आसाराम अगर लीपापोती न करते और कानून से मुंह न छिपाते बल्कि पीड़िता द्वारा शिकायत दर्ज़ कराने का पता चलते ही ख़ुद चल कर पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर देते यह कहते हुए कि
" मेरी पोती समान एक मासूम बच्ची ने मुझ पर देहशोषण का इतना घिनौना आरोप लगाया है कि सिर्फ़ मैं नहीं बल्कि मेरे कारण पूरा संत समाज कलंकित हो गया है इसलिए मुझे अब संत कहलाने और संसार में जीवित रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है . लिहाज़ा मैं स्वयं को कानून के सुपुर्द करते हुए प्रार्थना करता हूँ कि मुझे कठोर से कठोर दंड देते हुए कम से कम दो बार फाँसी पर लटकाया जाये, एक बार मेरे तथाकथित अपराध के लिए और दूसरी बार मेरे करोड़ों जिज्ञासु शिष्यों को होने वाली आत्मिक पीड़ा के लिए .......मुझे अपने ऊपर लगे आरोप पर सफ़ाई में कुछ नहीं कहना है . एक साधु पर इतना बड़ा आरोप लग जाना ही पर्याप्त है .......लिहाज़ा या तो एक महीने के भीतर भीतर कानून अपने विधिविधान से मेरे प्राण ले ले अन्यथा मैं स्वयं ही अपने आश्रम में जीवित समाधि ले लूँगा . इतना बड़ा बोझ ले कर न मैं अब जी सकता हूँ और न ही साधना कर सकता हूँ
मेरी मृत्यु के समय मेरे तमाम शिष्य पूरी तरह शांति बनाये रखें और हरी ॐ का जाप करते रहें . भगवान् उन भले लोगों का भी भला ही करे जिन्होंने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए मुझ पर यह कालिख पोतने में सफलता प्राप्त कर ली . हमेशा की तरह मैं उनका यह अपराध क्षमा भी करता हूँ साथ ही उस नन्ही बिटिया को उसके सुखी जीवन की कामना करते हुए अपनी ओर से सवा करोड़ रूपये की रकम भी भेंट करने का आदेश अपने आश्रम के प्रबंधकों को देता हूँ ....हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ "
अन्य नौटंकी करने के बजाय आसाराम ऐसा करते तो न केवल शिष्यों और साधु समाज की बल्कि आम जनता और पुलिस की भी पूर्ण सहानुभूति उन्हें मिल जाती . क्योंकि हमारा देश पढ़े लिखे गंवारों का देश है जहाँ किसी के समर्थन या विरोध में भीड़ इकठ्ठा होते हुए देर नहीं लगती .
जय राम जी की बोलना पड़ेगा .
परमपाखण्डी बाबा अलबेलानंदजी परमकंस के फ़ेसबुकिया प्रवचनों से साभार
https://www.facebook.com/AlbelaKhatrisHasyaKaviSammelan?ref=hl
albela khatri on aasaram bapu |
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1 comments:
क्या बात है अलबेला जी
आपकी यह रचना कल बुधवार (04-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 106 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
सादर
सरिता भाटिया
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