आवाज़ की दुनिया के शहंशाह मरहूम मोहम्मद रफ़ी को सलाम-ए-अक़ीदत
आज 31 जुलाई ....पुण्य तिथि पर एक विशेष रचना रफ़ी की याद को …
नहीं हमेशा रहेगा सूरज
नहीं हमेशा चाँद रहेगा
लेकिन रहते जहां तलक़
फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा
जब भी मोहब्बत करवट लेगी, जब भी जवानी आएगी
जब भी समन्दर के साहिल पर शाम सुहानी आएगी
उफ़क़ पे ढ़लते आफ़ताब की जब-जब सुर्ख़ी फैलेगी
इश्क़ के दरिया की मौजों पर और रवानी आएगी
जब भी दो दिल मचल उठेंगे, बेख़ुद-मस्त बहारों में
दहर की त्वारीख़ों में लिखी इक और कहानी जाएगी
उस बेख़ुद-मदहोश घड़ी में
कौन किसी को याद रहेगा
लेकिन रहते जहां तलक़
फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा
हुस्न की क़ातिल फ़ितरत जब-जब सरे-राह उरियां होगी
इश्क़ के मुंह से एक नहीं, लाखों फ़रियादें बयां होंगी
जब कोई दिल टूटेगा, बेवफ़ा हुस्न की चाहत में
जब भी किसी आशिक के दिल की धड़कन सोज़े-निहां होंगी
उथल-पुथल जब मचेगी दिल में हिज्र का आलम छाएगा
बाहर हवा चलेगी लेकिन दिल में आग जवां होगी
बेशक टूट पड़ेंगे तारे
जब वह दिल नाशाद रहेगा
लेकिन रहते जहां तलक़
फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा
_________विनम्र श्रद्धान्जलि स्वर व सुरों के सच्चे सम्राट को........................
__________________अलबेला खत्री
2 comments:
bahut hi sundar va sateek
श्रद़धांजलि...
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