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Albela Khatri

जो सुलूक कवि सम्मेलन के आयोजकों ने एक वरिष्ठ शायर के साथ किया क्या वही सुलूक क्रिकेटरों के साथ करने का माद्दा BCCI में है ?

जिस प्रकार धोनी के धुरन्धर ज़ोरदार तरीके से शानदार हार ले कर

वेस्ट इंडीज़ से आये हैं उससे एक बात तो तय हो गई है कि भारत

का कोई सानी नहीं दुनिया में...........भारत की पावन परम्परा के

ध्वजवाहक ये क्रिकेटर केवल सम्माननीय हैं बल्कि पुरुस्कारनीय

भी हैं इतनी करारी पराजय के बाद भी पब में जा कर मस्तीखोरी

और नैन-मटक्का करके इन्होंने साबित कर दिया कि सन्तों का

उपदेश व्यर्थ नहीं गया " हानि लाभ, जनम मरण , यश अपयश विधि

हाथ" के सूत्र पर चलते हुए इन महामनाओं ने हार-जीत से कमसे

कम 4-4 बोतल बियर ऊपर उठ कर अपनी ज़िन्दा दिली का

परिचय दिया है



मैं तो कहता हूँ ये जितने भी विदेशी खिलाड़ी हैं चाहे किसी भी देश के

हों, सब के सब नमक हराम हैं ...जिसके यहाँ जाते हैं, जिसका खाते

पीते हैं, उसी को हरा के चले आते हैं अपने भारतीय खिलाड़ी ऐसे

नमक हराम नहीं हैं , ये जहाँ जाते हैं, जिसका खाते हैं उसके

मान-सम्मान पर चोट नहीं आने देते........ख़ुद की चाहे चड्डी भी फट

जाये लेकिन लोगों की पतलून पर बुरी नज़र नहीं डालते..........



लेकिन एक बात है..........ज़रा गौर करना............



अभी 8 मई को मध्य प्रदेश के जावरा नगर में एक विराट कवि

सम्मेलन सम्पन्न हुआ विराट इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उसमें

मैं भी था,,,,,,,,,,,,हा हा हा हा ............... उस कवि सम्मेलन में एक

शायर आये थे रामपुर से.. ताहिर फ़राज़ जो कि मंच संचालक की

गलत कारगुजारी के चलते हूट हो गये...........



हालांकि वे एक बेहतरीन शायर हैं और खूब जमते हैं मंच पर, लेकिन

उस दिन वहाँ उन्हें शुरू में ही खड़ा कर दिया और वे कोलाहल की

भेन्ट चढ़ गये.. संचालक चूँकि आयोजकों का मित्र था इसलिए

उसका तो कुछ बिगड़ा नहीं, लेकिन बेचारे शायर को बहुत फटकारा

कविसम्मेलन के आयोजकों ने ये कहते हुए कि आप तो बिलकुल

भी जमे नहीं साथ ही उसके मानधन में से आधे रुपये भी काट

लिए...........



वो शायर कितना अज़ीम है ये आप उसका एक शे' पढ़ कर

जान जायेंगे...



वो सर भी काट देता तो होता कुछ मलाल

अफ़सोस ये है उसने मेरी बात काट दी


मैं कहना ये चाहता हूँ कि जो रुख कवि सम्मेलन के आयोजक

संस्कृति संगम ने एक शायर के साथ अपनाया , क्या वही रुख

BCCI को अपनी क्रिकेट टीम के साथ अपनाते हुए उनकी फीस

नहीं काटनी चाहिए और हार के बदले जूतों के हार पहना कर

प्रताड़ित नहीं करना चाहिए ताकि भविष्य में वे हार और जीत में

फ़र्क कर सकें......



हालांकि जो मैं कहना चाहता था वो तो छूट ही गया क्योंकि मैं भी

भटक गया लेकिन अब चूँकि पोस्ट लम्बी हो गई है सो फिर

कभी.लेकिन मेरे मन में जो आक्रोश है..क्या आपके भी मन में है ?

 albela khatri hasya kavita 20 20 world cup bcci icc tahir faraz sanskriti sangam



















www.albelakhatri.com

5 comments:

vikas mehta May 14, 2010 at 6:03 PM  

sahi khichai ki hai apne ..bdhai .....
मैं तो कहता हूँ ये जितने भी विदेशी खिलाड़ी हैं चाहे किसी भी देश के

हों, सब के सब नमक हराम हैं ...जिसके यहाँ जाते हैं, जिसका खाते

पीते हैं, उसी को हरा के चले आते हैं । अपने भारतीय खिलाड़ी ऐसे

नमक हराम नहीं हैं , ये जहाँ जाते हैं, जिसका खाते हैं उसके

मान-सम्मान पर चोट नहीं आने देते........ख़ुद की चाहे चड्डी भी फट

जाये लेकिन लोगों की पतलून पर बुरी नज़र नहीं डालते..........

दीपक 'मशाल' May 14, 2010 at 7:31 PM  

ताहिर फ़राज़ साब को पहले से पसंद करता आया हूँ.. उनके साथ ऐसा होना बहुत दुखद है क्या कहें इस राजनीति और अपने-अपने प्रभुत्व को

Udan Tashtari May 14, 2010 at 8:15 PM  

ताहिर फराज़ साहब के हुई घटना दुखी कर गई..उनकी माई वाली रचना पर तो पूरा भू मंडल द्रवित हो उठे.

राजीव तनेजा May 15, 2010 at 10:27 AM  

ताहिर फराज़ साहब के साथ बहुत गलत हुआ लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के साथ तो इस से भी कड़ा बर्ताव किया जाना चाहिए

राज भाटिय़ा May 15, 2010 at 9:09 PM  

अजी गुलाम सिर्फ़ अपने लोगो को ही हरा सकते है, गोरो का यह खाते है, उन की भाषा बोलते है, उन का स्टाईल अपनाते है तो उन्हे केसे हरा दे.... मालिक के आगे गुलाम केसे चले????

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