जहाँ देखो वहीँ बलात्कारी खड़े हुए हैं, हर अख़बार, हर चैनल बलात्कार के समाचारों से भरा पड़ा है .
आजकल बलात्कार, विशेष रूप से गैंगरेप कुछ ज़्यादा ही होने लगे हैं जो कि समाज के लिए शर्म और दुःख की बात है . कहीं नाबालिग के साथ दुष्कर्म हो रहा है तो कहीं नाबालिग के द्वारा दुष्कर्म हो रहा है ..........क्या हो गया है भाई ? कहाँ जा रहा है समाज ?
ये इतने सारे स्कूल , कालेज, गुरूकुल, इतने सारे साधू संतों के प्रवचन, ये इतने सारे धार्मिक ग्रन्थ और इतने सारे क़ानून मिल कर भी कोई रोकथाम नहीं कर पा रहे हैं ...........हैरत है !
अरे हरामखोरो ! तुम्हें फूल ही सूंघना है तो गुलफ़रोश से खरीद कर सूंघ लो, कौन रोकता है ? जगह जगह एक से बढ़ कर एक दुकान सजी है फूलों की ..........पैसा फैंकों और अपना शौक पूरा कर लो .........ये ज़बरदस्ती किसी के बगीचे में घुस कर फूल तोड़ने की ज़रूरत ही क्या है ?
जय हिन्द !
परमपाखण्डी बाबा अलबेलानंदजी परमकंस के फ़ेसबुकिया प्रवचनों से साभार
https://www.facebook.com/AlbelaKhatrisHasyaKaviSammelan
2 comments:
लेकिन इससे भी तो पाशविक मानसिकता को ही बढ़ावा मिलता है।
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