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Albela Khatri

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मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन



शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन,,,,, होना ही था, सुनने वाले लोग अच्छे थे, आयोजन स्थल भी ज़बरदस्त सजा हुआ था, यूनिट के प्रबन्ध निदेशक समेत सभी पदाधिकारी ठहाके लगाने के लिए मूड में थे और प्रताप फ़ौजदार, ममता शर्मा, नंदकिशोर अकेला तथा सुन्दर मालेगांवी हंसाने के मूड में भी थे

और हाँ, मैं ये बताना तो भूल ही गया कि मंच संचालन जब अलबेला खत्री के हाथ में होगा तो आनन्द तो आएगा ही, यह कौन सी नई बात है हा हा हा हा हा हा हा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
 






 

कवि सम्मेलनों के नाम पर कुछ ख़ास कवियों की मार्केटिंग करने वाले तत्वों को इस कार्यक्रम से दूर ही रखा गया था


अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन सूरत के तत्वाधान में होली के अवसर पर आयोजित विराट हास्य कवि सम्मेलन "हास्य गुलाल" कई मायनों में अनूठा कार्यक्रम था .  लाफ्टर चैम्पियन अलबेला खत्री के अनूठे  मंच संचालन में सूरत के कवि सम्मेलनीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि मंच से सिर्फ़ मौलिक और स्वरचित काव्यप्रस्तुति की गयी  तथा सुनेसुनाए  चुटकुलों को संचालक ने सिरे से ही नकार दिया था . पूरी तरह से पारिवारिक मनोरंजन से  परिपूर्ण  इस कार्यक्रम में हास्य-व्यंग्य के साथ साथ राष्ट्रभक्ति के स्वरों को भी पूरे मनोयोग से सुना गया  .

फ़िल्मी संवादों के अलावा फ़िल्म अभिनेता रंजीत ने जब गाना भी गाया तो लोग झूम उठे,  सुन्दर, शालीन, मौलिक और मधुर  स्वर की साम्राज्ञी श्वेता सरगम के गीत और ग़ज़लों की बहार ने महफ़िल को मोहब्बत से महका दिया, वरिष्ठ कवि संदीप सपन  की ऊर्जस्वित प्रस्तुति के  साथ साथ राजेश अग्रवाल का काव्यपाठ तो जैसे एक उपलब्धि थी सूरत वासियों के लिए ,,,ये दोनों पहली  बार सूरत में प्रस्तुति देने आये थे और खूब पसंद किये गए .  नरेंद्र बंजारा और अशोक भाटी ने भी उम्दा काव्यपाठ किया .

रमेश लोहिया, किशोर बिन्दल, राजू खण्डेलवाल, राजेश भारुका,  सुभाष मित्तल,  इन्दिरा  अग्रवाल इत्यादि आयोजकगण के सधे और कुशल नेतृत्व में दर्शकों से ठसाठस भरे सभागार में अभिनेता रंजीत, वरिष्ठ समाजसेवी किशन अग्रवाल, विधायक श्रीमती संगीता पाटील व हर्ष संघवी के अलावा  श्रीमती गंगा पाटिल, राजू देसाई,  मनोज मिस्त्री इत्यादि अनेक विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति समारोह की गरिमा बढ़ा रही थी . लगभग तीन घंटे तक चले इस रंगारंग  काव्यमहोत्सव में सभी दर्शकों के लिए  ड्राईफ्रूट्स और मिनरल वाटर की भी व्यवस्था थी

कवि सम्मेलनों के नाम पर  कुछ ख़ास कवियों की मार्केटिंग करने वाले तत्वों को इस कार्यक्रम से दूर ही रखा गया था ताकि  सूरत के कवि सम्मेलनों की दिशा और दशा बदले तथा  भविष्य में उन्हीं कवि / कवयित्रियों को बुलाया जाये जो खुद लिखते हैं और खुद सुनाते हैं, चोरी का माल बेचने वाले नकली परफॉर्मरों पर अंकुश लगाने में यह कार्यक्रम कितना सफल होता है यह तो समय बतायेगा लेकिन  मंच के हित में अलबेला खत्री के इस प्रयास को  जिस प्रकार दर्शकों ने सराहा है, वह  उजाले की उम्मीद ज़रूर जगाता है

जय हिन्द !
अलबेला खत्री





aajtak walo ! tumhare ghar me maa - bahan nahin hai kya ?


महिलाओं के सम्मान और गौरव की लड़ाई लड़ने का दम भरने वाला कोई महिला मण्डल आज तक की वेब साइट पर इस तरह के फोटो देख कर क्या सोचता है ?

क्या न्यूज़ चैनल वालों द्वारा ऐसे चित्र दिखा कर किसी महिला के शारीरिक ढाँचे का उपहास उड़ाना उचित है ?

कल आजतक ने पूनम पाण्डेय की नंगी पुंगी फ़ोटो लगा कर अपने पाठकों को उसका जन्मदिवस बताते हुए उसे बधाई देने को कहा था " क्यों भाई ये चैनल अब ऐसी लड़कियों की मार्केटिंग कर रहा है क्या ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



आयोजनों को हथियाने के लिए कोई कवि इतना नीचे भी गिर सकता है, यह पहली बार मुझे पता चला


दिल्ली के उन सभी तथाकथित बड़े कवियों के प्रति आज मेरा मन न केवल वितृष्णा से भर गया है  बल्कि बेहद घृणा से भी भर गया है जिन्होंने आज तक मुझे अँधेरे में रखा और राजेश चेतन के लिए बेहूदा और अनर्गल बातें करके मुझे उनसे दूर रखा

कल जब वड़ोदरा में मुलाकात हुई और उनका मंचीय कार्य कौशल देखा तो सारा झूठ काफूर होगया  और कविवर राजेश चेतन को मैंने न केवल एक मेधावी रचनाकार व  ज़बरदस्त मंच संचालक के रूप में पाया बल्कि  उनके व्यक्तित्व में सौम्य कवित्व से लबालब एक श्रेष्ठ इन्सान भी सामने आया  - हद हो गयी यार !  चार पैसों और तीन आयोजनों को हथियाने के लिए कोई कवि इतना नीचे भी गिर सकता है, यह पहली बार मुझे पता चला

ईश्वर इन दुष्टों को भी सदबुद्धि प्रदान करे

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 



आपको सूरत नहीं बदलनी है आपको तो हंगामा खड़ा करना है


आदरणीय  झाड़ूवाल साहेब !
सादर निन्दा प्रस्ताव
अगर आप ये समझते हैं कि अराजकता  मचा कर अपनी महत्वाकांक्षा का  राजनैतिक उल्लू सीधा कर लेंगे तो मेरी समझ में ये आपकी  भूल है क्योंकि हिन्दुस्तान की सारी जनता इतनी वो  नहीं, जितनी आपने  समझ रखा है, या यों समझिये कि पूरा देश दिल्ली नहीं है, जो आपकी  बातों में आ जायेगा   और अपना वोट अराजक तत्वों को दे कर अपने ही हाथों अपने करम फोड़ लेगा  

चन्द सरफ़िरे और टपोरी लोगों के उत्पात मचा देने से अगर सत्ता मिल जाती तो आप से पहले ही कई लोग सत्ता सुंदरी के साथ सुहागरात मना चुके होते, आपश्री का  तो नंबर ही नहीं आता @३$उ*&!06 

श्रीमान घोंचू प्रसाद !  नौकरी मिली तो आप  नौकरी नहीं कर पाये, सत्ता मिली तो उसे सम्हाल नहीं पाये, भगवान् जाने आपकी  गृहस्थी कैसे चल रही है,,,,,किसकी किरपा से चल रही है

जितना ध्यान टीवी पर आने और लोगों का ध्यान खींचने पर लगा रहे हो उतना अगर ईमानदारी से अपने काम पर लगाते और लोगों से किये हुए वायदे पूरे  करते तो आपकी लाज आम चुनाव में भी बच जाती, परन्तु आप तो ठहरे अतिउत्साहीलाल ! आपको सूरत नहीं बदलनी है आपको तो हंगामा खड़ा करना है

राम ही राखे !
जय हिन्द !
अलबेला खत्री







ये चित्र मेरी जन्मभूमि श्रीगंगानगर का है, इसमें सभी पार्टियों के वरिष्ठ नेता शामिल हैं


सच ही कहते हैं  लोग,  राजनीति तोड़ती है और साहित्य जोड़ता है.  इसका एक उदाहरण तो इसी चित्र में देख लीजिये ,,,, ये चित्र मेरी जन्मभूमि श्रीगंगानगर का है  जहाँ  गत दिनों शहर की साहित्यिक संस्था  व नगर परिषद् के साझा तत्वाधान में मेरा नागरिक अभिनन्दन किया गया था - इस समारोह की विशेषता यह थी कि क्षेत्र के तमाम वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, व्यापारी, उद्योगपति व समाजसेवी बन्धु तो मुझे आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित रहे ही, सैद्धांतिक  धरातल पर इक दूजे का सदैव विरोध करने वाली  विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के धुर विरोधी लोग भी एक मंच पर बैठे थे और एक स्वर में मुझे प्यार दे रहे थे

इस चित्र में लगभग सभी पार्टियों के सक्रिय व वरिष्ठ नेता शामिल हैं

जय हिन्द !
अलबेला खत्री


मुझे रजत जयंती महोत्सव मनाने का अवसर मिल गया


लो जी, जो मधुर अवसर अनेक वर्षों से लटका हुआ था आख़िर आज आ ही गया अब आप चाहें तो मुझे और मेरे साथ साथ मोबाइल फोन बेचने वालों को बधाई दे सकते हैं

आज मैं अपने घर में मोबाइल फ़ोन चोरी चले जाने का रजत जयन्ती महोत्सव मना रहा हूँ . 1994 में पहला मोबाइल फ़ोन नोकिया 5110 मैंने ख़रीदा था जो कि मुम्बई में चोरी गया था . कालान्तर में नाम बदलते गए , मॉडल बदलते गए, चोरी स्थल बदलते गए परन्तु न मैंने खरीदना बंद किया, न ही चोरों ने चोरी करना ,,,,,,,,,,19 वर्षों में 24 फोन जा चुके थे, 25 वां बहुत दिन से नहीं जा रहा था क्योंकि मैंने महंगा फोन रखना छोड़ कर काम चलाऊ हैंडसेट से ही काम चला रहा था

मगर हाय रे ,,,,,,,,,,मनोज हिन्दुस्तानी और मुकेश से मेरा ये सुख देखा नहीं गया और उनहोंने ताने मार मार कर मुझे प्रेरित कर ही दिया कि मैं भी ऍण्ड्रॉइड फोन ले लूं ,,,परिणाम यह हुआ कि चार दिन पहले ख़रीदा हुआ नया फोन दो दिन पहले राजस्थान के फालना स्टेशन पर चोरी चला गया और मुझे रजत जयंती महोत्सव मनाने का अवसर मिल गया हा हा हा हा हा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

तीन पत्ती का नशा और जादू लोगों के सर पर चढ़ कर बोलने लगा है


देश के तमाम लोगों को नाकारा करने और आम जनता का ध्यान रोज़मर्रा की समस्याओं के अलावा बड़े बड़े सरकारी घोटालों से हटाने के लिए एक सोची समझी साज़िश के तहत फ़ेसबुक जैसी  लोकप्रिय सोशल साइट पर TEEN PATTI  का अवतरण कराया गया है

तीन पत्ती का नशा और जादू लोगों के सर पर चढ़ कर इतनी ज़ोर से बोलने लगा है कि कुछ ही दिनों मोबाइल फ़ोन बनाने वाली कम्पनियों ने लाखों की संख्या में Android हैण्ड सैट  बेच डाले, लाखों की संख्या में इन्टरनेट कनेक्शन एवं 3G कनेक्शन बिक गए  और facebook  की उपयोगिता व हिट भी करोड़ों गुना बढ़ गयी ,,,,,कुल मिला कर  इन सबको लाभ हुआ ,,लेकिन जनता को क्या मिला बाबाजी का ठुल्लु ?

व्यापारी अपना कामकाज छोड़ कर तीनपत्ती खेल रहे हैं
बच्चे अपनी पढाई छोड़ कर तीन पत्ती  खेल रहे हैं
मुझ जैसे क़लमकार कविताई छोड़ कर तीनपत्ती में लगे हुए हैं

नई उम्र के किशोर - किशोरियां पहले चलती बाइक पर मोबाइल से बात करते थे या कान में स्पीकर घुसेड़ कर गाने सुनते थे तो दुर्घटनाएं होती थीं  अब तो हद्द हो गयी  लड़के लड़कियां आजकल दुपहिया वाहनों पर चलते हुए सड़कों पर  तीनपत्ती खेल रहे हैं जिससे दुर्घटनाओं की आशंकाएं बढ़ गयी हैं

बस बस बस ,,,,,,,,,,,पूरे देश को इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए  और सरकार को तुरन्त संज्ञान लेते हुए इसे बंद कराने का काम करना चाहिए

जय हिन्द !
अलबेला खत्री




अपना नाम 'अलबेला खत्री' से बदल कर 'अल्पसंख्यक' रख लूं ?


सोच रहा हूँ
अपना नाम 'अलबेला खत्री' से बदल कर 'अल्पसंख्यक' रख लूं

हो सकता है किरपा यहीं अटकी पड़ी हो ,,,,

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



पहली पहली बार का मज़ा,,,,,,,,,,



कवियों को पहली पहली बार किसी जगह कवि-सम्मेलन करने का जो आनन्द  आता है वह अनूठा होता है, अविस्मरणीय होता है और आत्मतुष्टिदायक भी होता है . यह मेरा सौभाग्य व माँ शारदा की अनुकम्पा ही है कि ऐसा आनन्द लूटने का अवसर मुझे अनेक बार मिला है, बार-बार मिला है .  देश - विदेश में ऐसे कई संयोग बने जहाँ आयोजन करने वालों को यह भी पता नहीं था कि कवि सम्मेलन होता क्या है ? क्या कोई ड्रामा, नौटंकी, तमाशा या आर्केस्ट्रा जैसा होता है या शास्त्रीय संगीत जैसा ,,,,,,,,,,किष्किन्धा के गंगावती, कोलार गोल्ड फ़ील्ड, केरला के रमाडा, आंध्र के चिवपल्ली, कोंकण के एलोन इत्यादि जगहों पर तो आयोजकों ने विकल्प के तौर पर कवि गण के साथ साथ वहाँ के मिमिक्री या लोकल गायकों को भी बुला रखा था ताकि कवि सम्मेलन यदि न जमे तो दर्शकों को अन्य कलाओं से खुश किया जा सके - परन्तु  कमाल है कि सभी जगह शानदार आयोजन हुए और तीन  घंटों की जगह पांच पांच घंटे तक चले

खैर, ये सब तो अहिन्दी भाषी क्षेत्र थे, मज़ा तो ये है कि हिन्दी भाषी हरियाणा में दिल्ली के समीपवर्ती  सांपला में भी पहली पहली बार योगेन्द्र मौदगिल के संयोजन में हमने ही कवि सम्मेलन किया था जो आज हर साल होता है

इसी शृंखला में ताज़ा नाम जुड़ा है गुजरात में वलसाड के पास पारडी का ,,,,,,,गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी की शाम वहाँ नगर पालिका द्वारा पहली पहली बार एक भव्य हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन हुआ जिसमें दर्शकों से खचाखच भरा पण्डाल देर रात तक ठहाकों से गूंजता रहा और नरेंद्र बंजारा के मंच संचालन में सुदीप भोला, गोविन्द राठी, अलबेला खत्री व डॉ कार्तिक भद्रा की कविताओं ने महफ़िल लूट ली

मुख्या मेहमान धारासभ्य कनु भाई एम देसाई सिर्फ़ 10 मिनट के लिए आये थे, परन्तु ऐसे बैठे कि चार घंटे तक हिले भी नहीं, इसी प्रकार पालिका प्रमुख शरद एम देसाई  तथा उप प्रमुख अनीता के पटेल समेत सभी माननीय पार्षद और अधिकारी भी  आखिर तक जमे रहे - कविगण का भव्य सत्कार भी किया गया और उनकी कला को वाहवाही भी खूब मिली --और क्या चाहिए ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
hindi hasya kavi sammelan in pardi gujarat

hindi hasyakavi sammelan in ahmedabad

 

अपनेराम ने भी एक राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली


लो जी,  "जब प्यार किया तो डरना क्या" वाले इस्टाइल में आज अपनेराम  ने भी एक राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली, भावी प्रधानमन्त्री के लिए सहयोग राशि भर दी, पार्टी फण्ड के लिए डोनेशन भी दे दिया और विभिन्न मदों में 1675 रूपया भी भर दिया

अब ये नहीं बताऊंगा कि किस पार्टी की सदस्यता के लिए ऑनलाइन फ़ॉर्म और पैसा भरा है -बताने की ज़रूरत भी क्या है, आपको सब मालूम ही है … हा हा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री


इससे पहले कि हर आदमी अपने हाथ में जूता ले ले, तुम लाईन पर आ जाओ

aam aadmi nahin hoon main

मैं आज अपना सीना ठोक के कहता हूं कि मैं भारत गणतंत्र का नागरिक हूं। नागरिक इसलिए हूं क्योंकि नगर में रहता हूं और सीना इसलिए ठोक रहा हूं क्यूंकि एक तो इससे वक्ता की बात में वजन आ जाता है, दूसरे सीना भी अपना है और ठोकने वाले भी अपन ही हैं इसलिए किसी दूसरे की आचार संहिता भंग होने का डर नहीं है। हालांकि मैं सीने के बजाय पीठ भी ठोक सकता हूं, लेकिन ठोकूंगा नहीं, क्यूंकि एक तो वहां तक मेरा हाथ ठीक से नहीं पहुंचता, दूसरे ज्यादा ठुकाई होने से पीठ में दर्द हो सकता है और तीसरे मैं एक कलाकार हूं यार, कोई झाड़ूवाल टाइप नेता थोड़े न हूं जो अपने ही हाथों अपनी पीठ ठोकता रहूं।

सरकारी और गैर सरकारी सूत्र मुझे आम आदमी कह कर चिढ़ाते हैं जबकि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मैं कोई आम-वाम नहीं हूं। आम क्या, आलू बुखारा भी नहीं हूं, हां चाहो तो आलू समझ सकते हो क्योंकि एक तो मैं जमीन से जुड़ा हुआ हूं। दूसरे मेरी खाल इतनी पतली है कि कोई भी उधेड़ सकता है, तीसरे गरीब से गरीब और अमीर से अमीर, सभी मुझे एन्जॉय कर सकते हैं और चौथे हर मौसम में, हर हाल में सेवा के लिए मैं उपलब्ध रहता हूं। न मुझे गर्मी मार सकती है न सर्दी, लेकिन मुझे आलू नहीं, आम कहा जाता है और इसलिए आम कहा जाता है ताकि मेरे रक्त को रस की तरह पिया जा सके। हालांकि ये रक्त पिपासु भी कोई बाहर वाले नहीं हैं, अपने ही हैं, बाहर वाले तो जितना पी सकते थे, पीकर पतली गली से निकल लिए, अब अपने वाले बचाखुचा सुड़कने में लगे हैं। मजे की बात ये है कि बाहर वाले तो कुछ छोड़ भी गए, अपने वाले पठ्ठे तो एक-एक बून्द निचोड़ लेने की जुगत में है।

कल रात एक भूतपूर्व सांसद से मुलाकात हो गई। हालांकि वे भूतपूर्व होना नहीं चाहते थे लेकिन होना पड़ा क्योंकि भूतकाल में उन्होंने एक अभूतपूर्व काम कर किया था। (लोगों से रुपया लेकर संसद में सवाल पूछने का) जिसके चलते वे एक स्टिंग आप्रेशन की चपेट में आ गए और भूत हो गए। मैंने पूछा, 'भूतनाथजी, ये नेता लोग जनता को आम जनता क्यों कहते हैं? वो बोले, वैसे तो बहुत से कारण हैं लेकिन मोटा-मोटी यूं समझो कि आम जो है, वो फलों का राजा है और हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता ही असली राजा होती है, शासक तो बेचारा सेवक होता है। दूसरा कारण ये है कि आम का सीजन, आम चुनाव की तरह कुछ ही दिन चलता है, बाकी समय तो बेचारा लापता ही रहता है, लेकिन तीसरा और सबसे खास कारण ये है कि आम स्वादिष्ट बहुत होता है। इसे खाने में मजा बहुत आता है, चाहे किसी प्रान्त का हो, किसी जात का हो, किसी रंग का हो अथवा किसी भी साइज का हो।

आम के आम और गुठलियों के दाम तो आपने सुना ही होगा, जनता को आम कहने का एक कारण ये भी है कि इसे खाने में कोई खतरा नहीं क्यूंकि न तो इनमें कीड़े पड़ते है, न इसकी गुठली में कांटे होते हैं और न ही इनसे अजीर्ण होता है, अरे भाई आम तो ऐसी चीज है कि लंगड़ा हो, तो भी चलता है। मैंने कहा, नेताजी आप एक बात तो बताना भूल ही गए कि आम हर उम्र में उपयोगी होता है।

कच्चा हो तो अचार डालने के काम आता है, पका हुआ रसीला हो तो काट-काट के खाया जा सकता है और बूढ़ा, कमजोर व पिलपिला हो तो चूसने के काम आता है लेकिन सावधान विश्वासघाती नेताजी..अब आदमी को आम आम उसका रक्त पीना छोड़ दो, क्योंकि वो अब तुम्हारी कुटिलता को समझ गया है। जिस दिन नरेन्द्र मोदी जैसा कोई दबंग बन्दा राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए दिल्ली में आ जाएगा उस दिन आप जैसे स्वार्थी, मक्कार और दुष्ट नेताओं का राजनीतिक कार्यक्रम, किरिया क्रम में बदल जाएगा। इसलिए सुधर जाओ, अब भी मौका है।

उसने मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरा। मैंने कहा, घूरते क्या हो? समय बदल चुका है। जिस जनता को तुम पांव की जूती समझते थे वो अब जूते चलाना सीख गई है। इससे पहले कि हर आदमी अपने हाथ में जूता ले ले, तुम लाईन पर आ जाओ वरना ऐसी ऑफ लाइन पर डाल दिए जाओगे जहां से आगे कोई रास्ता नहीं होगा आपके पास। विश्र्वास नहीं होता तो जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को ही देख लो जो अब घर बैठ गए हैं। नेताजी मेरी बातों से उखड़ गए और चलते बने। मैं भी अपने काम में व्यस्त हो गया, लेकिन मेरे मन में एक विजेता जैसी सन्तुष्टि है। मैंने सिद्ध कर दिया कि मैं कोई आम नहीं हूं।

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

hasya kavi sammelan ahmedabad with albela khatri

hasya kavi sammelan ahmedabad with albela khatri

शहीद हेमराज की पत्नी को पाकिस्तानियों के 26 शीश भेंट करते हुए भारतीय सैनिकों की झाँकी


काश !
गणतन्त्र दिवस समारोह में आज इन झाँकियों का प्रदर्शन भी होता :

# अमर शहीद हेमराज की पत्नी को पाकिस्तानियों के 26 शीश भेंट करते हुए भारतीय सैनिकों की झाँकी

# 26 -01 -2001 के प्रलयंकारी भूकम्प से लहूलुहान हो चुके गुजरात को अपने पुरुषार्थ से उन्नति के अभिनव शिखर तक पहुंचाते हुए नरेन्द्र मोदी के अथक परिश्रम की झाँकी

# 2 G, DLF, CWG, कोयला इत्यादि के महाघोटालों से भारत की जनता को लूटते हुए कांग्रेसियों के काले चेहरों की झाँकी

# दिल्ली में रातदिन हो रहे सामूहिक बलात्कारों और हत्याकाण्डों की झाँकी

# मुजफ्फरनगर के दंगों पर बेशर्मी का नंगा नाच करती यूपी सरकार द्वारा आयोजित सैफई के रासरंगों की झाँकी

____आपका क्या ख्याल है ?

अलबेला खत्री



मैंने वज्रपुरुष नरेन्द्र मोदी को देखा है और जल्दी ही प्रधानमन्त्री बनते हुए भी देखूंगा


मुझे अफ़सोस है कि मैंने लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को साक्षात् नहीं देखा, लेकिव मुझे आनन्द है कि मैंने वज्रपुरुष नरेन्द्र मोदी को देखा है और जल्दी ही प्रधानमन्त्री बनते हुए भी देखूंगा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

hasyakavi albela khatri support narendra modi

स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर आज उनके कुछ वचन साझा कर रहा हूँ

स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर 
आज उनके कुछ वचन आप सब मित्रों से साझा कर रहा हूँ

1
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर, अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर, उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।

2
धर्म को लेकर कभी विवाद न करो । धर्म सम्बन्धी सारे विवाद और झगड़े केवल यही दर्शाते हैं कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है । धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं


3
एक मोची, जो कम से कम समय में बढ़िया और मजबूत जूतों की जोड़ी तैयार कर सकता है, अपने व्यवसाय में वह उस प्राध्यापक की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है जो दिन भर थोथी बकवास ही करता रहता है

- स्वामी विवेकानंद

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



भारतीय जनता पार्टी में अनुभवी और ईमानदार राजनेताओं की कार्यकुशल कतार है

--------आइये, एक आंकलन करें :

भारतीय जनता पार्टी में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी, नरेन्द्र मोदी, शिवराजसिंह चौहान, डॉ रमन सिंह, वसुन्धरा राजे सिन्धिया, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, मुख़्तार अब्बास नक़वी, कल्याण सिंह, जसवंतसिंह, राजीव प्रताप रूड़ी, शाहनवाज़ हुसैन, नितिन गडकरी, प्रकाश जावड़ेकर, अनंत कुमार, गोपीनाथ मुण्डे, किरीट सौमैया, उमा भारती, यशवंत सिन्हा, नवजोतसिंह सिद्धू, कीर्ति आज़ाद, स्मृति ईरानी, रामदास अग्रवाल, सत्यनारायण जटिया, कलराज मिश्र, लालजी टंडन, अमित शाह, विनय कटियार, बलबीर पुंज एवं  नज़मा हेपतुल्ला जैसे अनुभवी और ईमानदार राजनेताओं की कार्यकुशल कतार है


कांग्रेस में भी सोनिया गांधी के  पीछे अनेक अनुभवी, कार्यकुशल और लोकप्रिय नेताओं के साथ साथ कई  ऐसे घाघ लोगों की लम्बी फ़ौज है जो राज हथिया सकते हैं, चला सकते हैं और जैसे तैसे ये भ्रम बनाये रख सकते हैं कि देश में सरकार नाम की भी कोई चीज़ है

लेकिन आआपा के पास क्या है ?
ले दे के एक चेहरा है अरविन्द केजरीवाल और दूसरा है मनीष सिसोदिया

दिल्ली में तो जनादेश के विरुद्ध जा कर कांग्रेस से ठग़बन्धन कर लिया और सरकार बना ली लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए 700 लीटर पानी से मुंह धोने वालो !  पूरा देश दिल्ली नहीं है जो तुम्हारे झांसे में आ जाएगा . आज तुम कितना भी दिग्भ्रमित कर दो युवा वर्ग को, लेकिन जिस दिन इनको आपकी असलियत समझ में आएगी,  तुम्हारा झाड़ू तिनके तिनके बिखर जाएगा

लोकतंत्र के महोत्सव में जिस देव की पूजा होती है वो है वोट, हमारा वोट ! इस वोट को  सोच समझ कर काम में लें  और इस बार सिर्फ और सिर्फ देश के हित में  नरेन्द्र  भाई मोदी को दिल्ली की बागडोर सौंपें

जय हिन्द !
रमेश लोहिया




सिल्कसिटी सूरत की कद्दावर हस्ती रमेश लोहिया


 सिल्कसिटी सूरत की कद्दावर हस्ती रमेश लोहिया

एक तरफ जहाँ राजनैतिक स्तर पर चारों तरफ लूट मची है, ऐसे भीषण समय में भी समाज में ऐसे बहुत से लोग  हैं  जो अपने देश और समाज के उत्थान में जुटे हुए हैं तथा तन मन धन से कार्य कर रहे हैं - ऐसे ही एक ज़बरदस्त व्यक्तित्व हैं सूरत के प्रतिष्ठित व्यापारी व समाजसेवी श्री रमेश लोहिया जो वैश्य समाज की राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर की अनेक संस्थाओं के माध्यम से लगातार काम कर रहे हैं . इनकी संगठन शक्ति और हर काम में कौशल दिखाने का जज़बा कमाल है

सूरत निवासी वरिष्ठ एवं सक्रिय समाजसेवी रमेश लोहिया के विराट व्यक्तित्व व कृतित्व तथा सामयिक गतिविधियों को रेखांकित करने के लिए मैंने यह नया ब्लॉग आरम्भ किया है, 


http://rameshlohia.blogspot.in/2014/01/blog-post.html

आशा है मेरे तमाम पाठक मित्र  इनके उर्जस्वित व्यक्तित्व को देखेंगे, परखेंगे, सराहेंगे और  प्रेरणा प्राप्त करेंगे

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

ramesh lohia in action with antar-rashtriy vaish maha sammelan surat

ramesh lohiya in surat with his family

ramesh lohia on mice at the gateway hotel surat

खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरु गोबिन्दसिंहजी के 348 वें प्रकाशोत्सव पर बधाई


राज करेगा खालसा आकी रहे न कोय

सत्य,शौर्य व सर्वकल्याण के उद्घोषक एवं खालसा पंथ के संस्थापक
श्री गुरु गोबिन्दसिंहजी के 348 वें प्रकाशोत्सव पर
सभी देशवासियों को

बधाई एवं गुरुपर्व अभिनन्दन !

अलबेला खत्री



 वाह रे मेरे देश के मीडिया वालो !


तुम्हें दिल्ली से आगे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहाहै - एक मन्त्री की कार पर लगा गेन्द इतना महत्वपूर्ण होगया कि श्रीहरिकोटा में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया देशहित व राष्ट्रगौरव का ऐतिहासिक कार्य भी उसके सामने फीका पड़ गया

जय हिन्द !

आदरणीय मोदीजी, यह अभी नहीं तो कभी नहीं का खेल है, जो जीता वही सिकन्दर होगा


सम्मान्य श्री नरेन्द्र मोदीजी,
मुख्यमन्त्री,
गुजरात शासन

प्रसंग   : लोकसभा चुनाव में हानिकारक परिणाम की चेतावनी
सन्दर्भ : येदुरप्पा जैसे भ्रष्ट ( अगर वे सचमुच दोषी हैं तो ) लोगों का समर्थन

आदरणीय मोदीजी,
ये दौर आपका है, आने वाला समय आपका है  और आप ही हैं जो माँ भारती  के आंसू पोंछ सकते हैं  इसलिए पूरा देश आपके साथ है और आपके नेतृत्व में भारत विश्व की महाशक्ति बनने का सपना  देख रहा है - कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार आपको व आपकी पार्टी को 300 से भी अधिक सीटों के साथ सत्ता का सिंहासन प्राप्त हो, लेकिन सावधानी हटी तो दुर्घटना  घटने का खतरा भी याद रखना होगा

मैं यह तो नहीं जानता कि आपकी पार्टी  यानी भाजपा की  क्या लाचारी अथवा विवशता है जो  येदुरप्पा जैसे तथाकथित रूप से भ्रष्ट लोगों को पुनः पार्टी में शामिल कर रही है लेकिन मैं यह ज़रूर जानता हूँ कि ऐसे लोग न अपने देश के हित में हुए  हैं न ही अपनी पार्टी के हित में रहेंगे लिहाज़ा अगर आपको सचमुच देश का भला करने के लिए  प्रधानमन्त्री बनने का ख्याल आया है तो सर्वप्रथम ऐसे लोगों को चिमटी से पकड़ पकड़ कर पार्टी से बाहर निकालिये जिनकी छवि खराब है  और जो दागी कहलाते हैं तथा अच्छे लोगों को ढूंढ़ ढूंढ़ कर पार्टी में सम्मिलित कीजिये ताकि आपका रथ रास्ते में पंक्चर नहीं हो


जब आपके पास अपनी ख़ुद की उज्ज्वल छवि है,  शक्ति है, सामर्थ्य है और अपार लोकप्रियता के साथ साथ गुजरात में किये गए अप्रतिम विकास के प्रमाण-पत्र हैं तो इन नामुरादों की ज़रूरत ही क्या है आपको ?

यह पत्र मैं आपको इसलिए मेल कर रहा हूँ क्योंकि  आप इस समय अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं एवं उपलब्धियों की सीढ़ी के अन्तिम डण्डे पर खड़े हैं - यदि एक सीढ़ी और चढ़ गए तो  छत पर पहुँच जायेंगे, यानी मन्ज़िल पा लेंगे परन्तु भगवान् न करे, अगर आखरी डंडे से भी फ़िसले, तो सीधे ज़मीन पर नज़र आयेंगे - रास्ते में कोई रोकने वाला नहीं मिलेगा और सच पूछो तो भ्रष्ट सदस्य किसी भी संगठन के लिए फ़िसलन ही पैदा करते हैं - आप गिरें, उठें, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि मुझे तो अन्य बड़े कवियों की तरह  सरकार से न तो प्लॉट, फ़्लैट अथवा कोई एजेन्सी चाहिए, न ही किसी प्रकोष्ठ की अध्यक्षी, पद अथवा  राजकीय पुरस्कार की अभीप्सा है, परन्तु  देश की जनता आपसे आस लगाए बैठी है, अगर आप अपने मिशन में कामयाब न हुए तो जनता के अरमान आँसुओं में बह जाएंगे -

आदरणीय, यह अभी नहीं तो कभी नहीं का खेल है, जो जीता वही सिकन्दर होगा, हारने वाले की हालत तो सद्दाम हुसैन जैसी होने वाली है, यह अभी से  दीख रहा है क्योंकि राजनैतिक स्वार्थ अब इतने अधिक हावी हो गए हैं हरेक पार्टी पर कि  विरोधी विचारधारा का प्रत्येक व्यक्ति अब दुश्मन नज़र आने लगा है - यह दुर्भाग्यपूर्ण है परन्तु सच है

आपका प्रशंसक, समर्थक  और प्रबल हितेच्छु होने के नाते आपको सावधान कर रहा हूँ - चुनाव में जीत हो या  हार, कोई फ़र्क नहीं पड़ता - अपनी कथनी और करनी को एक रखते हुए हार भी मिले तो भी उसमें नैतिक जीत महकती है परन्तु  अपने ज़मीर को दाँव पर  लगा कर जीत भी मिले तो उसमें आत्मिक हार की बदबू आती है

एक मुख्यमन्त्री के रूप में आपने बेहतरीन  काम कर के जो वैश्विक यश अर्जित किया है वह तो कई लोगों को प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति बन कर भी नहीं मिलता ,,,,,आपसे प्रार्थना है कि इतने वर्षों में अर्जित किया हुआ यश चन्द सीटों की कीमत पर मत बेचिए …… आगे आपकी मर्ज़ी, मैं कौन होता हूँ आपकी खीर में अपना चम्मच चलाने वाला

आप विजयी हों,यशस्वी हों, दीर्घायु हों और भारत के राजनैतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हों, ऐसी शुभकामना

जय हिन्द !
अलबेला खत्री


आप विजयी हों,यशस्वी हों, दीर्घायु हों और भारत के राजनैतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हों


अन्ना हज़ारे अपनी समाजसेवी धोती उतार कर कांग्रेस या आआपा का पायजामा पहन लेंगे


आने वाले दिनों में हम ऐसे दृश्य देखेंगे :

# बाबा रामदेव समेत अनेक साधू संत देशहित में नरेंद्र मोदी के लिए वोट मांगेंगे

# अन्ना हज़ारे अपनी  समाजसेवी धोती उतार कर कांग्रेस या आआपा का पायजामा पहन लेंगे और देश भर में इनके समर्थन में वोट मांगेंगे + हो सकता है  कांग्रेस के इशारे पर वे सभी पार्टियों को भाजपा के विरुद्ध एकजुट होने के लिए रामलीला मैदान में आमरण अनशन भी करदें

# जामा मस्जिद से सभी मोमिनों के नाम एक फतवा जारी होगा कि वे अपना वोट चाहे जिसे दें लेकिन नरेन्द्र मोदी एंड पार्टी को न दें क्योंकि भाजपा को वोट देना हराम है

# अरविन्द केजरीवाल एंड पार्टी को अनामी फोन आयेंगे जिसमे उन्हें तथाकथित रूप से धमकियाँ दी जाएंगी - आम आदमी के हित में, मजबूर हो कर दिल्ली के सभी मन्त्री सुरक्षा स्वीकार कर लेंगे

# राजीव गांधी फाउंडेशन का प्रियदर्शिनी अवार्ड अरविन्द केजरीवाल को मिलेगा

# रांकांपा के कई नेता भाजपा में शामिल हो जायेंगे और नरेन्द्र मोदी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे

# मुलायम सिंह पूर्णतः कठोर हो जायेंगे व तीसरा मोर्चा बना कर अल्पसंख्यकों के सारे वोट खींच लेंगे, बाद में जो भी अच्छी कीमत देगा उसे बेच देंगे


जय हिन्द !
अलबेला खत्री



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