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Albela Khatri

मूर्ख व्यक्ति




विषम दशा में पड़ कर


मूर्ख व्यक्ति


भाग्य को दोष देने लगता है


लेकिन अपने


कर्म-दोष नहीं देखता



- विष्णु शर्मा



दिल्ली के दिलवाले ब्लोगर्स मित्रों से मिलने का शुभ मुहूर्त निकला है 26 मार्च से 27 मार्च 2010

बहुत दिनों से मन में अभीप्सा थी दिल्ली के दिल वाले बलोगर्स

बन्धुओं और बान्धवियों से मुलाक़ात करने की जो कदाचित इस

26 या 27 मार्च को सफलीभूत हो जाये............



हालांकि अविनाशजी और पवन चन्दन जी से तो मैं मिल चुका हूँ

और दोनों के ही घर में भोजन भी कर चुका हूँ, दोनों की ही गाड़ियों

में घूम चुका हूँ और दोनों की ही 3-3 किलोमीटर लम्बी कवितायें

भी झेल ( सुन ) चुका हूँ लेकिन मन नहीं भरा यार..............

इसलिए सोचता हूँ क्यों ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से भेन्ट हो जाये

ताकि इक दूजे को निकट से समझने और जानने का माहौल बने........



अपनी कवि-सम्मेलनीय यात्रा के दौरान पहले मैं सिर्फ़ 25 की

रात्रि ही दिल्ली में रुकने वाला था इसलिए मुलाक़ात मुश्किल थी

क्योंकि अविनाशजी ने बताया कि एक तो वर्किंग डे, दूजे लोग भी

दूर दूर रहते हैं सो रात्रि के समय भेन्ट मुश्किल है सो मैंने अपने

कार्यक्रम में थोड़ा हेर-फेर कर दिया और अब 26 27 को पूरा दिन

दिल्ली में ठहराव करने की तैयारी है आशा है, अब अधिकाधिक

लोगों से भेन्ट हो जायेगी........



मैं सर्वश्री अविनाश वाचस्पति, पवन चन्दन, राजीव तनेजा,

अजय कुमार झा, रजत नरूला, डॉ टी एस दराल एवं कनिष्क जी

समेत सभी मित्रों से निवेदन करना चाहता हूँ कि यदि वे इन दिनों

वहीँ हों और उनकी दिनचर्या में कोई खलल पड़ता हो, तो 27 मार्च

यानी शनिवार को सुबह के समय एक गोष्ठी जैसा जमावड़ा कर लेते हैं

ताकि महफ़िल की महफ़िल और भेन्ट की भेन्ट !



आशा है .............आनन्द आएगा और दिल्ली की यह यात्रा

यादगार होगी हम सब के लिए.........


निवेदक

-
अलबेला खत्री

092287 56902

094083 29393


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जब एक कबूतर ने समीर लाल जी की बैंड बजा दी ......

अपने समीर लाल जी सुबह सुबह 'सेहत बनाओ' अभियान के तहत

गार्डन में टहल रहे थे कि अचानक एक कबूतर ने उड़ते उड़ते ही उन

पर "गुड मोर्निंग" कर दी जिससे उनकी कमीज़ भी खराब हो गई और

मूड भी किरकिरा हो गया गुस्से में कबूतर को डांटते हुए समीर जी

ने कहा - " क्यों बे बदतमीज़ ! चड्डी नहीं पहनता क्या ? "



कबूतर भी शायद जबलपुर से ही कनाडा गया हुआ था, हँसता हुआ

बोला - " चड्डी पहन के आप करते होंगे हुजुर, मैं तो चड्डी उतार के

करता हूँ.....इस बात पर तो समीर लाल जी की भी हँसी छूट गई



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मज़ा आया योगेन्द्र मौदगिल के साथ भिवानी में .......





यों तो अभी हाल ही बहुत कवि-सम्मेलन किये और लम्बी-लम्बी

यात्राओं में व्यस्त रहा लेकिन योगेन्द्र मौदगिल के संयोजन में

पहली बार कविता पढने का अनुभव अत्यंत सुखद रहा


भिवानी के सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थान टैक्नोलोजिकल इंस्टीटयूट

ऑफ़ टेक्सटाइल एंड साइन्सेज़ के युवा महोत्सव में एक रंगारंग

हास्य कवि-सम्मेलन हुआ जिसमे योगेन्द्र मौदगिल के अलावा

अलबेला खत्री, डॉ विष्णु सक्सेना, कविता किरण, अशोक कुमार

बत्रा अशोक कुमार शर्मा इत्यादि ने प्रस्तुति दी जिसे हज़ारों

छात्र -छात्राओं ने खूब पसन्द किया


असल मज़ा तो मुझे योगेन्द्र जी से मुलाकात का आया ......बड़े

प्यारे इन्सान हैं और अच्छे कवि के साथ साथ अच्छे पर्फोर्मर

भी हैं खूब सारी बातें और गप्पबाज़ी हुई . यानी आनन्द आया























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पहले ये बताओ, ये इनमे घुसते कैसे हैं ?




एक पोल्ट्री फार्म के पास से गुज़रते समय

मुर्गी के कुछ चूजों को देख कर रंगलाल ने अपने बेटे नंगलाल से पूछा

- बताओ बेटे !

मुर्गी के बच्चे अण्डों में से बाहर कैसे निकल आते हैं ?



नंगलाल बोला- वो मैं बाद में बताऊंगा,

पहले ये बताओ,

ये इनमे घुसते कैसे हैं ?


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गुलाबी नगर में ठंडा डोसा खा कर एकान्त अभिलाषी गर्म जोड़े के लिए खलनायक बने आशीष खंडेलवाल और मैं

कल महामना आशीष खण्डेलवालजी से संक्षिप्त परन्तु सार्थक

और सुमधुर मुलाकात हुई । मौके तो पहले भी बहुत आये थे मगर

कभी ये संयोग हो न पाया, कल चूँकि मैंने उन्हें जयपुर के सवाई

मान सिंह अस्पताल के पास ही बुला लिया था जहां मेरे बड़े भाई

साहेब का इलाज चल रहा है, वे सुबह ठीक नौ बजे आ गये और

एक बढ़िया से रेस्टोरेंट में ले गये जहां खाते-पीते बात कर सकें ।



सच..........बहुत प्यारे व्यक्ति हैं आशीष जी और जीनियस भी !

कुछ ही मिनटों की मुलाकात में उन्होंने न केवल अपने तकनीकी

ज्ञान से बल्कि, ब्लोगिंग को लेकर सकारात्मक नज़रिए और

विनम्र व्यवहार से भी प्रभावित कर दिया । बहुत कुछ सीखने

को मिला उनसे...............



पर कहना मत किसी से ........हमारे इस मिलन से एक

मिलनातुर जोड़ा बहुत दुखी हुआ.........इसका पाप भी अपन

आशीषजी को ही लगायेंगे......... हुआ यों कि जयपुर में सुबह सुबह

वह रेस्टोरेंट लगभग खाली ही रहता है जहां हम गये थे इसलिए

एकान्त का सुख लेने वहाँ एक जोड़ा बैठा प्यार-मुहब्बत की

पींगें बढ़ा ही रहा था कि हम पहुँच गये दाल-भात में मूसलचंद

बन कर । बेचारों को कुछ करने ही नहीं दिया । लड़की तो कुछ

नहीं बोली लेकिन लड़के ने इशारे ही इशारे में मुझसे निवेदन

किया तो मैं समझ भी गया लेकिन तब तक आशीष जी डोसे

का आर्डर दे चुके थे और कॉफी भी आ चुकी थी । इसलिए बात

चलती रही और समय बीतता गया ।



हार के उस जोड़े ने हमें ऐसा श्राप दिया कि हमारा डोसा ही दो

कौड़ी का हो गया । न कोई स्वाद, न कोई जायका... तब कहीं

जा कर हम उठे और जोड़े का रास्ता साफ़ हुआ...........



जो भी हो, मैं तो सभी मित्रों से यही निवेदन करूँगा कि कभी

जयपुर जाना हो, तो आशीषजी से मिलने का प्रयास ज़रूर करें

क्योंकि किसी शायर ने कहा है : ये शहर है पत्थरों का, यहाँ देवता बहुत हैं - इन्सान कोई मिले तो उसके घर ज़रूर जाना

.............लेकिन ध्यान रहे उस रेस्टोरेंट में मत जाना वरना फिर

कोई प्रेमी परिंदा श्राप दे देगा और तुम्हारा डोसा ठंडा हो

जाएगा .....हा हा हा हा




















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नारी के साथ इतना उपेक्षापूर्ण व्यवहार क्यों ?


हे भगवान् !

आप ने ऐसा क्यों किया ?

नारी के साथ इतना उपेक्षापूर्ण व्यवहार क्यों किया ?

पुरूष के लिए तो तुमने

स्वर्ग में सोमरस और नर्तकियों की टनाटन व्यवस्था

कर दी

लेकिन नारी के लिए क्या ?

नारी भी क्या नारी का ही डांस देखे ?

क्या मज़ा आएगा ?

ऐसी व्यवस्था में तो नारियों का सारा पुण्य प्रताप

व्यर्थ ही जाएगा .............

इनके लिए भी उचित व्यवस्था कर.............

और जल्दी कर

क्योंकि नारी अब जाग गई है.........

समझ गया ?

हाँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ज़्यादा कहूँगा तो मुझ पर अश्लीलता का आरोप लग जाएगा

इसलिए मैं तो निकलता हूँ

जयपुर और हरियाणा की चार दिवसीय काव्य-यात्रा पर

14 तारीख को फिर भेन्ट होगी.............

तब तक अपनी भूल सुधार ले.............


प्रार्थी,

-
अलबेला खत्री

















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मखमल के म्यान में तेज़ दिमाग

लोगों से काम लेने के लिए

मखमल के म्यान में

तेज़ दिमाग होना चाहिए


-इलियट
















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धन्य हैं ऐसी बेटियां और पूज्य हैं ऐसी नारियां........




रिटायरमेन्ट के बाद एक गरीब मुनीम को जब एकमुश्त बड़ी

रक़म मिली तो शाम हो चुकी थी और बैंक बन्द हो चुके थे

इसलिए मजबूरन वह सारा रुपया अपने घर ही लेकर गया

लेकिन शहर में चारों तरफ़ चोरियां हो रही थीं इसलिए डरा हुआ था

कि भगवान करे, यदि ये पैसा किसीने चुरा लिया तो वह अपनी

बिटिया की शादी कैसे करेगा ?


घर में पहुँचते ही उसने अपने सारे रूपये बेटी के हवाले कर दिये

और कह दिया कि बेटी ! इन्हें अब तू ही सम्हाल क्योंकि तेरे गरीब

बाप के पास इसके अलावा कुछ नहीं है और शहर में चोरों का

साम्राज्य है


संयोग से रात को उसके घर चोर आगये और बहुत कुछ चुरा ले

गये..........सुबह जब बाप-बेटी नींद से जागे तो घर का बहुत सा

सामान या तो बिखरा पड़ा था या गायब थाबाप रो पड़ा.........बेटी

की भी चीत्कार निकल गई लेकिन उसने स्वयं को सम्हाला और

रोते हुए बाप को ढाढस बँधाया


"मत रो बापू ! मत रो .........थोड़ा बहुत सामान ही तो गया है ...फिर

जायेगा" बेटी बोली तो बाप ने कहा," कहाँ से जायेगा बेटी ! तेरे

बाप की जीवन भर की पूंजी लुट चुकी है , चोरों ने हमें कंगाल कर

दिया है।"


" चिन्ता मत करो बापू, जो रूपये आप ने कल मुझे दिये थे, वे सुरक्षित

पड़े हैंचोरों ने नहीं चुराए " ऐसा कह कर बेटी कमरे में गई और

रामायण उठा कर लायीबाप फटी आँखों से देखता रहाबेटी ने

रामायण खोली और उसमे छिपाकर रखी सारी राशि अपने पिता

के हवाले करदी...........


बाप की आँखों में ख़ुशी चमक उठीउसने बिटिया को गले लगा

लिया । " ये तो चमत्कार हो गया बेटी ! तूने ये रूपये अपनी पेटी

के बजाय रामायण में क्या सोच कर रखे ?"


"यही सोच कर बापू कि चोर चाहे पूरा घर छान लें लेकिन रामायण

में हाथ नहीं डालेंगे .....क्योंकि मैं जानती हूँ, जो चोरी करते हैं, वे

रामायण नहीं पढ़ते और जो रामायण पढ़ते हैं, वे चोरी नहीं

करते ...." बेटी ने कहा


ये समझदारी सिर्फ़ और सिर्फ़ नारी में ही हो सकती है इसलिए

अलबेला खत्री नमन करता है आज इस पोस्ट के माध्यम से

समस्त नारी समाज को.............


धन्य हैं ऐसी बेटियां और पूज्य हैं ऐसी नारियां........







मिथिलेश भाई ! भैंस के आगे बीन बजाने से कुछ नहीं होगा, बीन से भैंस को बजाने का जुगाड़ कीजिये....

बहुत दिनों बाद, आज कुछ बांचने का समय मिला तो जो कुछ

पढ़ने को मिला, वह नि:सन्देह दुखी कर गया ।


भेड़ों और भेड़ियों के बीच अन्तर करना मुश्किल हो गया है .........



भाई मिथिलेश को व्यथित देख मैंने पता लगाया कि बात शुरू

कहाँ से हुई तो ये फूटी कौड़ी का रहस्य उजागर हुआ कि

मिथिलेशजी ने नारी की बढ़ती जा रही बे हयाई पर चिन्ता जताते

हुए भैंस के आगे बीन बजादी थी....... मैं उनसे केवल इतना निवेदन

करना चाहता हूँ कि भाई ! इससे कोई लाभ नहीं होगा ....परिणाम

चाहिए तो बीन से भैंस को बजाना सीख लो.........



रोते हुए बच्चे को चुप कराने के जब सारे उपाय निष्फल हो जाते हैं

तो माँ स्वयं रो पड़ती है और चमत्कार घट जाता है यानी बच्चा चुप

हो जाता है । इसी तरह नंगाई का विरोध करना है तो स्वयं नग्न

होजाओ, इतने नग्न हो जाओ कि नग्नातुर लोग स्वयं आ कर आपको

वस्त्रों का महत्व समझाने लगें ।


बाकी तो राम ही राखे ..........















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दर्द तो अंग अंग में हो रहा है, पर मज़ा भी आ रहा है ..





कई
दिनों तक घर से बाहर था कवि-सम्मेलनीय यात्रा के चलते

देश के अधिकांश हिस्सों में उपस्थिति लगा कर कल जैसे ही लौटा

और कंप्यूटर पर बैठा आप से बात करने के लिए और कुछ लिखने के

लिए तो निकट के शहर वापी से फोन गया कवि-सम्मेलन में

कविता पढने का



मैंने मना कर दिया क्योंकि बहुत थका हुआ था नींद भी नहीं हुई थी

और शरीर में ऊर्जा भी नहीं थी, लेकिन बुलाने वाले ने कहा कि एक

बड़े कवि ने एन टाइम पर आने से मना कर दिया है इसलिए प्रोग्राम

को बचाने के लिए तुम्हें आना ही पड़ेगा मैंने मान धन के बारे में

पूछा तो वो भी बहुत कम था लेकिन उसने दुहाई दी कि प्लीज़ मेरे

आयोजन को बचा लीजिये ...............



लिहाज़ा एक छोटी सी कविता ब्लॉग पर लिख कर मैं रवाना हो

गया .... ठीक समय पर पहुँच गया और काम भी बहुत बढ़िया कर

दिया अब ये पता नहीं कि इतनी ऊर्जा उस वक्त आई कहाँ से ?

करीब एक घंटे तक प्रस्तुति की जबकि एक मिनट बोलने का भी

माद्दा मुझमे नहीं था प्रोग्राम के बाद वे सारे कुकर्म भी करने ही थे

जो आम तौर पर तथाकथित बड़े कवि किया करते हैं .........सो

करते करते सुबह के पाँच बज गये



तीन घंटे नींद लेकर आठ बजे उठा, वहां से घर अभी पहुंचा हूँ और

फिर कंप्यूटर खोल कर बैठा हूँ तो फोन गया है एक पुरस्कार

वितरण समारोह में विशेष अतिथि के रूप में पहुँचने का .........यहाँ

फ़िलवक्त मेरी हालत बहुत खराब है थकान के मारे अंग अंग टूट

रहा है लेकिन कहना मत किसी से...........मज़ा भी बहुत रहा है

क्योंकि किचन से एक नारी स्वर रहा है "मेरा पिया घर आया

राम जी...."






















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