क्या मुस्लिम,क्या सिक्ख, इसाई, क्या वैष्णव,क्या जैन
सब के सब हैरान यहाँ पर, सब के सब बेचैन
खादी वाले जनता का धन लूट रहे दिन-रैन
हाय ! लुटेरों के शासन में, भीगे सब के नैन
क्या होगा कल हाल देश का, सोच सोच घबराया
इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया
प्यारे अन्जनी के लाल !
हमें संकट से निकाल !
धर्म के ठेकेदार हमें टुकड़ों में बाँट रहे हैं
छंटे छंटाये लोग आज लोगों को छाँट रहे हैं
करुणा की काया को दीमक बन के चाट रहे हैं
मानवता के कल्पवृक्ष को जड़ से काट रहे हैं
खुदगर्ज़ी में इन्सां ने इन्सां का ख़ून बहाया
इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया
प्यारे अन्जनी के लाल !
हमें संकट से निकाल !
लालच में असली डॉक्टर भी नकली दवा चलाते
हलवाई नकली मावा से नकली माल बनाते
व्यापारी भी नकली मिर्च-मसाले हमें खिलाते
दूध-दही, फल-फ्रूट, साग-सब्ज़ी भी नकली आते
गद्दारों ने बैंकों तक में नकली नोट चलाया
इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया
प्यारे अन्जनी के लाल !
हमें संकट से निकाल !
जय हिन्द
-अलबेला खत्री
1 comments:
hanumaan ji aaye gada challaye aur hamko bachaaye....
ab yahi aas hai!
kunwar ji,
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