो  गयी  जिसे मैं सलीके से 

सुधार-वुधार कर अपनी क़िताब  में छापना चाहता था ताकि लोग एन्जॉय कर 

सकें . अरे भाई  लोग एन्जॉय करें न करें, मुझे क्या मतलब,लेकिन मेरी किताब 

तो पूरी हो जाती .....अब एक, सिर्फ़ एक  कुण्डली के कम पड़  जाने से पांडुलिपि 

का काम रुक गया है  .


वैसे देखा जाए तो मैं भी बड़ा चूतिया आदमी हूँ ............इत्ती बकवास लिखने से 


अच्छा था, एक नई  रचना ही लिख लेता ............हुड !!!!!! बेवकूफ़ कहीं का  


जाओ भाई जाओ,  टाइम खोटी मत करो,  आप अपना काम कारो और मैं .....


रचना करता हूँ  एक नयी रचना  की ताकि सौ पूरी हो जाए  और संकलन समय 

पर प्रकाशित हो जाए .

-अलबेला खत्री 
 

चलो रक्तदान करें ....... आज 14 जून अर्थात विश्व रक्तदान दिवस है





चन्दा केवल एक है, अनगिन यहाँ चकोर, सभी ताकते चाँद को हो कर भाव विभोर



चाँद : दो कुंडलिया

कविता लिख दूँ चाँद पर, यदि तुम करो पसन्द
मेरा तो इक लक्ष्य है, उर उमड़े आनन्द
उर उमड़े आनन्द, सुरतिया खिल खिल जाये
काश ! किसी उर्वशी  से अपना  उर मिल जाये
जीवन के मरुथल में बह जाये रस सरिता
करूँ समर्पित मैं तुमको  अपनी हर कविता


चन्दा केवल एक है,  अनगिन यहाँ चकोर
सभी ताकते चाँद को हो कर भाव विभोर
हो कर भाव विभोर, इश्क़ में मर जाते हैं
पर  दीदारे-यार वो मन भर कर जाते हैं
हाय मोहब्बत ही बन जाती है इक  फन्दा
कितने आशिक जीम गया यह ज़ालिम चन्दा

जय हिन्द
-अलबेला खत्री 






नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे बनेंगे बनेंगे, पूरा देश एक जुट होकर बनाएगा narendra modi prime minister of india


बड़ी  चिंता थी  इस बात की कि  भ्रष्टाचार और बेईमानी के इस दौर में 

देश कहाँ जाएगा . लेकिन अब मन बहुत प्रसन्न है . देश के सर्वाधिक  

लोकप्रिय और देशभक्त नेता  नरेन्द्र भाई मोदी के हाथ में कमान आ गयी 

है  चुनाव 2014  की ....अब देश का कुछ  भला होगा ..ऐसा विश्वास है और 

मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे इसका हम सबको  पूर्वाभास है

जय हिन्द !

अलबेला खत्री

http://primeministernarendramodi.blogspot.in/2013/06/narendra-bhai-modi-ko-prime-minister.html






मानसून ने कल दिन में मेरे शहर में दस्तक दी और रात को मेरी आँखों में



नमस्कार, प्रणाम, सुप्रभात प्यारे मित्रो !

मानसून ने  कल दिन में  मेरे शहर में दस्तक दी और रात को मेरी आँखों में ......... 


सच !  बहुत सालों बाद  मेरी आँखों में इत्ता सारा पानी एक साथ देखा गया ............

ये पानी आनंद का था, ये पानी कृतज्ञता का था और ये पानी आत्मीयता का था ......

इससे ज्यादा सौभाग्य किसी कलाकार के लिए और क्या हो सकता है कि  दर्शक 

ख़ुशी से झूम उठें 


जैसे ही रात दस बजे "सब टीवी पर वाह वाह क्या बात है" कार्यक्रम  शुरू हुआ,  


मेरे तीनों फोन लगातार बजते रहे और  सैकड़ों की संख्या में एस एम एस व 

 ईमेल आने लगे बधाइयों के ..........फेसबुक पर भी  मित्रों ने खूब  उत्साहवर्धन 

किया .......आप जैसे मित्रों का यह प्यार - दुलार और आशीर्वाद  मेरे लिए अनमोल 

है मित्रो !  मैं आभारी हूँ आप सब का  और वचन देता हूँ  कि  आगे भी इसी तरह 

आपकी सेवा में लगातार  नव सृजन करता रहूँगा

जय हिन्द !


हास्यकवि अलबेला खत्री की नवीनतम रचना आज रात सब टीवी पर वाह वाह क्या बात है में ...


प्यारे मित्रो ! 

लीजिये एक बार फिर आप से रूबरू  होने का  अवसर आया है .

 कोलाहल के राज में कविता भले ही आज हाशिये पर चली गयी है 

फिर भी कविता के नाम पर  जो कुछ अच्छा हो रहा है उसमें  एक 

काम  सब टीवी पर वाह वाह क्या बात है  कार्यक्रम भी है . इस 

चर्चित प्रोग्राम में  एक बार फिर मैं आ रहा हूँ  अपनी कुछ नवीनतम  

हास्य रचनाओं के साथ ...........देखना  न भूलें ......


तो फिर आज रात दस बजे ...........




जय हिन्द ! 
-अलबेला खत्री 



लूट दबा कर लूट रे खादी, लूट दबा कर लूट by hasyakavi albela khatri on sab tv


loot daba kar loot re khadi, 
loot daba kar loot....
albela khatri on sab tv in waah waah kya baat hai




अहमदाबादी रसियाओं द्वारा गुजरात के आँगन में पंजाब के पुत्तरों का ज़ोरदार अभिनन्दन




गरमी तो बहुत थी उस दिन ....  आग बरस रही थी आकाश से ....परन्तु 


अहमदाबाद - गांधीनगर के मध्य स्थित  नारायणी रिसोर्ट में 2 7 मई  की

 दोपहर 2 बजे और इस्कोन मेगा मॉल में शाम 6 बजे जो कुछ देखने को 

मिला वह  अद्भुत और अभिनव था ही नयनो को शीतलता  प्रदान करने वाला 

भी था .


Lux  Cozi  द्वारा अपने वितरकों और विक्रेता बंधुओं के लिए  आयोजित इन 


शानदार आयोजनों में फ़िल्म यमला   दीवाना 2 के तमाम सितारे मौजूद रहे 

और उन्होंने  लोगों को   मस्ती बांटी . खासकर सन्नी दयोल और बॉबी दयोल 

ने गुजराती में  और रशियन अभिनेत्री  क्रिस्टीना ने हिंदी में  बोल कर तो गज़ब 

ही ढा  दिया . नेहा शर्मा  की  मृदुल मुस्कान पर  फ़िदा अहमदाबादी  इन सितारों 

से मिल कर, उनसे बात करके,  फोटो  खिंचवाके और  सन्नी के हाथों  

एप्रिशिएशन सर्टिफिकेट प्राप्त कर के  मंत्रमुग्ध हो गए .


इन भव्य समारोहों का  मंच सञ्चालन मैंने किया  और खूब जम  कर किया . 


हँसा हँसा के लोटपोट कर दिया सब को ....हालांकि मेरे मित्र  राजकुमार भक्कड़ 

 ने भी माइक पर आ कर खूब चुटकियाँ ली . जबकि  lux cozi के  प्रबंध निदेशक 

अशोक तोदी ने अपने सारगर्भित सम्बोधन में  बहुत सी अच्छी  बातें कहीं .


जय हिन्द ! 













 

Lux Cozi की महफ़िल में फ़िल्मी सितारों का जमघट और अलबेला खत्री ने लगवाए ठहाके

प्यारे मित्रो,

नमस्कार सहित हार्दिक  अभिनन्दन .



इस बार यात्रा में ज्यादा मज़ा आया .  Lux  Cozi  के निमन्त्रण पर 


अहमदाबाद, जयपुर और चंडीगढ़ इत्यादि अनेक शहरों में  फिल्म 

'यमला पगला दीवाना 2' के  सभी सितारों के साथ जनता से रूबरू 

होने के अवसर मिले .


ही मैन धर्मेन्द्र समेत सन्नी दयोल, बॉबी दयोल, क्रिस्टीना और नेहा 


शर्मा  के साथ गुज़रे कुछ दिनों में बहुत से ऐसे खूबसूरत  संस्मरण  

बने हैं  कि  तन मन दोनों मस्त हैं .  फुर्सत मिलने पर कुछ ख़ास किस्से  

आपको ज़रूर बताऊंगा .........आपको भी अच्छा लगेगा .


जय हिन्द !     

Mr. Ashok Todi ( CMD Lux Cozi )with Rajkumar Bhakkar, Vijay Jetani, Mr. Poddar & Albela Khatri

Mr. Ashok Todi, Sunny Dayol, Albela Khatri & Lux Cozi distributer from Himmatnagar

Mr. Sunny Dayol, Albela Khatri, Neha Sharma, Sunny's Uncle & Mr. Ashok Todi

Albela Khatri With His best Friend Mr. Rajkumar Bhakkar  from  Lux Cozi

Albela Khatri Presenting  Mr. Sunny Dayol

Neha Sharma,  Sunny Dayol, Mr. Ashok Todi, Poddar saheb & Albela khatri

Ms. Cristina, Sunny Dayol, Neha Sharma, Mr. Ashok Todi & Albela Khatri

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