तो आप मन्दिर बनायेंगे
और वे मसजिद बनायेंगे
बोले तो
ग़ज़ब ही ढाएँगे
बधाई हो !
आप दुनिया के पहले सुपूत हो
जो अपने बाप को
बच्चा पैदा करना सिखायेंगे
आपको शायद भरोसा नहीं है दुनिया बनाने वाले पर
कि वो अपना घर ख़ुद बना लेगा
मसजिद ख़ुद बना लेगा या मन्दिर ख़ुद बना लेगा
आप उसे बेघर समझ कर घर देना चाहते हैं
आप उसे बेदर समझ कर दर देना चाहते हैं
शाबास !
धन्य हो आप !
जो उस गरीब रब की झोली भर देना चाहते हैं
जिसने तुम्हें बनाया
तुम्हारे जीने के लिए बहुत कुछ बनाया
धरती बनाई
गगन बनाया
झरने-पहाड़- नदियाँ- पोखर
इतना सुन्दर चमन बनाया
करो करो दया करो बेचारे पर
वो बूढा हो गया है न............इसलिए कमज़ोर हो गया है शायद
ऐसे में तुम्हारा फ़र्ज़ तुम ख़ूब अदा कर रहे हो..........
करो
करो और करके ही मरो
वरना तुम्हारी आत्मा को आराम नहीं मिलेगा
क्योंकि जब तक
द्वापर के यदुकुल की भान्ति मिट नहीं जाओगे
तुम्हारे रणबांकुरे वीरों को विश्राम नहीं मिलेगा
जय जय श्रीराम !
अल्लाहो अकबर !
_______________अलबेला खत्री
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बधाई हो ! आप दुनिया के पहले सुपूत हो जो अपने बाप को बच्चा पैदा करना सिखायेंगे
Labels: kavita , poetry , अयोध्या , तुकबंदी , हास्य कवि अलबेला खत्री
अब अमन के देश को सौहार्द्र की शक्ति मिले
चलो धुंधलका हटा
एक बड़ा काम पटा
असमंजस का कुहासा तंग कर रहा था
वैमनस्यता का सियाह रंग भर रहा था
आज आकाश कुछ और खुल गया है, यों लगता है
सबको अपना इन्साफ़ मिल गया है, यों लगता है
मन मेरा भी ख़ुश है, शुक्रगुज़ार है
फ़ैसले का स्वागत बार - बार है
निर्णय भी हुआ और न्याय भी.............
ये शुभ संकेत हैं
शेष हम सचेत हैं
सम्मान हो इस फ़ैसले का तो हमारी शान है
क्योंकि ये अब एकता का हिन्दोस्तान है
अब ज़रूरत ही नहीं है गाँठ के उलझाव की
हाथ में जब आ गई हैं कुंजियाँ सुलझाव की
अब अमन के देश को सौहार्द्र की शक्ति मिले
अब वतन को मज़हबी षड्यंत्रों से मुक्ति मिले
हैं यही शुभकामनायें
हैं यही शुभकामनायें
हैं यही शुभकामनायें