आज 1 दिसम्बर है
यानी विश्व एड्स दिवस
एड......जी हाँ एड ! यानी विज्ञापन
यानी पूर्ण व्यावसायिक आयोजन
दिन भर होगा कण्डोम का " बिन्दास बोल " टाइप प्रचार
यानी आज मनेगा निरोध निर्माताओं का वार्षिक त्यौहार
यानी बदनाम बस्तियों में जायेंगे नेता,क्रिकेटर और फ़िल्म स्टार
यानी कण्डोम कम्पनियां करेंगी आज अरबों - खरबों का व्यापार
सरकार द्वारा जनता को आज जागरूक बनाया जायेगा
यानी कण्डोम का प्रयोग कित्ता ज़रूरी है, ये बताया जायेगा
आज मीडिया में एच आई वी का विरोध दिखाया जाएगा
यानी टेलीविज़न पे खुल्लमखुल्ला निरोध दिखाया जायेगा
मैं पूछना चाहता हूँ इन तथाकथित एच आई वी विरोधियों से
यानी इन सरफ़िरे कण्डोमवादियों से और इन निरोधियों से
क्या कण्डोम लगाने मात्र से बचाव हो जायेगा समाज का ?
क्या व्यभिचार व दुराचार से मुक्ति मुद्दा नहीं है आज का ?
क्या इन्तेज़ाम किया आपने उन बेचारियों के इलाज का ?
लुटाया है जीवन भर जिन्होंने खज़ाना अपनी लाज का
तुमने हालत देखी नहीं कमाटीपुरा की बस्तियों में जा कर
इसलिए सो जाओगे आज स्कॉच पी कर, चिकन खा कर
लेकिन मैं नहीं सो पाऊंगा उनकी मर्मान्तक पीड़ा के कारण
भले ही कर नहीं सकता मैं उनकी वेदना का कोई निवारण
परन्तु प्रार्थना अवश्य करूँगा उन बूढ़ी- बीमार वेश्याओं के लिए
यानी रोटी और दवा को तरसती लाखों लाख पीड़िताओं के लिए
कि अक्ल थोड़ी इस समाज के कर्णधारों को आये
और उन गलियों में निरोध नहीं, रोटियां पहुंचाये
सच तो ये है कि नैतिक ईमानदारी के सिवा दूजा कोई रास्ता नहीं है
लेकिन नैतिकता का इन नंगे कारोबारियों से कोई वास्ता नहीं है
इसलिए लोक दिखावे को ये आज एड्स का विरोध करते रहेंगे
यानी दिन-रात चिल्ला-चिल्ला कर "निरोध निरोध" करते रहेंगे
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
7 comments:
मालिक का रास्ता ही पाप से बचाएगा
पाप से बचना ही एड्स से बचाएगा
यही कहा है मैंने अपनी ताज़ा
'रचना'
में
रहता है जिसके दिल में प्यार सदा
वह करता है जग पर उपकार सदा
हैवाँ भी करते हैं अपनों से प्यार
इंसाँ ही गिराता है भेद की दीवार सदा
मख़्लूक़ में सिफ़ाते ख़ालिक़ का परतौ
इश्क़े मजाज़ी से वा है हक़ीक़ी द्वार सदा
विराट में अर्श है जो, सूक्ष्म में क़ल्ब वही
यहीं होता है रब का दीदार सदा
किरदार आला, ज़ुबाँ शीरीं है अमित तेरी
ऐसे बंदों का होता जग में उद्धार सदा
............
मख़्लूक़ - सृष्टि , ख़ालिक़ - रचयिता , इश्क़े - मजाज़ी लाक्षणिक प्रेम जो किसी लौकिक वस्तु से किया जाए , हक़ीक़ी - सच्चा , हैवान पशु , शीरीं - मीठा
निशब्द हूं. बहुत अच्छी बात कही .
इसलिए लोक दिखावे को ये आज एड्स का विरोध करते रहेंगे
यानी दिन-रात चिल्ला-चिल्ला कर "निरोध निरोध" करते रहेंगे
बहुत अच्छी बात कही .
bahut achchhi samyik post....
tathkathit bade rashtrsewkon ki neeyat ki khot ko ujagar karti huyee samaj ki dukhti rag ko chhoo rahi hai aapki kavita.....
agar ab bhi sahi disha me 'aids jagrookta' ka abhiyan chalaya jaye to achchha hi hoga ..
der ayad-durust ayad...
दूर तक मार करने में सक्षम सामायिक रचना...
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