अगर हम उस उच्चतर और गम्भीरतर चेतना में जाना चाहें
जो भगवान को जानती और उनके अन्दर ज्ञानपूर्वक निवास करती है,
तो हमें निम्न प्रकृति की शक्तियों से मुक्त होना होगा और भागवत
शक्ति की उस क्रिया के प्रति अपने को उद्घाटित करना होगा जो हमारी
चेतना को दिव्य प्रकृति की चेतना में रूपान्तरित कर देगी
-अरविन्द घोष
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
मेरे लिए तो मेरी "भागवत" मेरा "कर्म" ही है !
भैया इतना बड़ा परिवर्तन??????
आपने बिल्कुल सही कहा है और मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ! हर एक पंक्तियाँ सच्चाई बयान करती है!
अपने ग़म को लेकर कही और क्यों जाया जाए,
अपनी ही घर की चीजों को सवारा जाए. (निदा फाजली)
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