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Sunday, April 29, 2012
प्यारे मित्रो....
आप सभी को मेरा सौहार्दिक स्मरण, आत्मिक अभिनन्दन एवं प्रेम भरा प्रणाम .
माँ सरस्वती की कृपा, बुजुर्गों की आशीष और आप सभी की स्नेहसिक्त
शुभकामनाओं से कल मैंने अपने मंचीय सफ़र का एक अहम पड़ाव पार कर लिया .
श्रीगंगानगर राजस्थान से शुरू हो कर, सम्पूर्ण भारत और अनेक देशों से होते
हुए कल मुम्बई में समन्दर की लहरों पर जब मैंने प्रस्तुति की तो प्रोग्रामों का
आंकड़ा 6000 को छू गया .
यह मेरे लिए न केवल आनन्द, बल्कि गर्व की भी बेला है कि इस छोटी सी उम्र
में ही हिन्दी कविता की इत्ती सेवा करने का अवसर मुझे मिला .
माँ से कामना करता हूँ कि आगे भी कुछ वर्ष और इसी तरह सक्रिय रह कर मंचों
पर धूम मचाने का सामर्थ्य मुझे प्रदान करे.
जय हिन्दी
जय हिन्द !!
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Friday, April 27, 2012
प्यारे मित्रो, सादर प्रणाम
आओ
आओ आओ एक खेल खेलें...खेल खेलें शेरो-शायरी का
आप सबको निमन्त्रण है इस महफ़िल में -
आप अपनी कोई भी कविता या शेर यहाँ रखें............
मैं उसका उत्तर स्वरचित कविता से दूंगा और तुरन्त दूंगा -
खेल ये है कि आपको मुझे निशब्द करना है . अर्थात ऐसी
कठिन शायरी भेजो जिसका जवाब देने में मुझे कठिनाई हो
.........बड़ा मज़ा आएगा .......तो आ जाओ मैदान में
और भेज दो फड़कती हुई शायरी..........
मैं प्रतीक्षारत हूँ
जय हिन्द
-अलबेला खत्री
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Thursday, April 26, 2012
{ कविता की तीन अवस्थाएं }
शब्द-शब्द जब मानवता के हितचिन्तन में जुट जाता है
तम का घोर अन्धार भेद कर दिव्य ज्योति दिखलाता है
जब भीतर की उत्कंठायें स्वयं तुष्ट हो जाती हैं
अन्तर में प्रज्ञा की आभा हुष्ट-पुष्ट हो जाती है
अमृत घट जब छलक उठे
बिन तेल जले जब बाती
तब कविता उपकृत हो जाती
अमिट-अक्षय-अमृत हो जाती
देश काल में गूंज उठे जब कवि की वाणी कल्याणी रे
स्वाभिमान का शोणित जब भर देता आँख में पाणी रे
जीवन के झंझावातों पर विजय हेतु संघर्ष करे
शोषित व पीड़ित जन गण का स्नेहसिक्त स्पर्श करे
आँख किसी की रोते-रोते
जब सहसा मुस्का जाती
तब कविता अधिकृत हो जाती
साहित्य में स्वीकृत हो जाती
क्षुद्र लालसा की लपटें जब दावानल बन जाती हैं
धर्म कर्म और मर्म की बातें धरी पड़ी रह जाती हैं
रिश्ते-नाते,प्यार-मोहब्बत सभी ताक पर रहते हैं
स्वेद-रक्त की जगह रगों में लालच के कण बहते हैं
त्याग तिरोहित हो जाता
षड्यन्त्र सृजे दिन राती
तब कविता विकृत हो जाती
सम्वेदना जब मृत हो जाती
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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Thursday, April 19, 2012
प्यारे मित्रो, हितैषियो एवं समस्त कविताप्रेमियो,
नमस्कार
कल 20 अप्रैल को मैनपुरी प्रदर्शनी में अखिल भारतीय कवियों का
विराट संगम होने जा रहा है . संयोजक अनिल मिश्रा { ब्यूरो चीफ
दैनिक जागरण } व कमलेश शर्मा { ओजस्वी कवि } के अनुसार उक्त
कवि सम्मेलन में हरी ओम पवार, सत्यनारायण सत्तन, अलबेला खत्री,
संपत सरल, डॉ कुंवर बेचैन, विष्णु सक्सेना, ममता शर्मा, कीर्ति काले,
सुनील जोगी, प्रवीण शुक्ल, तेजनारायण शर्मा, देवल आशीष, और
कमलेश शर्मा जैसे ख्यातनाम कवि-कवयित्री अपनी काव्य -प्रस्तुति
देंगे .उन्होंने बताया कि मैनपुरी का कवि सम्मेलनीय मंच एक
ऐतिहासिक मंच है जहाँ श्रोता-दर्शक बहुत दूर दूर से आते हैं और
रात भर रचना का आनन्द लेते है .
मित्रो, अच्छी बात ये है कि मैं इस भव्य मंच पर पहली बार जा रहा हूँ
और पूरे मन से जा रहा हूँ इसलिए ख़ूब आनन्द आएगा ऐसा मेरा
विश्वास है . क्योंकि सेहत भी अब ठीक-ठाक है और मेरे पास मंच का
मसाला भी ख़ूब है. तो फिर मैं जा कर आता हूँ और बताता हूँ आपको
कि वहाँ क्या हुआ ........तब तक के लिए जय हिन्द !
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हास्यकवि अलबेला खत्री सूरत |
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Tuesday, April 10, 2012
सुप्रभात प्रिय मित्रो !
पूजा के योग्य सबसे प्रथम देवता माता है.
पुत्रों को चाहिए कि माता की टहल सेवा तन-मन-धन से करें .
उसे सब तरह से प्रसन्न रखें . उसका अपमान कभी न करें .
- महर्षि स्वामी दयानन्द
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Monday, April 9, 2012
GOOD MORNING DEAR FRIENDS !
अगर तुम जितना कमाते हो,
उससे कम खर्च करना जानते हो तो
तुम्हारे पास पारस पत्थर है
-फ्रेंकलिन
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ALBELA KHATRI IN SAANPLA HARIYANA |
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Sunday, April 8, 2012
वन्दना करूँ, तुम्हारी वन्दना करूँ
ऐसी करूँ वन्दना कि बन्द ना करूँ
माटी से बनी है किन्तु मोतियों पे भारी है
शंख सा स्वरूप तेरा, सीप जैसी प्यारी है
सारा जग झांके तुझे, झांकी तेरी न्यारी है
हमने तो सदा ही तेरी आरती उतारी है
तू मिले, तो कैसे मैं आनन्द ना करूँ
वन्दना करूँ, तुम्हारी वन्दना करूँ .................
पाक है, पवित्र है तू, देह का श्रृंगार है
सृष्टि में आने हेतु तू ही मुख्य द्वार है
चैन है, सुकून है, आराम है, क़रार है
यौवन है बाग़ तो तू बाग़ की बहार है
कैसे तुम पे गीत और छन्द ना करूँ
वन्दना करूँ, तुम्हारी वन्दना करूँ ................
कोमल है, शीतल है, सुन्दर संरचना
प्रभु ने बनाया तुम्हें अनुपम रचना
भीड़ है लुटेरों की, तू लुटने से बचना
तेरी इच्छा के विरुद्ध करे कोई टच ना
तेरा अपमान मैं पसन्द ना करूँ
वन्दना करूँ, तुम्हारी वन्दना करूँ...........
- अलबेला खत्री
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उज्जैन में प्रतिष्ठित टेपा सम्मान प्राप्त करते हुए हास्यकवि अलबेला खत्री |
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Saturday, April 7, 2012
प्यारे मित्रो सप्रेम प्रणाम,
ये सूक्ति कैसी लगी, ज़रा बताना -
"सच तो यह है कि गरीब हिन्दुस्तान स्वतन्त्र हो सकता है
लेकिन चरित्र खोकर धनी बने हुए हिन्दुस्तान का
स्वतन्त्र होना मुश्किल है" - महात्मा गांधी