गुटखा ये पाउच वाला,
जिसने भी मुँह में डाला
गुटखा ले लेगा उसकी जान, कर दो सभी को सावधान
कितने ही मर गये इससे,
कितने ही मिट गये इससे
बूढ़े, बालक, नौजवान, कर दो सभी को सावधान
संतूर, तुलसी, चुटकी, जे पी, दरबार कोई
मानिकचंद, मूलचंद हों या अनुराग कोई
हो चाहे रजनीगन्धा, पानपराग कोई
सबके सब हैं ज़हरीले, कत्थई, भूरे या पीले
सबके सब हैं एक समान, कर दो सभी को सावधान ......
सड़ियल सुपारी डाली, सस्ता ज़र्दा मिलाया
लौंग, इलायची, ख़ुशबू, ठंडक, किवाम दिखलाया
बाकी बस खड़िया मिट्टी, कोरा चूना लगाया
चमड़ी छिपकलियों वाली, सांपों की हड्डियाँ डालीं
नशा है या मौत का सामान, कर दो सभी को सावधान ........
तिल्ली को खा जाता है, पत्थरी, अल्सर देता है
किडनी का दुश्मन है ये कैन्सर भी कर देता है
खाने वाले का जीवन बर्बाद कर देता है
सबसे गन्दी बीमारी, चालू रहती पिचकारी
दफ़्तर हो, घर हो या दूकान , कर दो सभी को सावधान ..........
-हास्यकवि अलबेला खत्री
श्री मुछाला महावीर जी यात्रा संघ के अंतिम चरण में संघपति श्रीमती मोहिनी बाई देवराजजी खांटेड़ के सान्निध्य में यह गीत तीर्थयात्रियों के लिए घाणेराव में प्रस्तुत किया गया
संघपति श्रीमती मोहिनी बाई देवराजजी खांटेड़ ( जैन ) चेन्नई |
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