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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

एक ब्लोगर दूसरे ब्लोगर के व्यावसायिक हित में इस प्रकार भी काम आ कर उसे लाभ पहुंचा सकता है

चार दिन पहले ब्लोगर मित्र कविवर योगेन्द्र मौदगिल का फोन आया

"भाई ! मैं 23 तारीख को अहमदाबाद रहा हूँ" ऐसा उन्होंने बताया


उनका देना बैंक के कवि-सम्मेलन में शाम को काव्यपाठ था

संयोग से उसी रात वहां एक और कवि-सम्मेलन विराट था


योगेन्द्रजी तो थे गुजरात के मेहमान

और मेरी थी आयोजकों से पहचान


सो मैंने तुरन्त उन्हें दूसरे प्रोग्राम में भी आमन्त्रित करवा दिया

सम्मान भी करा दिया और भरपूर मान-धन भी दिलवा दिया


कविवर मौदगिलजी की एक दिन में दो बार चांदी हो गई

टाइमपास का टाइम पास और कमाई की कमाई हो गई



इससे पहले मैं जब दिल्ली में था तो उन्होंने मेरा लाभ कराया था

पानीपत के कवि-सम्मेलन में बुलवा कर लिफाफा दिलवाया था


मैंने उन्हें भिलाई और उन्होंने मुझे भिवानी बुलवाया था

यानी एक ब्लोगर ने दूजे ब्लोगर को फ़ायदा पहुँचाया था


सिलसिला ये बहुत दिनों से चला रहा है

इसमें हम दोनों को बराबर मज़ा रहा है



मेरा बस इतना कहना है

कि हमें मिलकर रहना है


वाह वाही और टिप्पणियों के साथ साथ

हम यों मिलाएं आपस में हितकारी हाथ


कि इकदूजे के लिए व्यावहारिक काम भी आयें

एक के हाथों दूजे के घर नाम संग दाम भी आयें


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15 comments:

संगीता पुरी October 24, 2010 at 9:05 PM  

वाह !! वाह !!
बहुत खूब !!

समय चक्र October 24, 2010 at 9:07 PM  

वाह वाह जब दो यारों की जोड़ी खूब मिली...अच्छा . आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' October 24, 2010 at 9:09 PM  

आपकी उदारता सराहनीय है!

राज भाटिय़ा October 24, 2010 at 9:12 PM  

तो चलिये मै आप दोनो को रोहतक बुला लेता हुं, लिफ़ाफ़ा थमाने के लिये नही, बल्कि गले मिलने के लिये, ब्लांग मिलन के लिये सब से मिलवाने के लिये

M VERMA October 24, 2010 at 10:08 PM  

मिले सुर मेरा तुम्हारा ..
बहुत खूब

शिवम् मिश्रा October 24, 2010 at 10:15 PM  

बस ऐसे ही लगे रहिये ! शुभकामनाएं !

शरद कोकास October 24, 2010 at 10:54 PM  

मंच पर कम से कम यह परम्परा तो है , बाकी जगह तो कवि एक दूसरे की टांग खींचने मे लगे रहते है ।

ब्लॉ.ललित शर्मा October 24, 2010 at 11:06 PM  

मिलते मिलाते रहीए लिफ़ाफ़े थमाते रहिए
एकाध लिफ़ाफ़ा इधर भी भिजवाते रहिए

राम राम

Udan Tashtari October 25, 2010 at 5:42 AM  

बहुत अच्छी परंपरा है.

राजीव तनेजा October 25, 2010 at 8:14 AM  

सराहनीय कदम

योगेन्द्र मौदगिल October 25, 2010 at 8:20 AM  

शुक्रिया भाई जी.... कर्णावती क्लब के राज कुमार भक्कड़ जी का और आपका धन्यवाद. सीधी सी बात है जब दो दिल वाले मिलते हैं तो ये सब अनायास ही हो जाता है...मैं कल रात ११ बजे पानीपत आ गया....

Gyan Darpan October 25, 2010 at 9:35 AM  

आपके इस कार्य सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए , ऐसे बहुत से कार्य है जो एक ब्लोगर दुसरे सम्बंधित कार्य को जानने वाले ब्लोगर को दिलवा सकते है |

Unknown October 25, 2010 at 9:59 AM  

@ रतन सिंह शेखावत जी !
यही मेरा कहना है शेखावत साहब कि जिसे प्रिन्टिंग करानी है वो ब्लोगर की प्रेस से कराये, जिसे वकील चाहिए वो ब्लोगर वकील को अनुबंधित करे, जिसे फर्नीचर खरीदना है वो फर्नीचर विक्रेता ब्लोगर से सम्पर्क करे जिसे इलेक्ट्रोनिक सामान लेना हो, वह ब्लोगर से ले , जिसे वेब साईट बनवानी हो वह ब्लोगर वेब डिज़ाईनर से बनवाये वगैरह हज़ारों काम ऐसे हैं जिनमे हम इक दूजे के साथ व्यावसायिक सम्बन्ध भी बना सकते हैं - इससे दोनों पक्षों का फायदा होगा - एक को रियायत मिलेगी और दूसरे को नये ग्राहक

अरे हाँ......कुंवारे ब्लोगर-ब्लोगरी ब्याह के लिए अपना जीवन साथी ब्लोगर ही चुने तो भी कोई बुराई नहीं ...लेकिन खाली-पीली टाइमपास फ्लर्ट करना हो तो क्षमा करें ...ये आम रास्ता नहीं है ----हा हा हा हा

S.M.Masoom October 25, 2010 at 7:13 PM  

किसी भी अच्छे कम मैं एक दूसरे की मदद करना ही , इंसान का काम है. एक अच्छा क़दम

किरण राजपुरोहित नितिला October 28, 2010 at 12:00 AM  

jordar hai sa .

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