दुर्भाग्य से जब देश में कुदरत का इत्ता बड़ा कहर टूट पड़ा हो कि हज़ारों लोग काल
के गाल में फँस गए हों, पांच दिन से भूखे-प्यासे हों, सर्दी में कंपकंपा रहे हों, दवा
इत्यादि के अभाव में बीमारी से तड़प रहे हों और अपनी जान बचाने के लिए
सरकार से गुहार व चीख पुकार कर रहे हों, तब उनके लिए खाने पीने तक की
व्यवस्था भी जो लोग नहीं कर सकते, ऐसे चादरमोद लोग नेता बनते ही क्यों हैं .
किस काम का वह आपदा प्रबंधन विभाग, किस काम का इतना विराट प्रशासन
तंत्र और किस काम के वे मौसम विशेषज्ञ तथा सार्वजनिक निर्माण विभाग के वरिष्ठ
इन्जीनियर जो ऐसे संकट के समय केवल बहानेबाज़ी कर रहे हैं और गलत
सूचनाएं दे दे कर देशवासियों को गुमराह कर रहे हैं . उस पर साले, कमीने,
महाहरामखोर मंत्री लोग केवल बयानबाज़ी क़र के या तो सांत्वना दे रहे हैं या फिर
लाख दो लाख रूपये मुआवज़ा बाँट कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान रहे हैं और
लोगों की चिंता छोड़ कर राजनीति करने में लगे हुए हैं . इन मादरखोरों को 2014
के चुनाव की चिंता लगी है .....आज जो हज़ारों जानों पर मौत का कुहासा छाया है
वह इन्हें दिखाई नहीं देता ..............शुक्र है कि सेना के बहादुर जवान अपना फ़र्ज़
बखूबी निभा रहे हैं और लोगों को बचाने में लगे हुए है . ..लेकिन सवाल है कि जब
भी देश में कोई ऐसा संकट आता है तो वर्दी वाले ही काम आते हैं, खादी वाले तो यों
छुप जाते हैं जैसे लुहारण के लहंगे में जुएँ छुपी रहती हैं ...........तो फिर देश की
कमान वर्दी वालों के हाथ में ही क्यों नहीं सौंप देनी चाहिए ...... क्यों हम मतदाता
हर बार इन्हीं चूतियों को अपना भविष्य सौंप कर अपने ही हाथों अपने करम फोड़
लेते हैं ........इस पर विचार करना होगा और अगले चुनाव में इन्हें वोट नहीं सोट
देना होगा .
अरे भारत सरकार के नाकाम मंत्रियो !
नेता होना क्या होता है यह सीखो गुजरात आ कर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से, जो
सुख और दुःख की हर घड़ी में जनता के साथ खड़ा रह कर काम करवाता है . याद
करो 7 अगस्त 2 0 0 6 के दिन आई सूरत की महाभयंकर बाढ़ जिसने पूरे इलाके
में त्राहि त्राहि मचादी थी लेकिन सरकारी तंत्र की कर्मठता के कारण बचाव कार्य
इत्ती तीव्रता से हुआ कि ज़ख्म जल्द ही भर गए और जनता का उतना नुक्सान नहीं
हुआ जितना हो सकता था .
कौन नहीं जानता कि जब तक सबकुछ ठीक नहीं हो गया तब तक नरेन्द्र मोदी
सूरत में ही डेरा डाले रहे और समूचे प्रदेश के तमाम विशेषज्ञ और संसाधन सूरत
में बुला कर उनका पूरा पूरा उपयोग किया .......अगर उस वक्त इतनी तत्परता
नहीं दिखाई होती सरकार ने तो सूरत में महामारी फैलने से कोई रोक नहीं
सकता था . अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार जनता के संकट को मिटा सकती है
तो सोनिया गाँधी की बांसुरी पर करतब दिखाने वाले जमूरे ये सब क्यों नहीं कर
सकते ? जनता कल सवाल पूछेगी तो उनका जवाब क्या सोनिया से पूछ कर दोगे
या कभी अपनी ओर से भी कुछ कहोगे सरदार जी ?
आओ साथियो, लाख लाख लाहनत भेजें इस मरदूद हुकूमत को और सब मिल
कर अपने अपने इष्ट प्रार्थना करें कि उत्तराखंड में फंसे तमाम लोगों को परमपिता
परमात्मा इस संकट से बाहर निकाल कर उन्हें उनके परिवार तक सुरक्षित पहुँचाने
की कृपा करे .
जय हिन्द !
1 comments:
वाह..लही समय पर सही पोस्ट लगाई है आपने!
आभार!
वाह-वाह क्या बात में आपका प्रेजेन्टेशन बहुत बढ़िया था!
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