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लस्सी पीने वालों ने अब व्हिस्की मुँह लगाई है
तन-मन के दुःख दूर हुए, ज़ेहन पर मस्ती छाई है
बड़भागी वे नर हैं जिनको रोज़ नई सप्लाई है
अपनी फूटी किस्मत में तो केवल एक लुगाई है
तेरे गालों के गड्ढे में गिर कर ही दम टूट गया
पूछे कौन समन्दर से तुझमे कितनी गहराई है
हाँ भई हाँ, हम तो कड़वे हैं, खारे हैं और खट्टे भी
तुझको मीठा होना ही था, बाप तेरा हलवाई है
पाकिस्तानी मलिक हो चाहे, हिन्दुस्तानी मलिका हो
जिसने जितना जिस्म दिखाया, उतनी शोहरत पाई है
घर के सब बच्चे ख़ुश होकर लगे नाचने आँगन में
मैंने पूछा- क्या लफड़ा है, बोले- बिजली आई है
महानगर की ये विडम्बना हमने देखी 'अलबेला'
भीतर बहना बदन बेचती, बाहर बैठा भाई है
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
लस्सी पीने वालों ने अब व्हिस्की मुँह लगाई है
तन-मन के दुःख दूर हुए, ज़ेहन पर मस्ती छाई है
बड़भागी वे नर हैं जिनको रोज़ नई सप्लाई है
अपनी फूटी किस्मत में तो केवल एक लुगाई है
तेरे गालों के गड्ढे में गिर कर ही दम टूट गया
पूछे कौन समन्दर से तुझमे कितनी गहराई है
हाँ भई हाँ, हम तो कड़वे हैं, खारे हैं और खट्टे भी
तुझको मीठा होना ही था, बाप तेरा हलवाई है
पाकिस्तानी मलिक हो चाहे, हिन्दुस्तानी मलिका हो
जिसने जितना जिस्म दिखाया, उतनी शोहरत पाई है
घर के सब बच्चे ख़ुश होकर लगे नाचने आँगन में
मैंने पूछा- क्या लफड़ा है, बोले- बिजली आई है
महानगर की ये विडम्बना हमने देखी 'अलबेला'
भीतर बहना बदन बेचती, बाहर बैठा भाई है
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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