जीवन के दोहे
छोटी सी यह ज़िन्दगी, छोटा सा संसार
छोटे हो कर देखिये, मिलता कितना प्यार
अपनों की परवाह तो करते हैं सब लोग
ग़ैरों की ख़िदमत करो, ये है सच्चा योग
मेरे घर के सामने, रहती है इक हूर
दिल के है नजदीक पर, बाहों से है दूर
पुरखे अपने चल दिए, करके अच्छे काम
अपनी यह कटिबद्धता, नाम न हो बदनाम
तेरी मेरी क्या करूँ, क्या है इसमें सार
कोशिश है बाँटा करूँ, सबको अविरल प्यार
- अलबेला खत्री
hasyakavi albela khatri in ahmadabad |
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