सच ही कहते हैं लोग, राजनीति तोड़ती है और साहित्य जोड़ता है. इसका एक उदाहरण तो इसी चित्र में देख लीजिये ,,,, ये चित्र मेरी जन्मभूमि श्रीगंगानगर का है जहाँ गत दिनों शहर की साहित्यिक संस्था व नगर परिषद् के साझा तत्वाधान में मेरा नागरिक अभिनन्दन किया गया था - इस समारोह की विशेषता यह थी कि क्षेत्र के तमाम वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, व्यापारी, उद्योगपति व समाजसेवी बन्धु तो मुझे आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित रहे ही, सैद्धांतिक धरातल पर इक दूजे का सदैव विरोध करने वाली विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के धुर विरोधी लोग भी एक मंच पर बैठे थे और एक स्वर में मुझे प्यार दे रहे थे
इस चित्र में लगभग सभी पार्टियों के सक्रिय व वरिष्ठ नेता शामिल हैं
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
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