लो जी, जो मधुर अवसर अनेक वर्षों से लटका हुआ था आख़िर आज आ ही गया अब आप चाहें तो मुझे और मेरे साथ साथ मोबाइल फोन बेचने वालों को बधाई दे सकते हैं
आज मैं अपने घर में मोबाइल फ़ोन चोरी चले जाने का रजत जयन्ती महोत्सव मना रहा हूँ . 1994 में पहला मोबाइल फ़ोन नोकिया 5110 मैंने ख़रीदा था जो कि मुम्बई में चोरी गया था . कालान्तर में नाम बदलते गए , मॉडल बदलते गए, चोरी स्थल बदलते गए परन्तु न मैंने खरीदना बंद किया, न ही चोरों ने चोरी करना ,,,,,,,,,,19 वर्षों में 24 फोन जा चुके थे, 25 वां बहुत दिन से नहीं जा रहा था क्योंकि मैंने महंगा फोन रखना छोड़ कर काम चलाऊ हैंडसेट से ही काम चला रहा था
मगर हाय रे ,,,,,,,,,,मनोज हिन्दुस्तानी और मुकेश से मेरा ये सुख देखा नहीं गया और उनहोंने ताने मार मार कर मुझे प्रेरित कर ही दिया कि मैं भी ऍण्ड्रॉइड फोन ले लूं ,,,परिणाम यह हुआ कि चार दिन पहले ख़रीदा हुआ नया फोन दो दिन पहले राजस्थान के फालना स्टेशन पर चोरी चला गया और मुझे रजत जयंती महोत्सव मनाने का अवसर मिल गया हा हा हा हा हा
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
2 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-02-2014) को "खूबसूरत सफ़र" (चर्चा मंच-1533) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हे भगवान, यह भी कोई रिकार्ड बनाने का विषय है।
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