प्रारब्ध से, सौभाग्य से अथवा प्रभु की कृपा से मुझे पिछले कुछ दिन एक
ऐसे अनुपम, अद्वितीय और असाधारण परिवार के साथ गुज़ारने का अवसर
प्राप्त हुआ जो न केवल सराहनीय, सम्माननीय और उल्लेखनीय है बल्कि
अनुकरणीय भी है . धर्म के प्रति सतत समर्पित, मानवसेवा के प्रति सतत
सजग और जैन परम्पराओं के ध्वजवाहक के रूप में देश,काल और समाज
के हितार्थ हर पल, हर क्षण अपनी उपस्थिति से प्रेरित करने वाले इस
परिवार का परिचय आपसे करते हुए मुझे आंतरिक ख़ुशी है .
मूल रूप से राजस्थान में गौड़वाड़ की परम पुनीत धर्म नगरी घाणेराव के तथा
हाल में चेन्नई में सुशोभित स्व . देवराजजी सागरमलजी जैन ( खांटेड़ ) का यह
वृहद्, समृद्ध और सुप्रसिद्ध परिवार ममता व करुणा की साक्षात् मूरत श्रीमती
मोहिनीबाई देवराजजी जैन के नेतृत्व में जिस प्रकार भारतीय परम्पराओं के
साथ साथ धर्म और मानवीय सरोकारों का पोषण कर रहा है वह अद्भुत और
अविश्वसनीय सा लगता है परन्तु यह आश्चर्यजनक सत्य मैंने अपनी आँखों से
देखा है . इसलिए मैं भीतर तक अभिभूत हूँ .
आइये, पूरा परिचय करने से पहले एक झलक देख लीजिये इस परिवार की जिसमे
बीचोबीच विराजित हैं माताजी और दायें-बाएं बैठे हैं धर्म परायण आठ बेटे
और सुसंस्कृत आज्ञाकारी आठ पुत्रवधुएँ .......
अगले अंक में मैं आपको विस्तार से बताऊंगा इस परिवार के बारे में कुछ ऐसी
बातें जिन्हें जान कर आप भी श्रद्धा से नत मस्तक हो जायेंगे
-अलबेला खत्री
स्व . देवराजजी सागरमलजी खांटेड़ ( जैन ) एवं श्रीमती मोहिनी बाई देवराजजी जैन का धर्मावलम्बी संयुक्त परिवार |
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