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Albela Khatri

देखिये, दर्पण से चिड़िया लड़ रही है देखिये

चश्म पर परतें भरम की चढ़ रही हैं देखिये

देखिये, दर्पण से चिड़िया लड़ रही है देखिये


आपने अपने लोहू से जो लिखा पैगम्बरों !

आपकी औलाद उलटा पढ़ रही है देखिये


आपने अमृत दिया था ये तो हमको याद है

पर हमारी लाश नीली पड़ रही है देखिये


आज कौमी एकता के दिवस हैं मनने लगे

बात ये भी याद रखनी पड़ रही है देखिये

15 comments:

M VERMA October 12, 2009 at 4:59 PM  

बहुत सुन्दर और सारगर्भित

ब्लॉ.ललित शर्मा October 12, 2009 at 5:22 PM  

आपने अपने लोहू से जो लिखा पैगम्बरों !
आपकी औलाद उलटा पढ़ रही है देखिये

वैसे भी आज आपकी पोस्टें धड़ाधड़ आ रही हैं कई दिन कसर जो निकलेगी,सारे दिनों की हाजरी आज ही लगेगी।

बहुत ही बढिया लाईने हैं अलबेला जी 36 गढी मे कहुंगा
"मोही डारे रे तैं मोला" इसका अर्थ अनील भैया या पावला जी से पुछना। स्वागत है।

Kamlesh Sharma October 12, 2009 at 6:04 PM  

बहुत सुन्‍दर, अच्‍छा विषय, अच्‍छा संदेश । सार्थक अभिव्‍यक्ति । बधाई स्‍वीकारें।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" October 12, 2009 at 6:23 PM  

बहुत सुन्दर !

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" October 12, 2009 at 8:13 PM  

बहुत बढिया!!!

Rakesh Singh - राकेश सिंह October 12, 2009 at 9:43 PM  

सुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ती

Mithilesh dubey October 12, 2009 at 10:40 PM  

बहुत ही उम्दा।

शिवम् मिश्रा October 12, 2009 at 10:54 PM  

बहुत बढिया!!!

ss October 13, 2009 at 12:29 AM  

आज कौमी एकता के दिवस हैं मनने लगे

बात ये भी याद रखनी पड़ रही है देखिये

BAHUT KHOOB!!

दीपक 'मशाल' October 13, 2009 at 5:54 AM  

is ek rachna me aapne wo sab kah diya jo is mudde ke virodh me likhi gayee saikdon post na kah paayeen. khoobsoorti ka doosra naam hai aapka lekhan.
aapko pata bhi hai blogjagat me aapka ek aur chhota bhai paida ho gaya, Kabhi aasheesh dene aaiye swarnimpal.blogspot.com par ummeed hai ye chhota aapko nirash nahin karega.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' October 13, 2009 at 7:16 AM  

अलबेला खत्री जी, बधाई स्वीकार करें।
बहुत सशक्त रचना पेश की है आपने!

राजीव तनेजा October 13, 2009 at 8:12 AM  

कम शब्दों में लिखी गई सारगर्भित रचना

संगीता पुरी October 13, 2009 at 9:01 AM  

सुंदर संदेश .. सार्थक अभिव्‍यक्ति !!

vijay kumar sappatti October 13, 2009 at 10:51 AM  

albela ji

namaskar
deri se aane ke liye maafi

aapki ye nazm bahut acchi lagi ,. specially aakhri pankhtiyan .. waah ji waah .. hyderabad kab aa rahe sir ji

Regards

Vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com

Prem Farukhabadi October 13, 2009 at 3:05 PM  

अति सुन्दर भाई . बधाई!!

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